शिक्षा का मंदिर खंडहर में तब्दील: सात सालों से टीन शेड के नीचे पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी
ग्रामीण बोले: बच्चों को न पौषाहार मिल रहा है न खेल सामग्री
ग्रामीणों का कहना है कि राजकीय प्राथमिक आफूखेड़ी का भवन गांव से एक किमी दूर सुनसान जगह पर है।
मनोहरथाना। मनोहरथाना से 15 किलोमीटर दूर राजकीय प्राथमिक आफूखेड़ी का भवन जर्जर हो चुका है। ऐसे में 7 सालों से आफूखेड़ी गांव के बच्चों को गांव में एक घर के बाहर चबूतरे पर बैठ कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है। वैसे तो स्कूल में 25 बच्चों का नामांकन है और यहां महज एक ही अध्यापक बच्चों को पढ़ाता है। स्कूल भवन के दरवाजे और खिड़कियां तक नहीं है। स्कूल भवन खंडहर प्रतित होता है। विगत दस सालों से स्कूल भवन बदहाल स्थिति में है। ग्रामीण बताते है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे है। ऐसे में बच्चों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल का भवन जर्जर है। उसी में पुताई करवा देते थे लेकिन उस स्कूल में 7 सालों से बच्चे नहीं पढ़ रहे है। कभी भी हमारे बच्चों को अध्यापक द्वारा खेल का सामान लाकर दिया गया ना ही यहां बच्चे खेल खेलते है। ग्रामीणों का कहना है कि राजकीय प्राथमिक आफूखेड़ी का भवन गांव से एक किमी दूर सुनसान जगह पर है। स्कूल तक जाने का रास्ता भी बदहाल है। ऐसे में गांव में ही अशरफ खान के घर के बाहर चबुतरे पर टीन शेड के नीचे बच्चों को पढ़ाई कराई जा रही है। स्कूल भवन के दरवाजे और खिड़कियां अज्ञात लोग निकाल कर ले जा चुके है। विगत दस साल से स्कूल भवन खंडहर में तब्दिल हो चुका है।
स्कूल के लिए आता है पर्याप्त बजट
वैसे तो राज्य सरकार द्वारा सभी स्कूलों में हर साल अलग-अलग मद से हजारों रुपए दिया जाता है जिससे स्कूल की भौतिक सुविधाएं मिल सके। साथ ही बच्चों को खेल खेल में पढ़ाया जा सके। वहीं ईको कलब द्वारा दी जाने वाली राशि से बच्चे पर्यावरण को ज्ञान प्राप्त कर सके। सत्र 2023 - 24 में वैसे तो राजकीय प्राथमिक विद्यालय आफूखेड़ी में भी सीएसजी के मध्यम से 25 हजार रुपए सरकार द्वारा दिया गया है लेकिन जब स्कूल भवन ही जर्जर है तो उसका इस्तेमाल कहां किया जा रहा है? वैसे तो सीएसजी के मध्यम से दी जाने वाली राशि से विद्यालय की भौतिक सुविधाएं दूर करनी होती है लेकिन आफूखेड़ी विद्यालय में भौतिक सुविधा भी दूर नही हो सकी ग्रामीणों की माने तो आफूखेड़ी स्कूल में करीबन पांच साल से अनिल मेवाड़ा के हाथ में इस विद्यालय की चाबी है लेकिन 5 साल में आज तक आफूखेड़ी विद्यालय के तस्वीर दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है। सीएसजी के मध्यम सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि में से 15 हजार रुपए को विद्यालय की भौतिक सुविधा के लिए खर्च किया जाता है साथ ही बाकी 10 हजार रूपए का साल भर का खर्चा जिस में आॅनलाइन,विद्यालय की स्टेशनरी आदि के लिए काम में लिया जा सके।
खेल और ईको क्लब के लिए भी आती राशि
राज्य सरकार द्वारा हर साल बच्चों के लिए खेल और ईको क्लब के माध्यम से खेल के 5 हजार और ईको क्लब के 5 हजार हर विद्यालय में दिया जाता है जिससे कि बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जा सके और बच्चे भी खेल खेल में पढ़ सके। साथ ही इको क्लब के माध्यम से मिलने वाली राशि से पर्यावरण से संबंधित अस्थाई सामान विद्यालय में लाकर बच्चों को पर्यावरण की जानकारी दी जा सके लेकिन राजकीय प्राथमिक विद्यालय आफूखेड़ी में इसके विपरित होता नजर आ रहा है। विद्यालय में खेल के लिए कोई खेल सामग्री उपलब्ध नही है और ना ही विद्यालय में पर्यावरण संबंधित कोई भी सामग्री है।
इनका कहना है
स्कूल की खेल सामग्री तो मेरे घर पर रखी है। जब जब जरूरत पड़ती है मैं गाड़ी में रख कर लाता हूं और जो पैसा आता है वो इस चबूतरे की देख रेख में खर्च कर दिया बाकी में मेरे हिसाब से काम करता हूं।
- अनिल मेवाड़ा, संस्था प्रधान, राजकीय प्राथमिक स्कूल आफूखेड़ी
आफूखेड़ी विद्यालय से जो भी बिल आए थे सब क्लियर है। वैसे अमाउंट का तो मुझे पता नहीं है कितने अमाउंट के बिल थे। सभी मिल मार्च में क्लियर हो गए थे।
- सांवरिया बैरवा, कनिष्ठ सहायक,राजकीय प्राथमिक स्कूल आफूखेड़ी
सीएसजी में 25 हजार और खेल के 5 हजार और ईको क्लब के 5 हजार आते है। ईको क्लब के लिऐ तो बिल्डिंग नही है तो किताब वगैरा खरीद लेते है बाकी जो पैसा हैं स्कूल के जो नियम होते है वैसे खर्च करते है। खेल सामग्री कहां रखे वहां बिल्डिंग ही नहीं है तो किसके यहां रखे आप ही बताओ। संस्था प्रधान खेल सामग्री घर पर ही रखते हैं, जब वो आते है तो गाड़ी पर ले आते है।
- बनवारी लाल,कार्यवाहक पीआईओ बांसखेड़ा
नए सत्र में स्कूल के नए भवन के लिए जगह देखकर भवन का निर्माण किया जाएगा। स्कूल में जो पैसा आता है उनकों तो बच्चों के ऊपर खर्च करना ही पड़ता है। वैसे जो भी सामान है वो विद्यालय में ही रखना पड़ता है। वैसे इस सत्र का समापन चल रहा है फिर भी में पीईईओ से बात कर लूंगा और जांच करवाई जायेगी। जो भी दोषी होगा। उस पर कार्यवाई की जाएगी।
- चंद्रशेखर लुहार, कार्यवाहक ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मनोहरथाना
क्या कहते है ग्रामीण
आफूखेड़ी प्राथमिक स्कूल भवन बदहाल हो चुका है। स्कूल भवन के अभाव में बच्चे गांव में ही एक चबुतरे पर पढ़ने को मजबूर है। यहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक बार ही अध्यापक खेल के सामान लेके आए थे वो भी गांव में क्रिकेट खेलने वाले लड़को को वो खेल सामग्री दे दी गई। उसके बाद अब तक कोई खेल सामग्री नही आए और सरकार द्वारा जो पैसे दिए जाते है वो भी पता नहीं कहा खर्च करते है।
- शाहिद खान, वार्ड पंच आफूखेड़ी
7 साल से मेरे घर के बाहर चबूतरे पर स्कूल के बच्चे पढ़ाई करते है। मंैने आज तक भी अध्यापकों से चबूतरे पर पढ़ाने का किराया नहीं लिया। पोषाहार भी अध्यापक अपने घर पर ही रखते हैं और पोषाहार भी स्कूल में तो बच्चों की जरूरत के हिसाब से उनके घर से ही लाते है। बच्चो को इस साल में एक दो बार ही फल फ्रूट खिलाए।
- अशरफ खान, ग्रामीण
संस्था प्रधान ने मेरे से तीन बिल पर हस्ताक्षर तो करवाए थे लेकिन उन बिलों पर रूपए नही भर रखे थे मंैने पूछा भी कि इसमें पैसे क्यों नहीं भरे तो मेरे से कहां की जीतना बच्चों के लिए खर्च होगा उतना में भर लूंगा।
- इकलाक खां एसएमसी अध्यक्ष
Comment List