हम नहीं बदले तो पर्यावरण हमें बदल देगा: डॉ. किरण सेठ

स्पिक मैके के संस्थापक पद्मश्री डॉ.किरण सेठ साइकिल यात्रा के तहत कोटा पहुंचे

हम नहीं बदले तो पर्यावरण हमें बदल देगा: डॉ. किरण सेठ

पर्यावरण से मानव के रिश्ते को ओर मजबूत करने के लिए 73 वर्षीय पद्मश्री डॉ.किरण सेठ इन दिनों साइकिल से भारत भ्रमण पर निकले हैं। वे शुक्रवार रात कोटा पहुंचे और रात्रि विश्राम के बाद सुबह साइकिल से कोटा आए।

कोटा । पर्यावरण से मानव के रिश्ते को ओर मजबूत करने के लिए 73 वर्षीय पद्मश्री डॉ.किरण सेठ इन दिनों साइकिल से भारत भ्रमण पर निकले हैं। वे शुक्रवार रात कोटा पहुंचे और रात्रि विश्राम के बाद सुबह साइकिल से कोटा आए। इस दौरान स्पिक मैके कोटा चैप्टर और साइक्लोट्रोट टीम के सदस्य उनके साथ रहे। कोटा पहुंचने पर उनका फूलमालाओं से झालावाड़ रोड पर स्वागत किया गया ।

चार दिवसीय इस कोटा यात्रा के संबंध में  पत्रकारों से संवाद के दौरान डॉ.किरण सेठ ने कहा कि परिस्थितियां बदल रही है। मौसम बदल रहे हैं। गर्मी के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। यह सब क्यों हो रहा है, इस पर विचार करना जरूरी हो गया है। यदि हम अब भी नहीं बदले तो पर्यावरण सब कुछ बदल देगा। बदले हुए मौसम का नुकसान पूरी मानव सभ्यता को झेलना पड़ेगा। मानव और पर्यावरण के बीच रिश्ता प्रगाढ़ होना जरूरी है, तभी हम आने वाले जीवन को बेहतर व अनुकूल परिस्थितियां दे सकेंगे। डॉ.सेठ ने कहा कि इस साईकिल यात्रा का उद्देश्य देश में युवाओं के बीच में सरल और सादगीपूर्ण तरीके से स्वास्थ्य ठीक रखना, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, स्पिक मैके के उद्देश्यों में साथ देने के लिए नए लोगों को जोड़ना है। डॉ.सेठ ने कहा कि वेस्ट और बेस्ट के चयन का समय चल रहा है। हमने वेस्ट का कल्चर देखा, जो कि हमारे चारों तरफ है, इसमें हम बहुत कुछ खोते जा रहे हैं। रोज नए लक्ष्य, कभी न खत्म होने वाली भूख है। वहीं हमारी संस्कृति और संस्कार हैं, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिद्धान्त हैं कि जो हमारे पास है हम उसी में खुशी खोजते हैं, संतोषी रहते हुए अच्छे रहते हैं। हमारे युवा दुनिया के श्रेष्ठ युवा हैं, सिर्फ इन्हें हमारी संस्कृति से जोड़ते हुए अच्छा माहौल देने की जरूरत है।

बच्चों को पहले सीखने के लिए तैयार करना होगा
वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर डॉ.सेठ ने कहा कि आजकल बच्चों को सीधे युद्ध में उतार दिया जाता है जबकि उन्हें हथियार चलाना ही नहीं आता। हमें विद्यार्थियों को पहले यह सीखाना होगा कि सीखना कैसे है ? जब तक बच्चे यह नहीं समझेंगे तब तक वे 10 मिनट के काम को 10 घंटे में करेंगे। यदि योद्धा प्रशिक्षित होकर युद्ध लड़ने जायगा तो जीतने की संभावनाएं ज्यादा होगी। इसलिए बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ उनके ध्यान और ठहराव पर फोकस करना चाहिए।

हमें विरासत में मिला ध्यान
डॉ.सेठ ने कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या कंसंट्रेशन हो गई है। बच्चे ध्यान से कोई काम नहीं कर पाते हैं। इसके लिए सबसे जरूरी योग है। जहां-जहां जिन संस्थाओं में बच्चों को योग से जोड़ा गया, उनके परिणाम बेहतर आए। जिन्हें शास्त्रीय संगीत और गायन की शिक्षा दी गई वो ध्यान केन्द्रित करने में काम आई। वर्तमान समय में बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए ये गतिविधियां करना बहुत जरूरी है।

11 मार्च को शुरू हुई थी यात्रा
स्पिक मैके कोटा चैप्टर के अध्यक्ष अशोक जैन ने बताया कि  गत 11 मार्च 2022 को दिल्ली में महात्मा गांधी के समाधी स्थल राजघाट से डॉ. सेठ ने अपनी यात्रा की शुरू की और दिल्ली से अलवर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अहमदाबाद, बड़ौदा, दाहोद, गोधरा, पेटलावद, बदनावर, बड़नगर, उज्जैन और झालावाड़ के बाद अब कोटा पहुंचे हैं। कोटा से आगे डॉ. सेठ अपनी करीब 1500 किलोमीटर की यात्रा पूर्ण करते हुए कोटा से विभिन्न मार्गों से होते हुए समापन दिल्ली में ही करेंगे। डॉ.सेठ कोटा में आगामी तीन दिनों में कई जागरूकता कार्यक्रमों में शामिल होंगे।



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