क्या कोचिंग स्टूडेंट के लिए कोटा बन रहा है हादसों का शहर?

चार माह में 29 हादसे, प्रतिमाह हो रही सात घटनाएं

क्या कोचिंग स्टूडेंट के लिए कोटा बन रहा है हादसों का शहर?

12 स्टूडेंट की मौत, दस ने की आत्महत्या, दो की संदिग्ध मौत, छह ने किया आत्महत्या का प्रयास

कोटा। शिक्षा नगरी कोटा के सिर पर कोचिंग संस्थानों के कारनामे हादसों का कलंक लगा रहे हैं। जनवरी से अप्रैल के चार माह में ही कोचिंग स्टूडेंट 29 हादसों को अंजाम दे चुके हैं। दस स्टूडेंट अब तक आत्महत्या कर चुके हैं और दो स्टूडेंट की संदिग्ध अवस्था में मौत हो चुकी है।  छह स्टूडेंट ने आत्महत्या का प्रयास किया। सात विद्यार्थी कोचिंग छोड़कर लापता हुए जिन्हें पुलिस ने दस्तयाब किया। इनमें से एक छात्रा को गुरुवार को ही बरामद किया गया। इन चार माह के  दौरान सबसे खराब दिन वह रहा जब एक कोचिंग छात्रा के साथ उसके ही चार साथियों ने बलात्कार कर कोचिंग नगरी को शर्मसार कर दिया। सवाल उठता है कि आखिर कोचिंग स्टूडेंट के लिए कोटा हादसों का शहर क्यों बन रहा है। 
21 अप्रेल को छात्रा तृप्ति सिंह लापता हो गई। इसकी रिपोर्ट 23 अप्रेल को लिखाई गई। छात्रा 11 दिन तक गायब रही। पिछले चार माह में ही कोचिंग एरिया में ही एक वार्डन छात्रों को शराब बेचते पुलिस ने दबोचा। इसके साथ अलग अलग मामलों में 23 कोचिंग छात्रों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। चार माह में कोचिंग विद्यार्थी 29 हादसों को अंजाम दे चुके हैं।   

बारह ने की अपनी ईहलीला समाप्त
23 जनवरी- कोचिंग स्टूडेंट मोहम्मद जैद ने की आत्महत्या
29 जनवरी- कोचिंग छात्रा निहारिका ने की आत्महत्या
1 फरवरी - नूर मोहम्मद ने की आत्महत्या
14 फरवरी- छात्र शुभ कुमार चौधरी ने की आत्महत्या
16 फरवरी - छात्र परिणीत राय की संदिग्ध मौत
19 फरवरी- शिवम राघव की संदिघ्ध अवस्था में मौत
19 फरवरी-आत्महत्या करने के बाद रचित सौंधिया का शव मिला
9 मार्च - अभिषेक कुमार ने सेल्फोस खा कर दी जान
26 मार्च- मोहम्मद उरूज ने फांसी लगाई
27 मार्च- सौम्या ने फांसी लगाई 
28 अप्रेल- हरियाणा निवासी छात्र सुमित ने फांसी लगाई 
30 अप्रेल- धौलपुर निवासी छात्र भरत ने फांसी लगाई।  

वहां केवल पैसों का व्यापार है
जैसा मेरे पुत्र के साथ हुआ वैसा किसी दुश्मन के साथ भी नहीं हो। मैं अब किसी भी अभिभावक को यह नहीं कहूंगा कि आप अपने बच्चे को कोटा भेजो। कोटा अब पहले जैसा नहीं रहा। वहां केवल पैसों का व्यापार है। आप अपने बच्चे को अपने पास ही रखो। आसपास अच्छी कोचिंग में भेज दो लेकिन कोटा भेजो तो उसके साथ रहो।
-गोविन्द सिंह(कोचिंग छात्र चंदन के पिता)

एडमिशन के लिए कोचिंग दिखाते हैं हवाई किला
देश में शासकीय कालेजों में एमबीबीएस के लिए कुल सीटें ही 28 हजार हैं और अकेले कोटा में दो लाख स्टूडेंट हैं। कोचिंग वाले बच्चे को एडमिशन से पहले रियलिटी नहीं बताते। अभिभावक और बच्चे के सामने हवाई किला खड़ा कर देते हैं। दूसरा पढ़ाई की कीमत इतनी अधिक है कि लोअर मिडिल क्लॉस के लिए इतना पैसा लगाना आसान नहीं होता फिर भी अभिभावक उस हवाई किले की चाह में अपना पैसा लगाते हैं।  ऐसी स्थिति में जब बच्चा पिछड़ने लगता है तो वह जल्द हताश हो जाता है। तीसरा बड़ा कारण हॉस्टल्स हैं। ज्यादातर हॉस्टल्स लीज पर हैं। ऐसे में उन्हें वह फैसिलिटी नहीं मिलती जो मिलनी चाहिए। इसके साथ पढ़ाई का प्रेशर तो कोचिंग ने बढ़ा दिया है लेकिन बच्चे की मेंटल हेल्थ पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
-हेमन्त राय 

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आत्महत्या हर किसी के लिए दर्दनाक 
मुझे लगता है कि प्रशासन को इस पूरे सिस्टम को समझ कर नये नियम तैयार करने चाहिए। बच्चे की आत्महत्या हर किसी के लिए दर्दनाक है। इसके लिए माता-पिता की एक्सेप्टेशन को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है लेकिन यह पूरा सच नहीं है। बड़ा सच कोचिंग संस्थानों द्वारा दिखाए गए सपने का टूटना है। कोचिंग झूंठ की कच्ची मीनार हैं जो ऐसे कारनामों से अपना सच दिखा रही है। 
-अजीम पठान शिक्षाविद्

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प्रशासन के सभी अधिकारी कोचिंग संस्थानों के साथ हॉस्टल और पीजी का सर्वे कर रहे हैं। अधिकारी स्वयं संस्थानों की व्यवस्था देख रहे हैं और कमियों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। हर कोचिंग के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी बच्चों को भी मोटिवेट कर रहे हैं। 
-मुकेश चौधरी(एडीएम प्रशासन)

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