रेजिडेंट्स डॉक्टर्स की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी, मरीज हो रहे परेशान

रेजिडेंट्स डॉक्टर्स की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी, मरीज हो रहे  परेशान

पूरा मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में

जयपुर। नीट कॉउंसलिंग में देरी का विरोध कर रहे देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर्स के समर्थन में प्रदेश के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने भी सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। ये कार्य बहिष्कार मंगलवार को लगातार तीसरे दिन भी जारी है। ऐसे में मरीजों की परेशानी फिलहाल काम होती दिखाई नहीं दे रही है।


जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स की ओर से आज मंगलवार को भी एसएमएस अस्पताल सहित एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े अन्य अस्पतालों में सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार किया जा रहा है। इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर रेजिडेंट्स सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार पर हैं। अस्पताल में हर दिन करीब 10 हजार की ओपीडी है। हर विभाग में तीन से चार सीनियर डॉक्टर के बाद 5 से 6 रेजिडेंट्स पर इन मरीजों के उपचार का जिम्मा होता है, लेकिन  अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार से सारी सेवाएं बाधित हो रही हैं। मरीजों को इलाज में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर जहां ओपीडी में मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है और घंटों इंतजार के बाद भी नंबर नही आने के कारण बिना इलाज ही मरीज वापस लौटने पर मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों में महंगे दामों पर इलाज के लिए जाना पड़ रहा है।  हालांकि सीनियर डॉक्टरों ने मोर्चा संभाल रखा है लेकिन मरीजों की भीड़ के आगे मुट्ठी भर सीनियर डॉक्टर नाकाफी साबित हो रहे हैं।


कोर्ट में चल रहा है मामला:
 रेजिडेंटस नीट पीजी काउंसलिंग को लेकर हो रही देरी पर विरोध जता रहे हैं, जबकि यह पूरा मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट ने मामले में 6 जनवरी की तारीख दी है। इसके बाद फेडरेशन ऑफ आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने घोषणा कर दी कि काउंसलिंग में देरी होने पर देशभर में रेजिडेंट कार्य बहिष्कार करेंगे।


जार्ड अध्यक्ष अमित यादव ने बताया कि केंद्र सरकार पीजी कॉउंसलिंग को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रही है। कोर्ट में तारीख लेने की बजाय इस पर केंद्र सरकार को इस मामले पर फैसले की कोशिश करनी चाहिए। इसी विरोध में फेडरेशन ऑफ आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन की घोषणा के बाद संपूर्ण राजस्थान के मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर्स विरोध कर रहे हैं। आंदोलन और भी तेज किया जा सकता है। उनका कहना है कि अभी दो बैच के रेजिडेंटस पर कार्यभार है। यह इतना ज्यादा है कि रेजिडेंट्रस मानसिक परेशानियों से गुजर रहे हैं। यदि नीट पीजी काउंसलिंग पूरी होती है तो रेजिडेंट्स का एक और बैच मिलने से कार्यभार कम होगा।

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