बच्चों पर प्रभावहीन होगी तीसरी लहर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- बिना अस्पताल जाए ही हो जाते हैं ठीक
कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर के दौरान बच्चों के संक्रमित होने के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने सफाई दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ किया है कि सामान्य तौर पर बच्चों में कोरोना लक्षणविहीन होता है और बेहद कम अवसर पर अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है।
नई दिल्ली। कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर के दौरान बच्चों के संक्रमित होने के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने सफाई दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ किया है कि सामान्य तौर पर बच्चों में कोरोना लक्षणविहीन होता है और बेहद कम अवसर पर अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि की कोरोना की लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित नहीं करती है, जिन बच्चों को कोरोना होता है वो ज्यादातर असिमटोमैटिक होते हैं यानी उनमें इस संक्रमण के लक्षण बेहद ही कम होते हैं।
मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक संक्रमित होने वाले बहुत ही कम बच्चों को कभी-कभी अस्पताल में एडमिट करने की जरुरत पड़ती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अगर पूर्ण रूप से स्वस्थ बच्चों को यह संक्रमण होता भी है तो उनकी हल्की तबीयत खराब होती है और वो बिना अस्पताल गए जल्दी ठीक हो जाते हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिन बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत पड़ी थी उन्हें इम्यूनिटी की कमी थी जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।
बच्चों के इलाज को लेकर पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बच्चों में कोरोना से जुड़े भ्रम पर कहा कि बच्चों के इलाज को लेकर पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था की गई है। चाइल्ड केयर को देखते हुए हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। इस संक्रमण से संक्रमित होने वाले बच्चों के केयर और ट्रीटमेंट के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने का प्रयास जारी है। साथ ही 2 से 18 साल के उम्र वाले बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है।
बच्चों को लेकर कोई डाटा नहीं
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया कि देश-दुनिया में ऐसा कोई डेटा नहीं मौजूद है जो कहता हो कि आगामी लहरों में बच्चों पर गंभीर प्रभाव होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि दूसरी लहर के दौरान बच्चे कोरोना संक्रमण के बाद सामान्य बीमारी के बाद ठीक हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, उन्हें या तो पहले कोई बीमारी रही होगी या फिर इम्युनिटी लेवल कम होगा।
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