दैनिक नवज्योति की खबर पर मुहर : सामान्य पटाखों पर रोक बरकरार रहेगी ग्रीन पटाखों से आतिशबाजी को मंजूरी
दैनिक नवज्योति में सबसे पहले 6 अक्टूबर को दे दी थी जानकारी
जयपुर। राजस्थान में अब प्रदूषण रोकने के लिए सामान्य पटाखों पर तो प्रतिबंध जारी रखा है, लेकिन प्रदेश सरकार ने ग्रीन पटाखों को जलाने और आतिशबाजी करने की मंजूरी दे दी है। प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी के प्रदूषण नियंत्रण के लिए त्योहारों-शादी ब्याह में आतिशबाजी पर रोक लगाने के आदेश दिए थे, जिसकी अनुपालना में सरकार ने प्रदेश में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था। दैनिक नवज्योति ने 6 अक्टूबर के अंक में ‘ग्रीन पटाखों से होगी आतिशबाजी, दिवाली पर प्रदूषण रूकेगा’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर पाठकों को बताया था कि सरकार सामान्य पटाखों पर तो रोक जारी रखेगी, लेकिन आम जन की भावनाओं के साथ हजारों करोड़ के व्यापार और इससे जुड़े रोजगार को बचाने के लिए ग्रीन पटाखों को चलाने की जल्द मंजूरी देगी। तब हमने पाठकों को बताया था कि इसका गृह विभाग ने प्रस्ताव बनाकर सीएम अशोक गहलोत को मंजूरी के लिए भेज दिया है। शुक्रवार को अब गहलोत ने इसे मंजूरी दे दी है। अब प्रदेश में ग्रीन पटाखों से दिवाली सहित अन्य मौकों पर आतिशबाजी की जा सकेगी। हालांकि सरकार ने एनसीआर क्षेत्र में ग्रीन पटाखों के जलाने पर भी रोक बरकरार रखी है, क्योंकि एनसीआर क्षेत्र में आम दिनों में ही प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा रहता है।
एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण काफी ज्यादा, यहां ग्रीन पटाखों पर भी रहेगी रोक
सीएम गहलोत की मंजूरी के बाद गृह विभाग ने जारी किए आदेश
खुशी की लहर: 55 हजार पटाखा विक्रेताओं व 20 लाख लोगों का एक हजार करोड़ का रोजगार बचा
राजस्थान में पटाखों पर प्रतिबंध से एक हजार करोड़ का पटाखा व्यापार ठप हो गया था। पांच हजार स्थाई पटाखा लाइसेंस धारी, 50 हजार अस्थाई लाइसेंस धारी और अप्रत्यक्षत: पटाखों के व्यापार से 20 लाख लोगों का रोजगार छीन गया था। पटाखों पर प्रतिबंध से यह आर्थिक संकट मंडराने से मायूस थे। अब सरकार के ग्रीन पटाखों के बेचान से इन्हें भी फिर से सामान्य की जगह इन ग्रीन पटाखों से व्यापार फिर से पटरी पर आने की उम्मीदें धरातल पर साकार हो गई है। व्यापारियों के साथ आम जनता में भी आतिशबाजी की रियायत मिलने से खुशी की लहर है।
नीर-सीएसआईआर की मंजूरी जरुरी होगी, ग्रीन पटाखों की पहचान भी आसान होगी
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआईआर)और नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट(नीर ) के वैज्ञानिकों ने ग्रीन पटाखों का फाूर्मला दो साल पहले ईजाद किया था। देश में जिन पटाखा फैक्ट्रियों के पास सीएसआईआर-नीर का ग्रीन पटाखा उत्पादन का लाइसेंस होगा, उसी कंपनी के पटाखों का बेचान हो सकेगा। प्रदेश में अभी 12 पटाखा उत्पादकों को यह प्रमाण पत्र दे दिया है। पटाखे ग्रीन रंगे के होंगे। पटाखों के बार-कोर्ड से इनके निर्माता और निर्माण के लाइसेंस का आसानी से पता लग सकता है। फर्जी बेचान पर अंकुश रहेगा।
महंगे होंगे, जलने पर प्रदूषण कम और खुशबू बिखेरेंगे
देश में अभी मात्र 500 के करीब पटाखा फैक्ट्रियां ही ग्रीन पटाखों का उत्पादन कर रही हैं। वहीं वैज्ञानिक आधार पर निर्माण के चलते इनकी कीमत भी आम पटाखों से ज्यादा होगी। इसके चलते बाजार में आम पटाखों से करीब दोगुनी कीमत होगी। आम पटाखों के जलने पर होने वाले प्रदूषण के मुकाबले इन पटाखों में एक तिहाई ही प्रदूषण होगा। आम पटाखों के जलने पर सल्फर डाई आक्साइड और नाइट्रेजन ड्राई ऑक्साइड उत्सर्जित होता है जो हवा में घुलकर प्रदूषण पैदा करते हैं। वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को घटाते हैं। इन पटाखों के जलने के बाद पानी की बूंदे या कण पैदा होंगे। सेफ वॉटर रिलीजर नाम के ग्रीन पटाखों से थोड़ा बहुत नाइट्रोजन-सल्फर निकलेगा, वह पानी की बूंदें सोख लेंगी। वहीं स्टार क्रेकर नाम के अन्य पटाखों से निर्माण में ऑक्सीडाइजिंग एजेंट काम में लिया जाता है। इससे सल्फर-नाइट्रोजन न्यून मात्रा में ही पैदा होगी। इसी तरह अन्य ग्रीन पटाखों में 50-60 फीसदी एल्यूमीनियम का कम इस्तेमाल होने से जलने पर प्रदूषण कम होगा। वहीं अरोमा क्रेकर्स नाम के ग्रीन पटाखों के जलने पर धुंआ की जगह खुशबू आएगी।
आतिशबाजी का समय तय : दिवाली पर रात 8 से 10 बजे चला सकेंगे
ग्रीन पटाखों को चलाने की समयावधि भी सरकार ने तय की है। इसके तहत दिवाली पर रात 8 से 10 बजे तक आतिशबाजी की जा सकेगी। इसके अलावा क्रिसमस व नव वर्ष पर रात 11.55 से 12.30, गुरु पर्व पर रात 8 से 10 बजे तक, छठ पर्व पर सुबह 6 से प्रात: 8 बजे तक ग्रीन पटाखे चलाए जा सकेंगे। अन्य पर्वों-अवसरों पर गृह विभाग ग्रीन पटाखे चलाने के अलग से समयावधि, दिशा-निर्देश तय करेगा।
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