18 महीने कोटा ने पाला, बड़ा हुआ तो बूंदी को दे रहे टाइगर
12 साल बाद फिर से मुकुंदरा पर कुठाराघात
वन्यजीव प्रेमी बोले-दोनों शावकों पर मुकुंदरा का हक, अन्याय नहीं करेंगे बर्दाश्त।
कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के हितों पर एक बार फिर से कुठाराघात किया जा रहा है। रविवार को कोटा दौरे पर आए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पीके उपाध्याय ने अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में पल रहे शावकों की शिफ्टिंग को लेकर किए निर्णय ने राहत तो दी लेकिन वन्यजीव प्रेमियों को निराश कर दिया। दोनों शावकों में से मेल शावक को रामगढ़ व फिमेल शावक को मुकुंदरा में शिफ्ट करने का निर्णय किया। जबकि, 18 महीने से बाघिन टी-114 के दोनों शावकों को कोटा वन्यजीव विभाग पाल रहा है। गत वर्ष जब इन्हें रणथम्भौर से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किया गया था तो उन्हें रीवाइल्डिंग के बाद मुकुंदरा में शिफ्ट किए जाने की बात कहीं गई थी। तब से वन्यजीव प्रेमियों को भविष्य में इन्हें दरा अभयारणय में शिफ्ट किए जाने की उम्मीद जगी थी। 18 महीने से मुकुंदरा व वन्यजीव विभाग कोटा की निगरानी में रीवाइल्डिंग की जा रही है। ऐसे में दोनों शावकों पर मुकुंदरा का हक है, जिस पर कुठाराघात करते हुए मेल शावक को रामगढ़ विषधारी में शिफ्ट किए जाने का निर्णय किया गया। जबकि, वहां पहले से ही टाइगर्स की संख्या 6 हो चुकी है। ऐसे में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन का यह निर्णय वन्यजीवप्रेमियों को व्यवहारिक नहीं लगता।
12 साल बाद भी आबाद नहीं हो सका मुकुंदरा
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है, मुकुन्दरा हिल्स को 9 अप्रेल 2013 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। इसके बाद से ही इसकी उपेक्षा की जा रही है। जबकि, रामगढ़ को टाइगर रिजर्व घोषित हुए अभी 2 साल ही हुए हैं और 6 टाइगर्स से आबाद हो चुका है। यह अधिकारियों की कार्यप्रणाली का बेहतरीन उदारहण है। एक तरफ मुकुंदरा 12 साल बाद भी अपना वजूद तलाश रहा वहीं, दूसरी ओर दो साल में ही रामगढ़ ने साबित कर दिया कि इच्छा शक्ति हो तो विरान वादियां भी शावकों की किलकारी से गूंज सकता है। बरहाल, संघर्षों से जूझता मुकुंदरा खुशहाली की दहलीज पर खड़ा है लेकिन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के नर शावक रामगढ़ शिफ्ट करने के अव्यवहारिक निर्णय ठेस पहुंचा रहा है।
एमएचटीआर को ज्यादा जरूरत
मुकुंदरा में अभी दो टाइगर है लेकिन कुनबा अब तक नहीं बढ़ा। लंबे समय से एक और टाइग्रेस लाने की मांग की जा रही है, जो भी अब तक नहीं ला पा रहे। ऐसे में जो शावक हमारे पास हैं, उन्हें कहीं ओर शिफ्ट करने के बजाए मुकुंदरा में ही रखा जाना चाहिए। भविष्य में मुकुंदरा की तस्वीर बदलने में निर्णायक हो सकते हैं। जब से यहां शावक आए हैं तब से यही कहा गया है कि उन्हें दरा अभयारणय के 28 हैक्टेयर के एनक्लोजर में छोड़ा जाएगा। ऐसे में वन्यजीव प्रेमियों में मुकुंदा को दो टाइगर मिलने की उम्मीद जगी।
- एएच जैदी, नेचर प्रमोटर
एनटीसीए के मिनट्स के बाद होगा निर्णय
चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन शुक्रवार को मुकुंदरा व अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के विजिट पर रहे। यहां शावकों की शिफ्टिंग को लेकर उन्होंने एनटीसीए की मीटिंग के मिनट्स आने के बाद आगे की कार्रवाई किए जाने की बात कही है।
- अभिमन्यू सहारण, डीएफओ, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व
क्या कहते हैं वन्यजीव प्रेमी
रामगढ़ में पहले से ही 6 टाइगर
सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू के मेल टाइगर को रामगढ़ में शिफ्ट किए जाने का निर्णय अनुचित है। वहां पहले से ही 6 टाइगर हैं। जबकि, मुकुंदरा में मात्र दो ही है। ऐसे में मुकुंदरा को आबाद करने के लिए दोनों शावकों को यहीं शिफ्ट किया जाना चाहिए। दरा अभयारणय में 28 हैक्टेयर के एनक्लोजर को पांच-पांच हैक्टेयर में बांट कर दोनों को यहीं रखा जा सकता है। इससे दोनों की शुरुआती तीन से चार माह रीवाइल्डिंग की प्रक्रिया भी बेहतर हो सकेगी।
- तपेश्वर सिंह भाटी, अध्यक्ष, मुकुंदरा वन्यजीव एवं पर्यावरण समिति
यह तो मुकुंदरा के साथ अन्याय
31 जनवरी 2023 की रात को दोनों शावकों को रणथम्भौर से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किया था। तब वे ढाई माह के थे। तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने छह माह रीवाइल्डिंग के बाद दरा एनक्लोजर में शिफ्ट करने के आदेश दिए थे। हालांकि, 18 माह बाद भी शिफ्टिंग नहीं हुई। लेकिन उम्मीद थी कि आज नहीं तो कल दोनों शावक मुकुंदरा में बसाया जाएगा। लेकिन, वर्तमान सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू के निर्णय ने निराश किया। यह मुकुंदरा के साथ अन्याय है।
- देवव्रत सिंह हाड़ा, अध्यक्ष पगमार्क फाउंडेशन
दोनों को मुकुंदरा में ही रखा जाए
बाघिन टी-114 के दोनों शावकों को अलग-अलग करने के बजाए एक ही जगह रखा जाना उचित होगा। मुकुंदरा 760 वर्ग किमी में फैला है, जगह की कमी नहीं है। दरा अभयारणय में 28 हैक्टेयर के एनक्लोजर को 5-5 हैक्टेयर में बांट दोनों को यहीं रखा जा सकता है। यदि, नहीं तो सेल्जर में बने 1 हैक्टेयर में मादा शावक को रखें और दरा में नर शावक को रख सकते हैं। लेकिन ज्यादा बेहतर तो यही होगा कि दोनों को दरा में ही रखा जाए। इससे फायदा यह होगा कि शिफ्टिंग के शुरुआती तीन महीने तक इनकी निगरानी अच्छे से हो सकेगी। अभी तक यह कमरेनुमा पिंजरे में रह रहे हैं, जैसे ही खुले वातावरण में आएंगे तो इनके व्यवहार में बदलाव आएगा। 18 माह से मुकुंदरा के वन्यजीव चिकित्सक ही निगरानी कर रहे हैं, इसलिए वे जरूरी जानकारियों से परिचित हैं।
- अखिलेश पांडे, वरिष्ठ पशु चिकित्सक कोटा
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