हाउसिंग बोर्ड : 21 साल से कोटा में नहीं बनाई नई कॉलोनी व मकान

मकानों के इंतजार में लम्बित हैं 201 आवेदन

हाउसिंग बोर्ड : 21 साल से कोटा में नहीं बनाई नई कॉलोनी व मकान

अंटी में न धेला, देखन चली मेला। कोटा शहर में हाउसिंग बोर्ड की यही स्थिति है। पहले मकान बनाने का अधिकतर काम हाउसिंग बोर्ड (आवासन मंडल) करता था। लेकिन अब हालत यह है कि बोर्ड ने करीब 21 साल से शहर में कोई नया मकान या कॉलोनी नहीं बनाई है।

कोटा । अंटी में न धेला, देखन चली मेला। कोटा शहर में हाउसिंग बोर्ड की यही स्थिति है।  पहले मकान बनाने का अधिकतर काम हाउसिंग बोर्ड (आवासन मंडल) करता था।  लेकिन अब हालत यह है कि बोर्ड ने करीब 21 साल से शहर में कोई नया मकान या कॉलोनी नहीं बनाई है। हाउसिग बोर्ड के पास शहर में जमीन का टोटा होने से उनका यह काम अब नगर विकास न्यास कर रहा है। मकानों के ंितजार में हाउसिंग बोर्ड में करीब 201 आवेदन लम्बित हैंं। शहर के अधिकतर क्षेत्रों में पहले  जहां हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनियां बनी हुई हैं। वहीं अब बोर्ड द्वारा नई कॉलोनी व मकान नहीं बनाए जा रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड ने करीब 21 साल पहले वर्ष 2001 में अंतिम कॉलोनी स्वामी विवेकानंद नगर में बनाई थी। उसके बाद से अभी तक हाउसिंग बोर्ड ने शहर में न तो कोई नया मकान बनाया है और न ही कॉलोनी। हाउसिंग बोर्ड का यह काम अब नगर विकास न्यास कर रहा है। न्यास द्वारा शहर में जगह-जगह पर आवासीय योजनाएं बनाई जा रही हैं।  हालत यह है कि कई लोग ऐसे हैं जो हाउसिंग बोर्ड के ही मकान लेना चाहते हैं। लेकिन बोर्ड के पास कोटा में जमीन ही नहीं होने से उन्हें मकान नहीं मिल पा रहे हैं। करीब 201 आवेदन अभी तक बोर्ड में लम्बित हैं।  सूत्रों के अनुसार हाउसिंग बोर्ड में मकानों के लिए आवेदन करने वालों में कई पूर्व सांसद व विधायक भी शामिल है।

यहां है हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी
शहर में हाउसिंग बोर्ड की 17 कॉलोनियां हैं। जिनमें दादाबाड़ी, दादाबाड़ी विस्तार, अम्बेडकर नगर कुन्हाड़ी, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी कुन्हाड़ी, महावीर नगर विस्तार, महावीर नगर परिजात कॉलोनी, रंगबाड़ी, सकतपुरा, वल्लभबाड़ी व स्वामी विवेकानंद नगर की कॉलोनियां शामिल हैं। जानकारों के अनुसार अधिकतर कॉलोनियां नगर निगम को हस्तांतरित हो चुकी हैं। जिनमें विकास कार्य करवाने के लिए बोर्ड निगम को बजट उपलब्ध करवाता है। सिर्ल दो कॉलोनियां अभी तक निगम को हस्तांतरित नहीं हो सकी हैं।

अधिकतर जमीन नगर विकास न्यास की
पहले जहां कोटा शहर में जमीनें हाउसिंग बोर्ड के पास थी। वहीं अब अधिकतर जमीनें नगर विकास न्यास के पास हैं। सूत्रों के अनुसार रानपुर व बोरखेड़ा में हाउसिंग बोर्ड को कुछ जमीन मिलने वाली थी। लेकिन बाद में वे दोनों जमीन भी न्यास के खाते में चली गई। वहीं हाउसिंग बोर्ड की जगह अब भूखंड बेचने व मकान बनाकर बेचने का काम भी नगर विकास न्यास कर रहा है। न्यास द्वारा कई आवासीय योजनाएं बनाई गई हैं।  न्यास में एक शाखा हाउसिग की ही संचालित हो रही है।

विधायक चंद्रकांता मेघवाल के सवाल पर विधानसभा में दिया जवाब
भाजपा विधायक चंद्रकांता मेघवाल ने विधानसभा  में सवाल किया था। जिसमें पूछा था कि क्या आवासन मंडल के पास कोटा शहर में प्रतीक्षारत पंजीकृत आवेदकों को आवास उपलब्ध करवाने के लिए पर्याप्त भूमि उलपब्ध नहीं है। भूमि की अनुपलब्धता के कारण कितने आवेदन लम्बित हैं।  इस पर विभाग ने विधानसभा में जवाब दिया कि  कोटा में प्रतीक्षारत आवेदकों को आवास उपलब्ध करवाने के लिए आवासन मंडल के पास भूमि उपलप्ध नहीं है। भूमि की उपलब्धता के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग में आवासों के लिए 201 आवेदकों की सूची लम्बित है।

इनका कहना है
कोटा में हाउसिंग बोर्ड के पास कोई जमीन ही नहीं है। बोर्ड ने शहर में करीब 21 साल पहले अंतिम कॉलोनी स्वामी विवेकानंद नगर में विकसित की  थी। अब शहर की अधिकतर जमीन नगर विकास न्यास के पास है। इस कारण से मकान बनाने का काम भी न्यास ही कर रहा है। यह काम पहले हाउसिंग बोर्ड करता था। विभाग में मकान व भूखंड के लिए कई लोगों ने पूर्व में ही आावेदन किए हुए हैं। ऐसे कई आवेदन जमीन नहीं होने के कारण लम्बित चल रहे हैं। कोटा में जमीन मिलेगी तो वहां मकान बनाकर आवेदकों को आवटित कर दिए जाएंगे। 
-अनिल सक्सेना, उप आवासन आयुक्त राजस्थान आवासन मंडल कोटा

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