4 वर्ष गुजरने के बावजूद इमानुएल मिशन स्कूल का अतिक्रमण कायम

झालावाड़ इमानुएल मिशन स्कूल का मामला : प्राचीन और ऐतिहासिक पानी के धोरे पर बनाया स्कूल का रास्ता और दीवार

4 वर्ष गुजरने के बावजूद इमानुएल मिशन स्कूल का अतिक्रमण कायम

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान, छह स्थानों पर अतिक्रमण चिन्हित किए थे नगर परिषद की समिति ने।

झालावाड़। झालावाड़ के गावड़ी का तालाब से निकलने वाले प्राचीन और ऐतिहासिक रोमन एक्वाडक्ट (पानी के धोरे) पर इमानुएल मिशन स्कूल ने अतिक्रमण कर रखा है। स्कूल प्रबंधन ने धोरे की दीवार पर ही अपनी दीवार बना ली है और डेढ़ सौ फीट से अधिक धोरे को दबा दिया है। वही स्कूल ने धोरे को दबाते हुए  रास्ता भी अवैध तरीके से निकाल रखा है जिस पर कार्यवाही की मांग कई बार उठती आई है। लेकिन चार स्कूल सहित कुल छह आतिक्रमण करने वालों पर 4 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। जिसके चलते शहर में आतिक्रर्मियों के हौसले काफी बुलंद है। जानकारी के अनुसार जमे बैठे अतिक्रमणकारियों को हटाने की कार्यवाही की फाइल जिला कलक्टर द्वारा मंगवाए जाने पर भी 4 महीनों में उनके पास नहीं पहुंची है। जिसके चलते अतिक्रमणकारियों पर होने वाली कार्यवाही गए दो वर्ष में भी आगे नहीं बढ़ पाई हैं। 4 वर्ष पूर्व तत्कालीन जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग द्वारा एक कमेटी बना कर अतिक्रमणों को चिन्हित करवाया गया था और उनको हटाने के आदेश दिए गए थे। किंतु सरकारी सुस्ती का आलम यह है कि मामला आज भी जैसे का तैसा ही पड़ा है और बुलंद हौसलों वाले अतिक्रमणकारी रोमन एक्वाडक्ट का नामोनिशान मिटाने में लगे हुए हैं। प्रदेश का अनूठा और प्राचीन रोमन एक्वाडक्ट है: जानकारी के लिए आपको बता दें की गावड़ी के तालाब से निकलकर मामा भांजा चौराहे के समीप पहुंचने वाला यह प्राचीन कालीन रोमन एक्वाडक्ट अपने आप में पूरे राजस्थान में एक अनूठा ढांचा है जो सिर्फ यहीं पर मौजूद बताया जाता है। 

इमानुएल स्कूल प्रबंधन ने धोरे  पर ही दीवार और 17 फीट चौड़ा अवैध रास्ता निकाल दिया
झालावाड़ के रेलवे स्टेशन रोड पर स्थित प्राचीन गावड़ी तालाब से राज परिवार के महलों एवं अन्य स्थानों तक पानी को ले जाने के लिए एक धोरे का निर्माण किया गया था जो रोमन पद्धति के अनुसार बना हुआ है  किंतु रोमन एक्वाडक्ट के 600 मीटर से अधिक लंबे भाग पर लोगों ने अपनी मर्जी से अतिक्रमण कर लिए हैं, जिनमें एक निजी स्कूल इमानुएल मिशन स्कूल का अतिक्रमण भी शामिल है। धोरे की बगल में स्थित सभी निजी जमीनों पर नजर डालें और उनके दस्तावेज देखे तो स्पष्ट होता है कि सभी निजी जमीनों की सीमा इस धोरे से लगभग 20 फिट दूर से शुरू होती है तथा यहां जो मकान बनाए गए हैं वह भी धोरे से लगभग 20 फुट की दूरी पर ही बने हुए हैं, किंतु इमानुएल स्कूल ने धोरे की दीवार पर ही अपनी दीवार बना ली है तथा लगभग डेढ़ सौ फुट से अधिक धोरे को दबा दिया है, वही स्कूल ने धोरे को दबाते हुए लगभग 17 फीट चौड़ा रास्ता भी अवैध तरीके से निकाल रखा है जिस पर कार्यवाही की मांग कई बार उठती आई है।

नगर परिषद ने नहीं दी किसी को भी निर्माण और रास्ते की स्वीकृति
नगर परिषद द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी से यह स्पष्ट होता है कि धोरे की तरफ जितनी भी जमीन है उनमें से किसी भी जमीन पर निर्माण और धोरे की तरफ रास्ता निकालने की स्वीकृति जारी नहीं की गई है।  नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि वहां पर नियमानुसार किसी भी प्रकार की स्वीकृति जारी भी नहीं की जा सकती है।

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यूं चली कार्यवाही
वर्ष 2019  में दैनिक नवज्योति के द्वारा रोमन एक्वाडक्ट पर अतिक्रमण का समाचार प्रकाशित किए जाने के बाद तत्कालीन जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने  मामले में रुचि दिखाते हुए धोरे के संरक्षण पर बल दिया और झालरापाटन तहसीलदार की अगुवाई में एक 6 सदस्य टीम का गठन किया जिसको इस प्राचीन धोरे का संपूर्ण निरीक्षण कर जिला कलक्टर के सामने रिपोर्ट पेश करनी थी कलेक्टर द्वारा गठित की गई। इस कमेटी द्वारा 17 दिसंबर 2019 को संयुक्त रूप से इस दौरे का निरीक्षण किया गया और इसी दिन जिला कलक्टर को ले आउट सहित रिपोर्ट पेश की गई। जिसमें माना गया कि धोरे पर कुल 6 अतिक्रमण है, जिसमें 5 रिहायशी मकानों द्वारा निकाले गए रास्ते और एक स्कूल द्वारा निकाला गया 17 फीट का रास्ता तथा अतिक्रमण शामिल है। सभी 6 अतिक्रमियों ने धोरे को क्षति ग्रस्त करके अपने आने जाने का रास्ता बनाया है। जांच रिपोर्ट पेश करने वाली इस कमेटी में झालरापाटन के तत्कालीन तहसीलदार धनराज मीणा के अतिरिक्त पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के महेंद्र कुमार, इंटेक के संयोजक राजपाल शर्मा, सार्वजनिक निर्माण विभाग की सहायक अभियंता आयुषी चौधरी, नगर परिषद के कनिष्ठ अभियंता पीसी मीणा और झालावाड़ के सहायक पर्यटन अधिकारी सिराज कुरैशी शामिल थे। कमेटी द्वारा रिपोर्ट किए जाने के बाद तत्कालीन झालावाड़ जिला कलेक्टर द्वारा तत्काल प्रभाव से कार्यवाही करते हुए 1 जनवरी 2020 को आदेश क्रमांक 2019/61 जारी करते हुए उपखंड अधिकारी झालावाड़ की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया, जिसमें नगर परिषद के आयुक्त, संग्रहालय अध्यक्ष, सहायक निदेशक पर्यटन विभाग और इंटेक के संयोजक को सदस्य बनाया गया था। तथा कमेटी को आदेश जारी करने से 7 दिवस के अंदर धोरे को क्षतिग्रस्त करने वाले सभी लोगों के साथ एक बैठक आयोजित कर पुरातात्विक महत्व के इस पानी के धोरे को संरक्षित से करने बाबत वार्ता करते हुए कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी।

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नगर परिषद ने नहीं दी किसी को भी निर्माण और रास्ते की स्वीकृति
नगर परिषद द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी से यह स्पष्ट होता है कि धोरे की तरफ जितनी भी जमीन है उनमें से किसी भी जमीन पर निर्माण और धोरे की तरफ रास्ता निकालने की स्वीकृति जारी नहीं की गई है।  नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि वहां पर नियमानुसार किसी भी प्रकार की स्वीकृति जारी भी नहीं की जा सकती है।

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कलक्टर ने तालाब की फाइल तलब की, लेकिन नहीं मिली
मामला संज्ञान में आने के बाद झालावाड़ के तत्कालीन जिला कलक्टर हरिमोहन मीणा ने अगस्त 2021 में मामले की फाइल फिर से तलब करते हुए संपूर्ण रिपोर्ट मंगवाई लेकिन विडंबना देखिए कि 4 महीने का समय बीत जाने के बाद भी वह फाइल जिला कलेक्टर के पास नहीं पहुंच पाई और उनका स्थानांतरण हो गया। उसके बाद से ही ना तो कार्यवाही आगे बढ़ रही है ना ही कोई अन्य संबंधित गतिविधि देखने को मिली है। ऐसे में रसूखदार अति कर्मी अपने रसूख का फायदा उठाते हुए जिला प्रशासन को मुंह चिढ़ा रहे हैं।

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इनका कहना है 
प्राचीन पानी के धोरे पर अतिक्रमण के संबंध में मुझे कुछ नहीं कहना है। स्कूल में सुरक्षा के लिए फायर सेफ्टी के उपकरण लगे हुए है। जिसकी एनओसी भी हमारी पास है। 
- सुनील कुमार, संचालक इमानुएल मिशन स्कूल झालावाड़

नगर परिषद ने कोई भी निर्माण स्वीकृति या रास्ते की परमिशन नहीं दे रखी है। अतिक्रमण पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे। 
- संदीप, अतिक्रमण दस्ता प्रभारी, झालावाड़ नगर परिषद

इमानुएल स्कूल के पास फायर एनओसी है और उसके रिनीवाल की कार्रवाई की जा रही है, इसके अतिरिक्त शहर में अन्य इमारतों की भी चैकिंग करवाई जा रही है। 
- श्याम गुर्जर, प्रभारी अग्निशमन झालावाड़

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