सिंगल यूज प्लास्टिक बैन

रोक लगाने की मुख्य जिम्मेदारी स्थानीय निकायों को दी

सिंगल यूज प्लास्टिक बैन

प्रदेश में जनरेट होने वाले 1100 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे पर करीब 12 साल बाद एक बार फिर से रोक लगाने की मुहिम शुरू हुई है।

जयपुर। प्रदेश में जनरेट होने वाले 1100 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे पर करीब 12 साल बाद एक बार फिर से रोक लगाने की मुहिम शुरू हुई है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों के बाद इस मुहिम के तहत शहरों क्षेत्रों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने की मुख्य जिम्मेदारी स्थानीय निकायों को दी गई है। इसके लिए सभी निकायों को स्वायत्त शासन विभाग ने अन्य विभागों के कॉर्डिनेशन के साथ इस वेस्ट को रोकने के निर्देश दिए है। हालांकि राज्य में 2010 में भी प्लास्टिक को बैन किया गया था। इसके लिए प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल करने वालों का चालान कर जुर्माना वसूलने और आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए, लेकिन फिर से उपयोग होने लगा।

इन पर लगी रोक
गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, थर्मोकोल, प्लास्टिक की प्लेट, कप, गिलास, कटलरी, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बों को रैप या पैक करने वाली फिल्म, सिगरेट के पैकेट और 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर।

जुर्माना और जेल या दोनों होगी
धारा 15 के तहत जुर्माना या जेल या दोनों की सजा हो सकती है। धारा 15 के तहत 7 साल तक की कैद और 1 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।

कितना खतरनाक है प्लास्टिक
पर्यावरण में जहरीले रसायन छोड़ते है, बारिश के पानी को भूमि के नीचे जाने से रोकता है, जिससे ग्राउंड वॉटर लेवल में कमी आती है।

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हर दिन निकलता है 26 हजार टन प्लास्टिक कचरा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का एक सर्वे बताता है कि 60 फीसदी को ही इकट्ठा किया जाता है, बाकी कचरा नदी-नालों में मिल जाता है।

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जयपुर में 280 एमटी प्लास्टिक वेस्ट
एलएसजी के अनुसार प्रदेश में हर दिन जनरेट होने वाले कचरे में 20 प्रतिशत प्लास्टिक वेस्ट शामिल हैं।

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शहर का कुल वेस्ट
प्लास्टिक वेस्ट 280 मीट्रिक टन है। 300 मीट्रिक टन के लिए आरडीएफ और 300-300 मीट्रिक टन के एमआरएफ  का टेंडर लगा रखा है। इसके अलावा 700 मीट्रिक टन कचरा वेस्ट टू एनर्जी में इस्तेमाल किया जा रहा है।

क्या हैं सिंगल यूज प्लास्टिक
40 माइक्रो मीटर या उससे कम स्तर के प्लास्टिक को सिंगल यूज प्लास्टिक में शामिल किया गया है। अर्थात प्लास्टिक से बनी वह चीजें जो एक बार ही उपयोग के बाद फेंक दी जाती हैं। इनमें पॉलीथिन, कैरीबैग, प्लास्टिक कप, प्लास्टिक प्लेट और पानी की बोतल आदि है।

इनका कहना
निकायों ने सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करने के लिए काफी समय से जागरूकता अभियान चला रही थी। इसके लिए व्यापारियों से भी समझाइश की गई है। प्रतिबंध के बाद भी इस्तेमाल करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. जोगाराम, सचिव एलएसजी

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