सकल दिगम्बर जैन समाज के सामूहिक क्षमापना समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल ने कहा जैन समाज हैं सेवा में अग्रणी

महावीर स्कूल में  32 दिन, 16 दिन एवं 10 दिन के उपवास करने वाले 125 त्यागीव्रती तपस्वियों का अभिनन्दन किया

सकल दिगम्बर जैन समाज के सामूहिक क्षमापना समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल ने कहा जैन समाज हैं सेवा में अग्रणी

आचार्य शशांक सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि क्षमा तो दिल की वसीयत है हर दिल की नसीयत है। जीवन में सबसे बडी त्याग तपस्या के लिए जैन धर्म का ही नाम सर्व प्रथम आता है।

जयपुर। जैन धर्म में क्षमा याचना का बहुत बड़ा महत्व है। क्षमा मांगने एवं क्षमा करने से आपसी सम्बन्धों में मधुरता आती है। क्षमा याचना से मानसिक शांति मिलती है। आध्यात्मिक विकास में मदद मिलती है। समाज में सदभावना फैलती है। ये विचार मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने महावीर स्कूल में राजस्थान जैन सभा जयपुर के तत्वावधान में आयोजित सकल दिगम्बर जैन समाज के सामूहिक क्षमापना समारोह में व्यक्त किये।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने शिक्षा, चिकित्सा, सहायता, मानव व समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए जैन समाज की प्रशंसा की। उन्होंने सभी मुनिराजों को नमन वन्दन करते हुए पूरे समाज से गत वर्ष की गलतियों के लिए क्षमा याचना की। आचार्य शशांक सागर महाराज के मुख्यमंत्री निवास में सामूहिक क्षमापना समारोह मनाने के आव्हान पर उन्होंने सभी संतों को मुख्यमंत्री निवास में पधारने का निमंत्रण दिया। इस मौके पर समाज की मांग पर सामाजिक कार्यों एवं छात्रावास के लिए जमीन उपलब्ध करवाने का आश्वासन भी दिया। सभी साधु संतों को विहार में सुरक्षा एवं राजकीय अतिथि घोषित करने के आदेशों की भी जानकारी दी। 

सकल दिगम्बर जैन समाज का सामूहिक क्षमापना समारोह आचार्य शशांक सागर महाराज, मुनि पावन सागर महाराज, मुनि समत्व सागर महाराज, मुनि अर्चित सागर महाराज सहित 7 दिगम्बर जैन संतों के सानिध्य में महावीर स्कूल में सम्पन्न हुआ । इस मौके पर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, सांसद मंजू शर्मा, मालवीय नगर विधायक काली चरण सराफ सहित बडी संख्या में जैन बन्धु शामिल हुए। 

राजस्थान जैन सभा द्वारा सी स्कीम स्थित महावीर स्कूल में आयोजित इस अभिनन्दन समारोह में दस दिन एवं उससे अधिक दिनों के उपवास करनेवाले 125 त्यागी व्रती तपस्वियों का अभिनन्दन किया गया। आचार्य शशांक सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि क्षमा तो दिल की वसीयत है हर दिल की नसीयत है। जीवन में सबसे बडी त्याग तपस्या के लिए जैन धर्म का ही नाम सर्व प्रथम आता है। मुनि पावन सागर महाराज ने प्रवचन में कहा कि क्षमा कायरों का नहीं वीरों का आभूषण है। देश का उद्धार चाहते हैं तो हमें एक होना पडे़गा। हिन्दू शब्द की परिभाषा बताते हुए कहा कि जो हिंसा से दूर रहता है वह ही हिन्दू है।

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मुनि समत्व सागर महाराज ने प्रवचन में कहा कि हमें भगवान महावीर के सिद्धांतों को अपनाना होगा, तब ही वैचारिक विकास एवं राष्ट्रीय विकास होगा। जीओ और जीने दो सहित अहिंसा, शाकाहार के सिद्धांतों को मजबूती प्रदान करनी होगी। भगवान महावीर ने तो एक ही बात कही है कि किसी का बुरा मत सोचो। मुनि अर्चित सागर महाराज ने कहा कि क्षमा आज से नहीं अनन्तकाल से चली आ रही है। 

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इससे पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा एवं अन्य सभी अतिथियों ने श्रीफल भेट कर सभी संतों से आशीर्वाद प्राप्त किया। मुख्यमंत्री ने सभी अतिथियों को साथ लेकर भगवान महावीर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर औपचारिक रूप से समारोह का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री का राजस्थान जैन सभा की ओर से तिलक, माला, शाॅल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया ।

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