500 रुपए का जुर्माना कराओ, ‘राजस्थान सरकार’ लिखकर सरपट दौड़ाओ
सरकारी कार्यालय में लगी टैक्सियों पर हो रहा गलत उपयोग, लिखने का अधिकार नहीं पर कार्रवाई का भी नहीं है नियम
जयपुर। राजस्थान में सड़कों पर कारों-गाड़ियों पर लाल पट्टी में राजस्थान सरकार लिखकर टैक्सी और घरेलू गाड़ियां दौड़ा सकते हैं..... बात अचंभित करने वाली है, लेकिन ऐसा ही हो रहा है। कानून में ऐसे लोगों पर कोई सख्त कार्रवाई का प्रावधान नहीं है। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस इन पर केवल 500 सौ रुपए ही जुर्माना कर सकते हैं। मोटर व्हीकल एक्ट में भी सख्त कार्रवाई का कोई नियम-कायदा नहीं है। इसलिए केवल जयपुर में ही विभिन्न विभागों के अफसरों की ड्यूटी में ठेके पर लगी टैक्सियां धड़ल्ले से लाल पट्टी और उस पर राजस्थान सरकार या ऑन गवर्नमेंट ड्यूटी लिखकर ठेके के ड्राइवर इन्हें ड्यूटी के बाद भी सरपट दौड़ा रहे हैं।
नंबर प्लेट के अलावा कुछ नहीं लिख सकते
मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार वाहन पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के अलावा कुछ भी नहीं लिख सकते हैं, लेकिन गाड़ियों की प्लेट व शीशे पर विभिन्न शब्द लिखे होते हैं। वहीं कई वाहनों पर तो नंबर प्लेट भी फैंसी लगी रहती है। इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। टैक्सी वाहनों की नंबर प्लेट भी पीले रंग की होना चाहिए, जबकि यहां सफेद रंग की नंबर प्लेट लगाकर चलते है।
मोटर व्हीकल एक्ट में क्या है प्रावधान
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा-177 के तहत गाड़ी पर राजस्थान सरकार लिखने पर मात्र 500 रुपए का जुर्माना लेने का अधिकार है। हालांकि मौखिक रूप से परिवहन-यातायात पुलिस कार ड्राइवर या मालिक को कहती है कि इसे हटाएं, लेकिन ना हटाएं तो कोई कार्रवाई नहीं कर सकते। ज्यादा से ज्यादा फिर से पकड़े जाने पर फिर जुर्माना ही हो सकता है।
सरकारी ड्यूटी का हवाला, नहीं होता ज्यादातर पर जुर्माना
गाड़ी पर ‘राजस्थान सरकार’ लिखा होता है। इसलिए परिवहन और यातायात पुलिस भी कार्रवाई नहीं करती है। कई विभागों में इन टैक्सियों को अनुबंध पर लगा रखा है। इन वाहनों की नंबर प्लेट पर लाल पट्टी लगाने के साथ ही राजस्थान सरकार भी लिख दिया जाता है। परिवहन विभाग के फील्ड में कार्यरत अधिकारियों का कहना है कि गाड़ी पकड़ते भी हैं तो ड्राइवर जिस अधिकारी के गाड़ी होती है, उससे फोन पर बात कराके जुर्माने से भी बच निकलते हैं।
बिना रजिस्ट्रेशन एग्रीकल्चर श्रेणी के ट्रॉली, कॉमर्शियल में उपयोग
व्हीकल एक्ट में नियम है कि एग्रीकल्चर काम में आने वाली ट्रेक्टर ट्रॉलियों के रजिस्ट्रेशन नहीं होते हैं। इसका फायदा उठाकर कई ट्रैक्टर ट्रॉलियों कॉमर्शियल उपयोग में ली जाती हैं। पकडेÞ जाने पर वे इसे एग्रीकल्चर में काम आने की बात कहकर बच निकलते हैं। हालांकि बिना टैक्स जमा कराए कॉमर्शियल उपयोग पर 8500 रुपए के चालान का प्रावधान है, लेकिन जिनकी कॉमर्शियल होने पर जुर्माना राशि काटी जाती है, उनका रजिस्ट्रेशन पाबंद करने की शक्तियां भी नहीं है।
एक्ट के अनुसार टैक्सी या निजी वाहनों पर हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट के अलावा कुछ भी नहीं लिखा जा सकता है। यह एक्ट का उल्लंघन है। नियमों के तहत परिवहन विभाग कार्रवाई करता है। - राकेश वर्मा, आरटीओ, जयपुर
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