'राजकाज'
जानें राज-काज में क्या है खास
पर्दे के पीछे की खबरें जो जानना चाहते है आप....
चर्चा में शेरो-शायरी
अगर कोई शेरो-शायरियों से इशारों ही इशारों में अपनी बात कहता है, तो कई भाइयों को पचती नहीं है और उसके कई मायने निकालने में जुट जाते हैं। और तो और ऊपर वालों के कान भरने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते। अब देखो ना, पिछले मंडे को पिंकसिटी में भगवा वाली मैडम ने अपने पुराने अंदाज में शेरो-शायरी क्या सुना दी, कइयों का दिन का चैन और रातों की नींद उड़ गई। मैडम के नाम से मुंह बिगाड़ने वाले कई भाई लोगों ने इसे खुद से जोड़ कर ऊपर वालों को परोसने में पसीने बहाने में जुट गए। मैडम का शेर था कि जिन पत्थरों को हमने दी थी धड़कनें, उनको जुबान मिली थी, तो हम पर ही बरस पड़े। मैडम के इस शेर को समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी हैं।
एम फैक्टर और शनि का असर
हाथ वाले भाई लोगों का भी कोई सानी नहीं है। चाहे अपना हो या फिर पराया, हत्थे चढ़ने पर कोई कसर नहीं छोड़ते। इन दिनों उनके हत्थे सिंह राशि वाले तीन भाई लोग चढ़े हुए हैं, जो एम फैक्टर में टॉप टेन में शामिल हैं। एक भाईसाहब बाड़ी से ताल्लुकात रखते हैं, तो दूसरे भाईसाहब का पिंकसिटी में कृष्ण की पोल से सीधा संबंध है। तीसरे भाईसाहब नावां की गूदड़ी के लाल हैं। इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने पर आने वाले में खुसरफुसर है कि हाथ वाले दल में सिंह राशि वाले भाइयों पर शनि का असर कुछ ज्यादा ही है, जो उनको या परिवार वालों को लपेटे में लिए बिना पीछा नहीं छोड़ रहा। यह तो भला हो, जोधपुर वाले अशोक जी भाईसाहब का, जो अपने जादू से कोई न कोई गली निकाल लेते हैं, वरना शनि तो कोई कसर नहीं छोड़ रहा।
पसंद और नापसंद का फेर
सूबे में चेहरों के नाम पर चार बार राज कर चुकी भगवा वाली पार्टी में इन दिनों लीडर को लेकर उठापटक मची हुई है। चार धड़ों में बंटे नेताओं में एक राय बनाने की कोशिशें भी की गई, लेकिन भारती भवन में बैठकों में चिंतन-मंथन करने वाले भाई लोग कोई ना कोई रोड़ा अटका देते हैं। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि दो बार बाबोसा और दो बार मैडम के चेहरे पर चुनावी जंग फतह कर चुके कमल के फूल वाले दल में बड़ा चेहरा तो है, लेकिन पसंद और नापसंद के फेर में फंसता नजर आ रहा है। ऐसे में अब बेचारों के सामने नमोजी के नाम पर जंग में उतरने के सिवाय कोई चारा भी तो नहीं है, चूंकि खुद के चेहरे के नाम पर वोट मांगने का कॉन्फिडेंस भी तो नहीं है।
चर्चा नई बीनणी की
इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के दफ्तर में कुर्सी की इंतजार में बैठे भाई लोगों में नई बीनणी वाली कहावत की चर्चा जारों पर है। कहावत भी गुजरे जमाने में राज का काज कर चुके खाकी वाले नेताजी ठाठ के साथ सुनाते हैं। पीसीसी में घटती भीड़ को लेकर नेताजी चटकारे लेते हैं कि नई बीनणी को देखने के लिए पूरा गांव इकट्ठा होता है, पर पुरानी होने के बाद केवल घर वाले ही रहते हैं। यही हाल लक्ष्मणगढ़ वाले भाईसाहब के साथ हो रहा है।
एक जुमला यह भी
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं, बल्कि भगवा वाले भाईसाहब से ताल्लुक रखता है। जोधपुर की धरा में रमे बसे भाईसाहब पिछले पौने दो साल से चमक नींद सो रहे हैं। जब किसी किसी एम्बुलेंस या पुलिस की गाड़ी पर लगे सायरन की आवाज आती है, तो भाई साहब की सांसें ऊपर-नीचे होने लगती हैं। जुमला है कि भाईसाहब साल भर पहले भी दिल्ली में सायरन की आवाज से चमक कर दीवार लांघने में ऐड़ी तुड़वा चुके हैं।
एल. एल. शर्मा, पत्रकार
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