World CML Day: एक प्रकार का ब्लड कैंसर, जल्द पहचान से इलाज संभव
सामान्य लक्षणों से शुरू होती यह गंभीर बीमारी
जीन में असंतुलन से क्रॉनिक मायलाइड ल्यूकिमिया होने का खतरा
जयपुर। शरीर के जीन में असंतुलन कई बीमारियों का कारण बन सकता है, जिनमें से एक है क्रॉनिक मायलाइड ल्यूकिमिया यानी सीएमएल। यह एक प्रकार का ब्लड कैंसर है, जो शुरुआती तौर पर सामान्य लक्षणों के साथ सामने आता है, लेकिन समय पर पहचान और इलाज न होने पर यह गंभीर स्थिति में यह जानलेवा हो सकता है। इसलिए इस बीमारी के लक्षणों की पहचान और जागरुकता जरूरी है।
जीन में असंतुलन है बड़ा कारण
भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल के सीनियर हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. उपेंद्र शर्मा ने बताया कि हमारे शरीर में 46 क्रोमोजोम्स होते हैं जिनमें जीन स्थित होते हैं। जब 22 नंबर पर स्थित बीसीआर जीन और 9 नंबर पर स्थित एबीएल जीन आपस में स्थान बदल लेते हैं तो रक्त कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होना शुरू हो जाती है, जिससे सीएमएल का विकास होता है। हालांकि इस बीमारी का कोई स्पष्ट कारण नहीं है लेकिन प्रदूषण, रेडिएशन और कुछ केमिकल्स के संपर्क में आने से इसका खतरा बढ़ सकता है। यह बीमारी युवाओं और बुजुर्गों दोनों को प्रभावित कर सकती है।
सामान्य लक्षणों से शुरू होती है बीमारी
सीएमएल के शुरुआती लक्षण आमतौर पर सामान्य होते हैं। इनमें थकान, खून की कमी, अचानक वजन कम होना, बार-बार बुखार आना, पसीना अधिक आना, भूख कम होना, पेट में सूजन और तिल्ली का बढ़ना शामिल हैं। सीएमएल की पहचान के लिए सीबीसी, बोन मैरो टेस्ट और मॉलीक्यूलर टेस्ट किए जाते हैं।
टारगेटेड थैरेपी से मिल रही सफलता
डॉ. उपेंद्र ने बताया कि सीएमएल का शुरुआती चरण में पता चलने पर इसे प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। शुरुआती अवस्था में इस बीमारी को रोजाना एक या दो गोलियों के सेवन से डायबिटीज और बीपी की तरह नियंत्रित किया जा सकता है। जहां 15-20 साल पहले यह बीमारी जानलेवा होती थी वहीं अब दवाओं, डॉक्टरी परामर्श और नियमित जांचों के माध्यम से इसे काबू में रखा जा सकता है। इसके इलाज में टारगेटेड थैरेपी का इस्तेमाल सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
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