अभिभावकों को फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर कार्रवाई का इंतजार

प्रदेश में निजी स्कूल कर रहे कोर्ट के आदेश की अवहेलना, सरकार और शिक्षा विभाग नहीं दे रहा ध्यान

अभिभावकों को फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर कार्रवाई का इंतजार

हर साल निजी स्कूल संचालक मनमाने तरीके से ना केवल स्कूल फीस में बढ़ोतरी कर खुलेआम अभिभावकों को लूट रहे हैं, बल्कि मनमाने तरीके से स्कूलों का संचालन कर रहे है।

जयपुर। देश में शिक्षा इंसान की जिंदगी का बहुत बड़ा अंग बन गया है, जिसके संरक्षण को लेकर ना केवल केंद्र सरकार बल्कि राजस्थान सरकार भी विभिन्न तरह के कानून लेकर आई, जिसमें एक कानून यह था कि शिक्षा व्यावसाय का केंद्र नहीं बल्कि सेवा का केंद्र बनकर रहेगी, जो भी स्कूलों का संचालन करेगा, उसे स्कूल से किसी भी प्रॉफिट कमाने का अधिकार नहीं रहेगा। स्कूलों का संचालन नो-प्रॉफिट नो-लॉस के आधार पर किया जाएगा, किंतु विगत कुछ वर्षों से स्कूलों का संचालन केवल प्रॉफिट कमाने के आधार पर किया जा रहा है। हर साल निजी स्कूल संचालक मनमाने तरीके से ना केवल स्कूल फीस में बढ़ोतरी कर खुलेआम अभिभावकों को लूट रहे हैं, बल्कि मनमाने तरीके से स्कूलों का संचालन कर रहे है। जबकि प्रदेश के साथ ही देशभर के करोड़ों अभिभावकों को हर साल फीस बढ़ोतरी करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई का इंतजार कर रहे है।

यह है फीस एक्ट कानून
फीस निर्धारण को लेकर राजस्थान में फीस एक्ट कानून 2016-17 में तत्कालीन भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार द्वारा लाया गया था, जिस पर स्कूलों द्वारा आपत्ति जताई गई थी और एक्ट के खिलाफ कोर्ट चले गए थे और एक्ट पर स्टे लगा दिया था। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी की मार पूरी दुनिया पर पड़ी। इसके बाद कोर्ट ने 18 दिसम्बर, 2020 को फैसला दिया और फीस एक्ट को भी सख्ती के साथ लागू करने व एक्ट के अनुसार निर्धारित फीस वसूलने के आदेश  दिए थे। 


निजी स्कूल संचालक खुलेआम ना केवल सुप्रीम कोर्ट का अपमान कर रहे है, बल्कि देश के कानूनों की भी अवहेलना कर रहे हैं।
- अभिषेक जैन, प्रदेश प्रवक्ता, संयुक्त अभिभावक संघ  


राजस्थान में निजी स्कूलों की फीस निर्धारण को लेकर फीस एक्ट कानून लाया गया था, जिसके तहत प्रत्येक निजी स्कूल संचालकों को हर साल एक्ट के अनुसार सत्र प्रारंभ होने के साथ ही पेरेंट्स और टीचर एसोसिएशन (पीटीए) का गठन करना होता है, जिसकी शहरी क्षेत्र में निर्धारित 50 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 रुपए वार्षिक शुल्क का प्रावधान रखा गया है। इसके बाद 10 सदस्यों की स्कूल लेवल फीस कमेटी बनानी होती है, जिसका गठन 15 अगस्त या इससे पूर्व करने का प्रावधान का पालन नहीं किया गया।
-अमित छंगाणी, अधिवक्ता, अभिभावक संघ

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