पंद्रह अग्नि कुंडों के बीच में संत गोवर्धननाथ की तपस्या
सवा बारह से सवा तीन बजे तक तेज धूप में लगाया आसन
दोपहर में तपते सूरज के सामने जब एक संत ने पंद्रह अग्नि कुंडों के बीच में अपना आसन लगाकर तपस्या प्रारंभ की, तो वहां उपस्थित लोग देखते ही रह गए। जब कुछ समय के लिए भी इस गर्मी में धूप में खड़ा हुआ नहीं जाता, ऐसे में वे संत तीन घंटे के लिए धूप में अग्निकुंंडों के बीच तपस्या कर रहे थे।
अजमेर। दोपहर में तपते सूरज के सामने जब एक संत ने पंद्रह अग्नि कुंडों के बीच में अपना आसन लगाकर तपस्या प्रारंभ की, तो वहां उपस्थित लोग देखते ही रह गए। जब कुछ समय के लिए भी इस गर्मी में धूप में खड़ा हुआ नहीं जाता, ऐसे में वे संत तीन घंटे के लिए धूप में अग्निकुंंडों के बीच तपस्या कर रहे थे। यह नजारा था बुधवार को शास्त्री कॉलोनी पुष्कर रोड स्थित श्री सोमनाथ धाम श्रीनाथजी की बगीची का। जहां योगीराज बाबा शंभूनाथजी के शिष्य महंत योगी गोवर्धननाथ ने यह तप प्रारंभ किया था। महाराज ने सवा बारह से सवा तीन बजे तक का वह समय चुना है जब सबसे अधिक तापमान होता है।
31 दिन तक रोज एक कंडा बढ़ाकर रखा जाएगा।
उन्होंने पूजा कर शंख ध्वनि के साथ अपना आसन जमाया और तप करने बैठ गए। इससे पूर्व उनके शिष्यों ने वहां बने पंद्रह अग्नि कुंडों में अग्नि प्रज्वलित की। कंडों में लगी अग्नि जल रही थी। महाराज पूरे तीन घंटे तक आसन लगाकर बैठे रहे। उनका यह क्रम 11 जून को 31 दिनों तक चलेगा। आज अग्नि कुंडों में 11 कंडे रखे गए थे। प्रतिदिन एक कंडा बढ़कर रखा जाएगा। इस तरह 11 जून को 42 कंडे रखे जाएंगे।
देश और विश्व में शांति की कामना
बगीची समिति के अध्यक्ष तुलसी सोनी ने बताया कि इस तपस्या के दौरान महाराज प्रतिदिन देश और विश्व में शांति की कामना कर रहे हैं। वे इस तपस्या से प्रकृति में होने वाले विभिन्न प्रकोपों से सुरक्षा, ज्ञान विज्ञान में उन्नति, वायुमंडल में शुद्धता और प्राणियों में सद्भावना की प्रार्थना करेंगे। आज तपस्या प्रारंभ होने के समय बाहर से आए संत और शिष्य भी उपस्थित रहे।
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