वरिष्ठ नेताओं से कई कांग्रेस जिलाध्यक्ष अंदरखाने नाराज, लोकसभा परिणाम के बाद बढ़ेगा शीतयुद्ध

राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच 2020 से जारी सियासी संघर्ष के बाद से ही संगठन में खींतचान बनी रही।

वरिष्ठ नेताओं से कई कांग्रेस जिलाध्यक्ष अंदरखाने नाराज, लोकसभा परिणाम के बाद बढ़ेगा शीतयुद्ध

लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद जिलाध्यक्षों की नाराजगी पार्टी में शीतयुद्ध बढ़ा सकती है, लिहाजा पार्टी में प्रदेश स्तर से जिला स्तर तक कई बदलाव करने की रणनीति तैयार होगी।

जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच 2020 से जारी सियासी संघर्ष के बाद से ही संगठन में खींतचान बनी रही। कई जिलाध्यक्षों की विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अपने ही वरिष्ठ नेताओं से अंदरूनी खींचतान बनी रही। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद जिलाध्यक्षों की नाराजगी पार्टी में शीतयुद्ध बढ़ा सकती है, लिहाजा पार्टी में प्रदेश स्तर से जिला स्तर तक कई बदलाव करने की रणनीति तैयार होगी।

प्रदेश कांग्रेस के कई जिला संगठनों में जिलाध्यक्षों और स्थानीय वरिष्ठ नेताओं के बीच पहले विधानसभा चुनाव और अब लोकसभा चुनाव में रार के हालात नजर आए। चुनावों के दौरान कई जिलाध्यक्षों ने अंदरखाने पार्टी नेताओं को स्थानीय वरिष्ठ नेताओं के रवैये पर नाराजगी जताई थी। हाल ही में जयपुर शहर जिलाध्यक्ष आरआर तिवाड़ी की भी कुछ वरिष्ठ नेताओं को लेकर नाराजगी झलकी थी। इससे पहले भी कई जिलों में जिलाध्यक्षों की खींचतान स्थानीय स्तर पर जाहिर हो चुकी है। जयपुर शहर जिलाध्यक्ष आरआर तिवाड़ी ने विधानसभा चुनाव में अपने ही कुछ नेताओं पर नाम लिए बिना हमला बोलते हुए कहा था कि कांग्रेस के लोगों ने ही उनको चुनाव हराने का षड़यंत्र किया था। विधानसभा चुनावों के दौरान कोटा, जोधपुर, जालोर, अजमेर, उदयपुर, जयपुर ग्रामीण, भीलवाड़ा, अलवर, भरतपुर आदि जिलों में भी जिलाध्यक्षों की नेताओं से खींचतान पार्टी नेताओं के सामने पहुंची थी। 

लोकसभा चुनाव से पहले चार जिलों में बढ़ी थी नाराजगी
लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग करते हुए चार जिलों में कार्यकारी अध्यक्ष बनाए थे। झुंझुनूं में खलील अली, बाड़मेर में गफूर अहमद और गोपाराम मेघवाल, जयपुर देहात में राजेन्द्र यादव और नागौर में हनुमान राम बागड़ा को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। स्थानीय जिलाध्यक्षों ने उनके कार्यक्षेत्र में अन्य नेताओं के दखल को सही नहीं माना। हालांकि जिलाध्यक्षों ने खुलकर इस मामले का विरोध नहीं किया, लेकिन लोकसभा चुनावों में इसका असर जरूर नजर आया।

लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ेगा शीतयुद्ध
जिलाध्यक्ष स्तर पर दखल के चलते कई नेताओं की नाराजगी इतनी बढ़ी कि वे पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए। इसी दौरान छोड़कर जाने वाले नेताओं से कोई फर्क नहीं पड़ने के बयान गहलोत, डोटासरा जैसे नेताओं ने दिए। जिलाध्यक्षों के बीच खींचतान के हालात अभी भी कई जगह जस के तस हैं। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद यह आंतरिक शीतयुद्ध और बढ़ेगा। पार्टी के बड़े नेताओं को इसका आभास है, लिहाजा वे चुनाव बाद संगठन में प्रदेश से जिला स्तर तक कई बदलाव करने की सोच रहे हैं। 

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