कांग्रेस के टिकट फॉर्मूलें में पहली बार ब्राह्मण और अल्पसंख्यक को टिकट नहीं
दल बदल का नजारा भी रोचक
लोकसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस ने राजस्थान में कई चौंकाने वाले फैसले लिए हैं। कांग्रेस के अब तक घोषित टिकट में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक भी अल्पसंख्यक और ब्राह्मण चेहरे को मौका नहीं दिया।
जयपुर। लोकसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस ने राजस्थान में कई चौंकाने वाले फैसले लिए हैं। कांग्रेस के अब तक घोषित टिकट में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक भी अल्पसंख्यक और ब्राह्मण चेहरे को मौका नहीं दिया। कांग्रेस ने इस बार केवल तीन महिलाओं को मौका दिया है, जबकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में पांच और चार महिलाओं को मौका मिला था। जयपुर शहर सीट पर हर बार ब्राह्मण चेहरा रहता है, लेकिन इस बार ब्राह्मण चेहरे सुनील शर्मा को पहले प्रत्याशी बनाया और बाद में टिकट बदलकर प्रताप सिंह खाचरियावास को दे दिया।
इससे ब्राह्मण समाज में नाराजगी बनी हुई है। अजमेर सीट पर रघु शर्मा और राजसमंद व भीलवाड़ा में भी किसी ब्राह्मण चेहरे की उम्मीद लगाई जा रही थी, लेकिन कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। पहली बार कांग्रेस में ऐसा हुआ है कि किसी भी अल्पसंख्यक नेता को टिकट नहीं दिया। पिछले चुनाव 2019 में चूरू से रफीक मंडेलिया, 2014 लोकसभा चुनाव में टोंक-सवाई माधोपुर से मोहम्मद अजहरूद्दीन को टिकट दिया था।
दल बदल का नजारा भी रोचक
चूरू सीट पर भाजपा सांसद राहुल कस्वां को कांग्रेस ने टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस के पूर्व सांसद महेन्द्रजीत मालविया को भाजपा ने डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट से टिकट देकर मुकाबला रोचक बनाया है। नागौर से चुनाव लड़ रही भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा इसी सीट से पहले कांग्रेस से चुनाव लड़ चुकी। नागौर में जब ज्योति मिर्धा कांग्रेस से चुनाव लड़ी तो आरएलपी पार्टी के हनुमान बेनीवाल भाजपा के गठबंधन में थे और इस बार स्थिति उलट है। मिर्धा भाजपा से और बेनीवाल ने कांग्रेस से गठबंधन किया है।
जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश
कांग्रेस ने अपने ओबीसी के मुद्दे को देखते हुए सबसे ज्यादा जाट समुदाय के नेताओं को टिकट दिया है। इनमें छह कांग्रेस के और दो गठबंधन दलों के प्रत्याशी हैं। ओबीसी की माली जाति में भी एक टिकट दिया है। युवा कार्ड खेलते हुए अनिल चौपड़ा जयपुर ग्रामीण, ललित यादव अलवर, वैभव गहलोत जालोर-सिरोही को मौका दिया गया है।
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