कैसे मनाएं धनतेरस का पर्व
धनतेरस के दिन किसी पवित्र नदी में स्रान करने के उपरांत भगवान धन्वंतरि की पंचोपचार पद्धति से पूजा करें।
धनत्रयोदशी से दीपावली पर्व का प्रारंभ हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के उपरांत धनत्रयोदशी के दिन ही भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत.कलश लिए प्रकट हुए थे। धन्वंतरि भगवान विष्णु के अंशांश अवतार माने जाते हैं। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक कहे जाते हैं। धनतेरस के दिन किसी पवित्र नदी में स्रान करने के उपरांत भगवान धन्वंतरि की पंचोपचार पद्धति से पूजा करें।
सर्वप्रथम एक चौकी पर भगवान धन्वंतरि का चित्र जिसमें वे अमृत-कलश लिए हों, स्थापित करें तत्पश्चात उस चित्र की धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य, आरती से पूजा करें। इस प्रकार धनत्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
भगवान धन्वंतरि की पूजा के उपरांत अपराह्न में नवीन वस्तुओं का क्रय करें। चांदी की कोई वस्तु अवश्य हो। धनत्रयोदशी के दिन चांदी खरीदने से वर्षभर सुख-समृद्धि बनी रहती है। धनत्रयोदशी के दिन सायंकाल यमराज के निमित्त दीपदान करें इसे यम.दीपदान कहा जाता है। घर के मुख्य द्वार के बाहर गोबर का लेपन करें तत्पश्चात् मिट्टी के दो दीयों में तेल डालकर प्रज्ज्वलित करें।
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