राजस्थान में विधान परिषद का होगा गठन, मंत्रिपरिषद ने किया प्रस्ताव पारित, संसद की स्टैडिंग कमेटी ने मांगी थी राय
राजस्थान में विधान परिषद के गठन की प्रक्रिया ने गति पकड़ ली है। राज्य मंत्रिपरिषद ने बुधवार को इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित कर दिया। यह प्रस्ताव संसद की स्टैंडिंग कमेटी के सुझाव पर पारित किया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में विधान परिषद का गठन सर्वसम्मति से संविधान के प्रावधान के अनुरूप करने के लिए राज्य सरकार के अभिमत से अवगत कराने का निर्णय किया गया है।
जयपुर। राजस्थान में विधान परिषद के गठन की प्रक्रिया ने गति पकड़ ली है। राज्य मंत्रिपरिषद ने बुधवार को इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित कर दिया। यह प्रस्ताव संसद की स्टैंडिंग कमेटी के सुझाव पर पारित किया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में विधान परिषद का गठन सर्वसम्मति से संविधान के प्रावधान के अनुरूप करने के लिए राज्य सरकार के अभिमत से अवगत कराने का निर्णय किया गया है। भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय ने राजस्थान विधानसभा में 18 अप्रैल 2012 को पारित हुए विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी की ओर से इस प्रस्ताव पर सुझाव दिया गया था। अगर रविधान परिषद का गठन होता है, तो राजस्थान आठवां राज्य होगा।
राजस्थान विधानसभा में करीब नौ साल पहले वर्ष 2012 विधान परिषद का संकल्प भारी बहुमत से पारित किया गया था। इसके लिए 156 में से 152 विधायकों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था। उस दिन माना जा रहा था कि राजस्थान में विधान परिषद का मार्ग प्रशस्त हो गया। लेकिन नौ साल बाद भी परिषद का गठन नहीं हो सका। अब राजस्थान सरकार ने एक बार फिर कवायद शुरू की है। राजस्थान विधानसभा में विधान परिषद गठन का प्रस्ताव मत विभाजन की प्रक्रिया के जरिए भारी बहुमत से पारित हुआ था। हालांकि उस दिन 18 अप्रैल, 2012 को सदन में मौजूद माकपा के तीन सदस्यों और निर्दलीय विधायक गोलमा देवी ने इसका विरोध किया था। उस दिन सदन में संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कार्य संचालन सूची में शिथिलता देते हुए इस प्रस्ताव को पहले पेश करने की अनुमति मांगी थी।
आसन ने प्रस्ताव पेश होने के बाद लिखित में मतविभाजन की घोषणा की थी। इसके लिए सभी सदस्यों को सदन में मौजूद रहने के लिए घंटी बजा कर बुलाया गया था। विधानसभा अधिकारियों ने हर सदस्य की सीट पर जाकर उनसे प्रपत्र पर पक्ष और विरोध में हस्ताक्षर करवाए थे। गणना के बाद ने परिणाम बताए गए थे। इसमें पक्ष में 152 और विरोध में चार वोट होने की जानकारी दी गई थी और प्रस्ताव के पारित होने की घोषणा की गई थी। वर्ष 2013 में केन्द्रीय कैबिनेट ने भी राजस्थान में विधान परिषद के गठन की मंजूरी दी थी।
मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में पीसीसी चीफ और शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि विधान परिषद् का प्रस्ताव सर्वसम्मति से लिया गया है। केंद्र सरकार लगातार विधानपरिषद् के मामले को टाल रही थी। इसकी चिट्ठी अब दोबारा भेजने को लेकर कैबिनेट की बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव लिया गया है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि लोगों और कार्यकर्ताओं को मौका मिले, इसके लिए विधान परिषद् बने। कांग्रेस की सरकार ने इसी को लेकर पहले भी फैसला किया था, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार विधान परिषद के प्रस्ताव को लगातार बार-बार टालती आ रही है। डोटासरा ने कहा कि हम बीजेपी के नेताओं से आग्रह करेंगे कि वे केंद्र से सहयोग दिलाएं, ताकि राजस्थान में विधान परिषद का जल्द से जल्द गठन किया जा सके। हम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ सभी 25 सांसद और कैबिनेट मंत्री बने भूपेंद्र यादव से भी आग्रह करेंगे कि वह जनता के हित और आवश्यकताओं के लिए विधान परिषद के गठन में सहयोग दें।
2008 में भी लाया गया था प्रस्ताव
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पहली सरकार में वर्ष 2008 में भी विधान परिषद का प्रस्ताव लाया गया था। विधान परिषद का संकल्प पारित होने के बाद इसे संसद की मंजूरी के लिए भेजा गया था। अगर राजस्थान में विधान परिषद का गठन होता है तो विधानसभा के सदस्यों की संख्या के आधार पर विधान परिषद के सदस्यों की संख्या 66 होगी।
Comment List