भारत को किसी का आंख दिखाना मंजूर नहीं, सेना में हर चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता: राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को चीन का नाम लिए बिना कहा कि भारत शांति का पक्षधर है और कभी किसी पर आक्रमण नहीं करता, लेकिन उसे किसी का आंख दिखाना मंजूर नहीं है और उसकी सेना हर तरह की चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता रखती है।
लेह। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को चीन का नाम लिए बिना कहा कि भारत शांति का पक्षधर है और कभी किसी पर आक्रमण नहीं करता, लेकिन उसे किसी का आंख दिखाना मंजूर नहीं है और उसकी सेना हर तरह की चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता रखती है। सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे के साथ लेह और लद्दाख के 3 दिन के दौरे पर गए सिंह ने सोमवार को लद्दाख के कारू सैन्य स्टेशन में सेना की 14वीं कोर के अधिकारियों और जवानों से बात की। बाद में उन्हें संबोधित करते हुए उन्होंने पिछले वर्ष चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए देश के जांबाज सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि मैं सबसे पहले उन सभी जवानों की स्मृतियों को नमन करता हूं, जिन्होंने जून 2020 में गलवान घाटी में देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि यह देश उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेगा उन्होंने सेना द्वारा इस दौरान दिखाए गए शौर्य की सराहना की और कहा कि देश को उस पर गर्व है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के जरिए समस्याओं का समाधान निकालने की इच्छा रखता है लेकिन देश की सुरक्षा के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम विश्वशांति के पुजारी हैं। हम शस्त्र भी धारण करते हैं तो शांति की स्थापना के लिए। भारत ने आज तक किसी भी देश पर न तो आक्रमण किया है न ही किसी भी देश की एक इंच जमीन पर कब्जा किया है। पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के जरिए समाधान निकालने की कोशिश की जानी चाहिए। मंशा साफ होनी चाहिए। हम न तो किसी को आंख दिखाना चाहते हैं, न किसी का आंख दिखाना मंज़ूर है। हमारी सेना में हर चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता है। सशस्त्र सेनाओं को सरकार की ओर से हरसंभव समर्थन का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का विजन है कि सेना का मजबूत होना जरूरी है जिससे कि वह किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रह सके।
सिंह ने कहा कि 14वीं कोर की तीसरी डिवीजन की स्थापना 1962 में भारत-चीन युद्ध के दरमियान हुई थी। स्थापना के कुछ वर्षों में ही 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उसने निर्णायक भूमिका निभाई। कारगिल युद्ध में भी उसके वीरता के कारनामों ने देशवासियों का सिर ऊंचा किया। 14वीं कोर के सैनिकों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आपके वीरतापूर्ण कारनामों की वजह से ही आपको त्रिशूल डिविजन के नाम से अलंकित किया गया है। आज आप भगवान शंकर के त्रिशुल के समान प्रचंड होकर देश की उत्तरी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि सीमा पर उभरती किसी भी परिस्थिति का सामना करने में आप सक्षम हैं। इस मौके पर उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी और 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर इन कमान लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन तथा कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
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