अभी किराए पर ही उड़ान, डेढ़ साल बाद मिलेंगे हेलिकॉप्टर-विमान
टेंडर से कंपनी चयन, मोडिफिकेशन और ट्रेनिंग की लंबी प्रक्रिया
मल्टी टरबाइन जेट और चार सीटर हेलिकॉप्टर अगली सरकार में ही उपयोग आएंगे
जयपुर। राजस्थान सरकार का हवाई बेड़ा अभी पूरी तरह से खाली है। एक विमान और हेलिकॉप्टर खरीद के टेंडर हो चुके हैं, लेकिन अभी डेढ़ साल सरकार को इनके आने का इंतजार करना ही पड़ेगा। ऐसे में फिलहाल सरकार की वीवीआईपी उड़ान के लिए किराए के विमान-हेलिकॉप्टर ही काम में लेने होंगे। प्रदेश के सिविल एविएशन विभाग वीवीआईपी उड़ान के लिए गुजरात की तर्ज पर 200 करोड़ का एक 10 सीटर मल्टी-टरबाइन अत्याधुनिक सुविधाओं से लबरेज जेट विमान और चार सीटर 30 करोड़ का हेलिकॉप्टर खरीद रहा है। टेंडर गत दो मार्च को हो गए हैं, अप्रैल में कंपनियों का चयन तो हो जाएगा, लेकिन इनके हवाई-बेड़े में लैंड होने में करीब डेढ़ साल का समय लगेगा यानी डिलेवरी चुनावों के वक्त तक ही हो पाएगी। ऐसे में इनका उपयोग अगली सरकार के वक्त ही हो पाएगा।
7 साल में 100 करोड़ सेवाओं पर खर्च
हवाई बेड़े में वीवीआईपी उड़ान के लिए सात साल से विमान-हेलिकॉप्टर नहीं है। इस समयावधि में किराए के विमान-हेलिकॉप्टर से ही वीवीआईपी उड़ान का काम चल रहा है। हर साल औसतन 18-20 करोड़ रुपए विमान सेवाओं पर खर्च होते हैं। पिछले दो साल महामारी के चलते राशि काफी कम खर्च हुई है। इस हिसाब से करीब सौ करोड़ रुपए अब तक किराए की उड़ान पर खजाने से खर्च हुए हैं। अभी डेढ़ साल और किराए पर ही विमान सेवा चलेगी। ऐसे में 27-30 करोड़ और खर्च होने का आंकलन है।
खुद के सरकारी बेड़े में समय यूं लगेगा
टेंडर की अंतिम तारीख के बाद कंपनियों से प्रजेंटेशन लिया जाएगा। फिर तकनीकी और फाइनेंशियल बिड़ खोली जाएगी, जिस कंपनी के हेलिकॉप्टर-विमान पर बात बनेगी, उनमें अत्याधुनिक सेवाओं के लिए सिविल एविएशन की तकनीकी कमेटी मैन्यूफेक्चरिंग कराएगी। इसके बाद मेंटिनेंस के लिए इंजीनियरों की टीम को और पायलटों को उड़ान के लिए विक्रेता कंपनी तीन माह की ट्रेनिंग देगी। इसके बाद डायरेक्टर जनरल आॅफ सिविल एविएशन की उड़ान को हरी झंडी मिलने की प्रक्रिया होगी। तब प्रदेश में वीवीआईपी उड़ान के लिए विमान मिलेंगे।
महामारी ने रोकी थी पिछली खरीद
गहलोत सरकार ने कोरोना महामारी शुरू होने से ठीक पहले फ्रांस की डेशो एविएशन कंपनी से मिड साइज 12 सीटर जेड विमान खरीद का निर्णय लिया था, लेकिन प्रस्ताव को महामारी के चलते सीएम ने मंजूर नहीं किया था।
18 अप्रैल तक कंपनियों से टेंडर मांगे हैं। कंपनी चयन के बाद मोडिफिकेशन, ट्रेनिंग सहित अन्य कार्यों के बाद प्रदेश को मिलने में समय लगेगा।
-जितेन्द्र कुमार उपाध्याय, शासन सचिव, सिविल एविएशन विभाग

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