पाकिस्तान को ब्रिक्स में सदस्य बनाने का राष्ट्रपति पुतिन ने किया समर्थन
पाकिस्तान खुलकर भारत का विरोध करता है
रूस ने यह कदम भारत की कीमत पर उठाया है। विश्लेषकों का कहना है कि चीन के दबदबे वाले ब्रिक्स में अगर पाकिस्तान शामिल हो जाता है तो इससे ड्रैगन का प्रभाव और बढ़ जाएगा।
मास्को। भारत के विरोध के बाद भी रूस ने ब्रिक्स में पाकिस्तान की सदस्यता को अपना समर्थन दे दिया है। रूस इस समय ब्रिक्स का अध्यक्ष है और भारत का सबसे भरोसेमंद करीबी रणनीतिक भागीदार देश है। वहीं पाकिस्तान खुलकर भारत का विरोध करता है और उसे इसमें चीन समर्थन मिलता है जो नई दिल्ली को अपना प्रतिद्वंदी समझता है। भारत और चीन के बीच सीमा पर भारी तनाव है और हजारों सैनिक आमने-सामने हैं। इन सबके बीच रूस के डेप्युटी पीएम ने इस्लामाबाद की यात्रा की और पाकिस्तान की ब्रिक्स सदस्यता का समर्थन किया है। रूस ने यह कदम भारत की कीमत पर उठाया है। विश्लेषकों का कहना है कि चीन के दबदबे वाले ब्रिक्स में अगर पाकिस्तान शामिल हो जाता है तो इससे ड्रैगन का प्रभाव और बढ़ जाएगा।
रूस के इस कदम पर भारत में मास्को लेकर बहस शुरू हो गई है। रूस और चीन ब्रिक्स का इस्तेमाल पश्चिमी देशों के खिलाफ कर रहे हैं। पाकिस्तान के अलावा तुर्की भी इसमें शामिल होना चाहता है जो भारत का विरोधी है और पाकिस्तान का करीबी है। रूस और पाकिस्तान के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने पर भी सहमति बनी है। रूस के डेप्युटी पीएम ने कहा कि हमें इस बात की खुशी है कि पाकिस्तान ने आवेदन किया है। हम इसे सपोर्ट देंगे। एक्सपर्ट का कहना है कि इस बात की संभावना न के बराबर है कि भारत आने वाले वर्षों में ब्रिक्स के और ज्यादा विस्तार का समर्थन करे।
भारत को रोकना चाहता है चीन
एक्सपर्ट ने साऊथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बातचीत में कहा कि अगर सदस्यों को शामिल करने पर अगला जत्था आता है तो पाकिस्तान के लिए मानकों को पूरा करना कठिन होगा। ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए बहुत ही कठोर मानदंड और नियम है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए नए मेंबर को सभी अन्य सदस्य देशों के साथ दोस्ताना रिश्ता होना चाहिए या सदस्य देशों के साथ पर्याप्त मात्रा में व्यापार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ब्रिक्स को विकासशील देशों की चिंताओं को उठाने वाला संगठन मानता है और अगर इसमें पाकिस्तान शामिल होता तो इससे चीन की स्थिति मजबूत होगी। साथ ही भारत कमजोर होगा। इससे ब्रिक्स की विशेषता क्षीण होगी। ब्रिक्स का गठन साल 2006 में हुआ था और उस समय रूस, ब्राजील, भारत और चीन इसके संस्थापक सदस्य देश थे। इसके बाद इसमें दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और इथियोपिया सदस्य बने। पाकिस्तान ने 2023 में ब्रिक्स की सदस्यता के लिए दावेदारी की थी। शर्मा ने कहा कि अगर पाकिस्तान ब्रिक्स में शामिल होता है तो इससे चीन और ज्यादा मजबूत हो जाएगा। चीन भारत को ग्लोबल साउथ के नेतृत्व में अपना प्रतिस्पर्द्धी मानता है। इसी वजह से वह पाकिस्तान को ब्रिक्स में शामिल करके भारत की राह को रोकना चाहता है। इससे पहले चीन ने ही साल 2022 में ब्रिक्स के विस्तार की प्रक्रिया को शुरू किया था जब वह अध्यक्ष था। रूस ने उसे इसमें सपोर्ट किया था। विश्लेषकों का कहना है कि बिना भारत को सहमत किए ब्रिक्स में पाकिस्तान को शामिल करना मुश्किल होगा।
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