विश्व दिव्यांग दिवस की रात का लाइव: दिन में मंत्रीजी ने बांटी स्कूटियां, वहीं डेढ़ महीने से धरने पर बैठे विशेष योग्यजन की सुनने वाला कोई नहीं
सर्द रात में खुले आसमान के नीचे सो रहे दिव्यांग, धरना स्थल पर ना ही कोई शौचालय है और ना ही पानी की व्यवस्था
जयपुर। एक तरफ राज्य सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अंतरराष्टÑीय दिव्यांग दिवस पर दस दिव्यांगों को स्कूटी बांट रहे थे, वहीं दूसरी ओर डेढ़ माह से अपनी मांगों को लेकर दिव्यांग विशेष योग्यजन निदेशालय के बाहर धरने पर बैठे दिव्यांगजनों की कोई भी सुध नहीं ले रहा। सर्द रात में भी उन्हें खुले आसमान के नीचे सोना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, धरना स्थल पर ना ही कोई शौचालय है और ना ही पीने के पानी की व्यवस्था। खुले में शौच और तीन सौ मीटर दूर से पानी लाकर पीने के बावजूद ये दिव्यांग डेढ़ महीने से यहीं हैं। दिव्यांग जनक्रांति सेना के बैनर तले पेंशन वृद्धि, रोजगार समेत छह मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं। धरने को लेकर मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर विचार कर रही है, लेकिन प्रक्रिया में समय लगता है। हमारे विभाग की भी सीमा है। हम तुरंत में सभी मांगे पूरी नहीं कर सकते।
कम से कम इतने पैसे तो दे जिससे पेट भर पाएं
धरने में पाली जिले के इंसाफ भी शामिल हैं। वे खुद से चल-फिर नहीं पाते हैं। बचपन में हुई एक दुर्घटना के बाद उनके हाथ, पैर और रीढ़ की हड्डी ने काम करना बंद कर दिया है। वे कहते हैं कि हम पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर धरना देने आए हैं। हमें अभी साढ़े सात सौ रुपये मिलते हैं। इतने रुपयों में पेट कैसे भरेगा? सरकार कम से कम इतने पैसे तो दे जिससे पेट भर पाएं।
बैंक से लोन लेना चाहा लेकिन मिला नहीं
बाड़मेर के नैनाराम इंसाफ और उनके जैसे और दिव्यांगों को शौचालय जाने और बाकी कामों में मदद करते हैं। वे चल-फिर सकते हैं इसलिए गंभीर दिव्यांगों की मदद करते हैं। धरना स्थल पर पानी और जरूरी सामान लाने की जिम्मेदारी भी नैनाराम की ही है। 2006 में उन्हें पैरालिसिस हो गया था। अब उनके दोनों पैरों में कैलिपर लगा है। अब वे सिलाई-कढ़ाई का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि बाड़मेर में उन्होंने नैना फैशन नाम की एक दुकान भी खोली थी। बैंक से लोन लेना चाहा लेकिन लोन मिला नहीं। इसलिए दुकान बंद हो गई।
पेंशन बढ़ जाएगी तो पढ़ना आसान हो जाएगा
चौबीस साल के भगवान बाड़मेर से हैं। वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। रीट परीक्षा में 150 में से 116 नम्बर आए हैं। वे कहते हैं कि मैं पढ़ना चाहता हूं, लेकिन पेंशन राशि इतनी कम है कि उससे कोचिंग की फीस दे पाना संभव नहीं है। घर वाले उतने सक्षम नहीं है। इसलिए धरने पर बैठा हूं। पेंशन बढ़ जाएगी तो पढ़ना आसान हो जाएगा। फिर शायद नौकरी भी मिल जाएगी।
हमारी भी सीमा है, तुरंत सभी मांगें पूरी नहीं कर सकते हैं : मंत्री टीकाराम जूली
ये है दिव्यांगों की मांगें
रोजगार
पेंशन में बढ़ोतरी
दिव्यांग कर्मियों का गृह जिले में स्थानांतरण
शिक्षा विभाग समायोजन में दिव्यांगों को निवास से दूर न भेजा जाए
पदोन्नति में चालीस प्रतिशत दिव्यांगताधारी व इससे ऊपर सभी को शामिल किया जाए
सरकारी नौकरी भर्ती को सभी वर्गों को शामिल कर पद सृजित कर संख्या दर्शायी जाए।
मुझे तीन दिसंबर को धरने की सूचना मिली। मैंने अधिकारियों से उनसे बातचीत के लिए कहा है। सरकार उनकी मांगों पर विचार कर रही है लेकिन प्रक्रिया में समय लगता है। हमारे विभाग की भी सीमा है। हम तुरंत में सभी मांगे पूरी नहीं कर सकते। -टीकाराम जूली, मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता
फरवरी में बनी थी कमेटी, अब तक मात्र एक बैठक
विकलांग जनक्रांति सेना ने इसी साल फरवरी में भी इन्हीं मांगों को लेकर आंदोलन किया था। उस समय तत्कालीन सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह यादव ने एक कमेटी बनाई थी, जिसमें विभाग के सचिव समेत दिव्यांगों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। कमेटी की अब तक मात्र एक बैठक हुई। बैठक में हमें आश्वासन दिया गया कि सभी विभागों से रिक्तियां मंगवाएंगे और मांगे पूरी की जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हमने बैठक के बाद भी मंत्री जी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। फरवरी में बनी कमेटी का कोई परिणाम नहीं निकला है। इसलिए हम दुबारा आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन तभी समाप्त होगा जब हमारी सभी मांगे पूरी होगी। -सत्येंद्र सिंह, अध्यक्ष, विकलांग जन क्रांति
हम जल्द ही इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। दिव्यांग सोमवार को मंत्री जी से मिलने वाले हैं। उम्मीद है उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई के बाद धरना शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा। -समित शर्मा, सचिव, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग
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