केंद्रीय विद्यालयों के प्रति बढ़ रहा बच्चों का रुझान

केंद्रीय विद्यालय दूसरे स्कूलों से काफी बेहतर है

केंद्रीय विद्यालयों के प्रति बढ़ रहा बच्चों का रुझान

फिलहाल केंद्रीय विद्यालय संगठन की वेबसाइट पर इसकी पूरी जानकारी देखी जा सकती है। वैसे केंद्रीय विद्यालय दूसरे स्कूलों से काफी बेहतर है।

जयपुर। केंद्रीय विद्यालय (केवी) दूसरे स्कूलों से काफी अलग हैं। इसलिए केंद्रीय विद्यालयों के प्रति बच्चों का रुझान बढ़ता जा रहा है। अभिभावक भी अपने बच्चों को केवी में ही प्रवेश दिलाने में लगे हुए है। अभी केंद्रीय विद्यालय में मौजूदगी और ट्रांसफर ऑप्शन है। पूरे देश में 1254 स्कूल हैं, इसमें से प्रदेश में करीब 75 स्कूल हैं। जयपुर में सात केंद्रीय विद्यालय ही है, जिसमें एडमिशन के लिए लाखों विद्यार्थी आवेदन करते हैं। इस समय केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन का प्रोसेस चल रहा है। फिलहाल केंद्रीय विद्यालय संगठन की वेबसाइट पर इसकी पूरी जानकारी देखी जा सकती है। वैसे केंद्रीय विद्यालय दूसरे स्कूलों से काफी बेहतर है।

हर राज्य में हैं केवी 
देश के हर राज्य में केवी मौजूद हैं। यानी अगर आपकी नौकरी ट्रांसफर वाली है या आप अपने काम की वजह से किसी दूसरे शहर शिफ्ट होते हैं तो भी बच्चों की पढ़ाई की फिक्र करने की जरूरत नहीं। उन्हें केवी में कहीं पर भी प्रवेश मिल जाएगा। 

पढ़ाया जाता है केंद्रीकृत पाठ्यक्रम
सभी केंद्रीय विद्यालयों में एक समान पाठ्यक्रम लागू है, जिससे पूरे देश में शिक्षा की गुणवत्ता में समानता सुनिश्चित रहती है। यह राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, क्योंकि ये करिकुलम देश के कई नेशनल एंट्रेंस एग्जाम से मेल खाते हैं।
बेहतर और किफायती शिक्षा 
केवी कम खर्च में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराते हैं। आज भी केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन फीस मात्र 25 रुपये है। ट्यूशन व अन्य मदों में भी काफी कम है। यह उन अभिभावकों के लिए अच्छा विकल्प है, जो अपने बच्चों को बेहतरीन शिक्षा देना चाहते हैं पर बजट को लेकर सजग रहते हैं। एसएसजी पारीक पीजी कॉलेज आॅफ एजुकेशन की प्राचार्य और शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. प्रमिला दुबे ने कहा कि आज शिक्षा का स्वरूप बदल गया है। इस दौर में अच्छी शिक्षा के रूप में बच्चों को बेहतर शिक्षा के विकल्प के रूप में केंद्रीय विद्यालय सामने हैं। देशभर में इन स्कूलों में एक ही तरह का सिलेबस चलता है। यदि इसमें बदलाव भी होता है तो केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की और से पूरे देश में वहीं लागू होता है।

 

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