सौलर बुझा रहा जंगल की प्यास
सूरज की रोशनी से लबालब हो रहे मुकुंदरा के वाटर प्वाइंट्स
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 16 से ज्यादा सौलर लिफ्टिंग सिस्टम ।
कोटा। आग बरसाती भीषण गर्मी ने भले ही इंसानों का हाल बेहाल कर रखा है लेकिन यही सूरज की तपन बेजूबानों का गला तर कर रही है। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 16 से ज्यादा सौलर लिफ्टिंग सिस्टम लगे हैं, जो सूरज की रोशनी से चंबल से पानी लिफ्ट कर दो-दो किमी तक सूखे वाटर प्वाइंट्स को लबालब कर रहे हैं। वहीं, दूर दराज के प्राकृतिक और कृत्रिम वाटर प्वाइंट पर टैंकरों की मदद से पानी पहुंचाया जा रहा है। हालांकि, कई ऐसे भी वाटर प्वाइंट हैं, जो संसाधनों के अभाव में सूख गए और कुछ सूखने की कगार पर पहुंच गए। दरअसल, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की सभी 6 रेंजों में कुल 107 वाटर प्वाइंट हैं। जिसमें से 30 सूख रहे हैं। हालांकि, अधिकतर वाटर प्वाइंट्स पर आॅटोमेटिक सौलर बोरवेल व खुद के टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है।
यहां लगे आॅटोमेटिक सौलर सिस्टम
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व 760 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जो 6 रेंजों में बंटा हुआ है। इसमें बोराबास में 4 आॅटोमेटिक सौलर सिस्टम लगे हैं, जो चंबल और बोरवेल की मदद से तलाइयां व वाटर प्वाइंट्स में पानी भरा जा रहा है। इसी तरह से कोलीपुरा में 3, राउंठा में 4 और दरा में 5 सौलर लगे हैं। यह आॅटोमेटिक सौलर बोरवेल सूरज की रोशनी से रिचार्ज हो रहे हैं। जिनसे प्राकृतिक व कृत्रिम वाटर प्वाइंट पानी से लबालब हो रहे हैं। वहीं, दूर-दराज के प्वाइंट को खुद के टैंकर भर रहे हैं। दरा में फूट का तालाब और बोराबास रेंज में ऊंडीखान बड़े प्वाइंट हैं, जो सौलर से भरी जा रही है।
30 वाटर प्वाइंट सूखने की कगार पर
उप वन संरक्षक अभिमन्यू सहारण ने बताया कि मुकुुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में कुल 107 वाटर प्वाइंट्स हैं। इनमें 77 प्राकृतिक हैं, जो घाटी व मैदानी क्षेत्र में बने हैं, वहीं 29 कृत्रिम हैं। इनमें पठारी क्षेत्र वाले वाटर प्वाइंट्स सूख रहे हैं। आॅटोमेटिक सौलर सिस्टम की मदद से तलाइयां, बड़े गड्ढेÞ व वाटर प्वाइंट भरे जा रहे हैं। वहीं, हमारे पास खुद के दो ट्रैक्टर टैंकर हैं, जिससे दरा और जवाहर सागर रेंज के वाटर प्वाइंटों में पानी पहुंचाया जाता है। इसी तरह बोराबास व कोलीपुरा रेंज की तलाइयां भर रहे हैं। हालांकि, 30 ऐसे प्वाइंट्स हैं, जो दुर्गम स्थानों पर हैं, जहां संसाधनों की कमी के कारण पानी पहुंचाना चुनौतीपूर्ण बना हुआ हैं।
कहां कितने वाटर प्वाइंट
रेंज प्राकृतिक कृत्रिम कुल
राउंठा 16 02 18
गागरोन 07 03 10
बोराबास 13 08 21
कोलीपुरा 12 06 18
दरा 18 07 25
जवाहर सागर 11 04 15
पानी की तलाश में आबादी में पहुंच रहे वन्यजीव
वाइल्ड लाइफ रिसर्चर रवि नागर ने बताया कि दौलतगंज के सामने बोराबांस का जंगल है। जहां लोमड़ी, हिरण, जंगली खरगोश, जरख सहित कई छोटे-बड़े वन्यजीवों का हैबीटॉट है। यहां प्राकृतिक वाटर प्वाइंट सूखे हैं। हालांकि, इस इलाके में एक किमी पीछे कैनाल हैं। जिसमें पानी होता है लेकिन गर्मी के कारण वह भी सूखी हुई है। ऐसे में वन्यजीव पानी की तलाश में रावतभाटा रोड क्रॉस कर दौलतगंज रिहायशी इलाके में पहुंच जाते हैं। कई बार वाहनों की चपेट में आने से हादसे का शिकार हो जाते हैं। वहीं, जानवर व इंसानों के बीच टकराव की स्थिति भी बन जाती है। इसलिए मुकुंदरा प्रशासन को नयागांव, दौलतगंज के जंगलों में वाटर प्वाइंट पर पानी की व्यवस्था करनी चाहिए।
आचार संहिता में अटका टेंडर
डीएफओ ने बताया कि वन्यजीवों के लिए पेयजल व्यवस्था के लिए सरकार से 3.50 लाख बजट मिला है लेकिन, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण टैंकरों का टेंडर नहीं कर पा रहे। मुकुंदरा की सभी तलाइयां व वाटर प्वाइंटों पर पानी पहुंचाने के लिए प्रतिदिन 8 से 10 टैंकर की आवश्यकता है। जबकि, हमारे पास दो टैÑक्टर-टैंकर ही हैं। सीमित साधनों की वजह से बड़ा क्षेत्र कवर करना मुश्किल हो रहा है। यदि, गर्मी इसी तरह भीषण रही तो वाटर प्वाइंटों पर पानी पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा।
इन वन्यजीवों का बसेरा
पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाड़ा ने बताया कि मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में टाइगर, लेपर्ड, भालू, भेड़िया, जरख, सियार, कबर बिज्जु, चीतल, सांभर, चिंकारा, नीलगाय, काले हरिन, दुर्लभ स्याहगोह, निशाचर सिविट केट और रेटल जैसे दुर्लभ वन्यजीवों का बसेरा है। इसके अलावा, चीतल, जंगली बिल्ली, लंगूर, नेवला, झाऊ चूहा, जंगली खरगोश, गिल्हरी, पैंगोलिन, सेही, जंगली चूहे सहित कई वन्यजीव हैं। वहीं, सरीसृप व उभयचर में पायथन, रैट स्नेक, बफ-स्ट्राइप, कीलबैक, चेकर्ड कीलबैक, रेड सैंडबोआ, रेसेल्स वाइपर, टिंÑकेट, कोबरा, मगरमच्छ भी बड़ी संख्या में हैं।
इतना ही नहीं, चंबल में उदबिलाव का कुनबा भी आबाद हो रहा है।
मुकुंदरा में कुल 107 वाटर प्वाइंट्स हैं। जिनमें आॅटोमेटिक सौलर बोरवेल सिस्टम से पानी पहुंचाया जा रहा है। हालांकि, करीब 30 प्वाइंटस ऐसे हैं जो पठारी क्षेत्रों में होने के कारण सूख रहे हैं, कुछ तो सूख भी गए। हमारे पास जो साधन-संसाधन हैं, उनसे जलापूर्ति कर रहे हैं। पानी की व्यवस्था के लिए 3.50 लाख का बजट मिला है लेकिन आचार संहिता के कारण टैंकरों का टैंडर नहीं कर पा रहे। हालांकि, विभाग अपने स्तर पर और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से वाटर प्वाइंट्स पर पानी पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
- अभिमन्यू सहारण, उप वन संरक्षक, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व
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