सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी लेनदेन कानून पर वापस लिया अपना फैसला, असंवैधानिक किया था घोषित 

केंद्र सरकार की समीक्षा याचिका स्वीकार कर ली

सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी लेनदेन कानून पर वापस लिया अपना फैसला, असंवैधानिक किया था घोषित 

शीर्ष अदालत ने पाया कि 2016 के संशोधन से पहले असंशोधित अधिनियम की धारा 5 के प्रावधानों को इस आधार पर असंवैधानिक घोषित किया गया है कि वे स्पष्ट रूप से मनमाने हैं।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 के अपने उस फैसले को वापस ले लिया, जिसमें बेनामी लेनदेन निषेध अधिनियम 1988 की धारा 3(2) को असंवैधानिक घोषित किया गया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पार्दीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि असंशोधित बेनामी लेनदेन अधिनियम के प्रावधानों की संवैधानिकता को मूल कार्यवाही में कभी नहीं उठाया गया या इस पर बहस नहीं की गई।
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की समीक्षा याचिका स्वीकार कर ली। पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि बेनामी लेनदेन निषेध अधिनियम 1988 के असंशोधित प्रावधान की धारा 3 (2) को स्पष्ट रूप से मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 20 (1) का उल्लंघन करने के कारण असंवैधानिक घोषित किया गया था। शीर्ष अदालत ने पाया कि 2016 के संशोधन से पहले असंशोधित अधिनियम की धारा 5 के प्रावधानों को इस आधार पर असंवैधानिक घोषित किया गया है कि वे स्पष्ट रूप से मनमाने हैं।

पीठ ने कहा कि यह निर्विवाद है कि असंशोधित प्रावधान की संवैधानिक वैधता को कोई चुनौती नहीं दी गई थी। वास्तव में पीठ के समक्ष विचार के लिए उठे प्रश्न से यह स्पष्ट है कि समीक्षा की अनुमति दी जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि इन परिस्थितियों में हम 23 अगस्त 2022 के फैसले को वापस लेते हैं और समीक्षा याचिका को अनुमति देते हैं। इस तरह सिविल अपील को प्रशासनिक पक्ष पर मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित पीठ के लिए नए सिरे से निर्णय के लिए बहाल किया जाता है।

पीठ ने स्पष्ट किया कि समीक्षा पीठ प्रावधानों की वैधता पर कुछ भी नहीं कह रही थी और मामले को नए सिरे से विचार के लिए छोड़ दिया गया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से मेहता ने तर्क दिया कि फैसले से ही यह स्पष्ट था कि दोनों पक्षों में से किसी ने भी असंवैधानिकता के बारे में कोई दलील नहीं दी। उन्होंने कहा कि फैसले ने असंशोधित प्रावधानों को खारिज कर दिया, जबकि उन्हें 2016 में संशोधित किया गया था। 
शीर्ष अदालत के अगस्त 2022 के फैसले में कहा गया कि बेनामी अधिनियम में 2016 के संशोधन का पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं होगा। तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 के प्रावधानों को खारिज कर दिया, जिसमें तीन साल तक की कैद या जुर्माना लगाया जाता था।

 

Read More आप कब्जा करेंगे और हम बैठकर लॉलीपॉप खाएंगे : ममता 

Tags: court

Post Comment

Comment List

Latest News

 रन फॉर विकसित राजस्थान से  सरकार की पहली वर्ष गांठ के आयोजन की शुरूआत, युवाओं के साथ सीएम ने लगाई दौड़ रन फॉर विकसित राजस्थान से सरकार की पहली वर्ष गांठ के आयोजन की शुरूआत, युवाओं के साथ सीएम ने लगाई दौड़
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि हमारे युवा देश की धरोहर हैं। जब युवा आगे बढ़ेंगे, तो देश-प्रदेश आगे बढ़ेगा...
एयरोड्राम से ईएसआई हॉस्पिटल के बीच बने स्पीड ब्रेकर, नवज्योति के मुद्दा उठाने के बाद भी प्रशासन ने नही दिया ध्यान
आईसीसी टेस्ट गेंदबाजी रैंकिंग में बुमराह शीर्ष पर, जडेजा टॉप ऑलराउंडर, भारत के जायसवाल-पंत टॉप 10 बल्लेबाजों में शामिल 
राजस्थान में क्रोम्स डिजीज का अब तक का सबसे विचित्र केस, जटिल सर्जरी कर बचाई जान
सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए समाज का मिले सहयोग, लोगों में हो कानून का डर : गडकरी
सीरिया में गठबंधन बलों की गोलीबारी में अमेरिकी टोही ड्रोन ढ़ेर , विमान के हिस्सों को किया नष्ट
जेडीए में पीडब्ल्यूसी की बैठक में निर्णय, 66 करोड़ के विकास कार्य किए स्वीकृत