कन्हैयालाल हत्याकांड..... आतंकी खांजीपीर से और सीआईडी ऑफिस भी वहीं, फिर क्यों नहीं लगा ‘सुराग’

सीआईडी की नाक के नीचे 12 वर्ष से पक रहे थे मंसूबे, भनक तक नहीं लगी

कन्हैयालाल हत्याकांड.....  आतंकी खांजीपीर से और सीआईडी ऑफिस भी वहीं, फिर क्यों नहीं लगा ‘सुराग’

उदयपुर। उदयपुर में तालिबानी ढंग से कन्हैयालाल की हत्या के बाद शहरवासियों के मन में कई कचोटने सवाल उठ रहे हैं। इसमें एक है कि आखिर सीआईडी (सीबी)कर क्या रही थी? जब आतंकवादी रियाज व गौस खांजीपीर में ही रह रहे थे और सीआईडी का कार्यालय भी महज 20 कदम पर ही है, तो आखिर ऐसे क्या कारण रहा कि सीआईडी जैसी सरकारी एजेंसी को भनक तक नहीं लगी। उनका कहना है कि सीआईडी, आतंकियों पर निगाह रख रही थी या आतंकी, सीआईडी पर।

 उदयपुर। उदयपुर में तालिबानी ढंग से कन्हैयालाल की हत्या के बाद शहरवासियों के मन में कई कचोटने सवाल उठ रहे हैं। इसमें एक है कि आखिर सीआईडी (सीबी)कर क्या रही थी? जब आतंकवादी रियाज व गौस खांजीपीर में ही रह रहे थे और सीआईडी का कार्यालय भी महज 20 कदम पर ही है, तो आखिर ऐसे क्या कारण रहा कि सीआईडी जैसी सरकारी एजेंसी को भनक तक नहीं लगी। उनका कहना है कि सीआईडी, आतंकियों पर निगाह रख रही थी या आतंकी, सीआईडी पर।


उल्लेखनीय है कि आतंकी रियाज और गौस इसी क्षेत्र में रहकर बीते 12 सालों से मिशन 26/11 को आगे बढ़ाने की साजिशें रच रहे थे। इसके बावजूद सीआईडी कुछ नहीं कर पाई। पुलिस सूत्रों की मानें तो वर्तमान में सीआईडी कार्यालय की स्थितियां यह है कि जो सीआईडी आॅफिसर फील्ड में रहते हैं, वे लंबे समय से यही टीके हुए हैं। ऐसे में उन्हें इन क्षेत्रों का बच्चा-बच्चा पहचानता है। इन क्षेत्रों में सीआईडी के गुप्तचर भी इन्हें इतनी ही जानकारी देते हैं, जितनी उन्हें देनी होती है। हालांकि, पुलिस प्रशासन और सरकार ने इस तथ्य को गंभीरता से तो लिया है, लेकिन सिर्फ उच्चाधिकारी को बदलना ही पर्याप्त नहीं है। पूर्व में जो सीआईडी अधिकारी लगे हुए हैं, वे तो जस के तस ही है। 
 
बरसों से जमे हैं कार्मिक
पुलिस सूत्रों की मानें तो यहां अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जो कार्मिक लगे हुए हैं, उन्हें यहां सेवाएं देते हुए 10 वर्ष या उससे भी अधिक समय हो चुका है। ऐसे में इनके लिए बीट क्षेत्र अपना-अपना सा हो गया है, इसलिए इन्हें किसी बात का अंदाजा भी नहीं लगता है। पुलिस खेमे से ही इन सीआईडी कर्मियों को तुरंत प्रभाव से बदलने की मांग रखी गई है ताकि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सीआईडी का गठन किया जाता है, वह समय पर हो सके।

फिर पूरे शहर का कैसे रखेंगे ख्याल?
मामले में पुलिस महकमे से जुड़े लोगों का कहना है कि आतंकी रियाज व गौस 2010 से ही इस दिशा में मंसूबे मजबूत कर रहे थे। ऐसे में सीआईडी जैसी एजेंसी को सुराग नहीं लगा, जबकि कॉलोनी के बगल में ही सीआईडी क्राइम का कार्यालय है। ऐसे में यदि शहर में अन्य कोई इसी तरह का घटनाक्रम होता है तो सीआईडी से क्या अपेक्षाएं की जा सकती है। जब उन्हें अपने ही क्षेत्र में हो रही आतंकी गतिविधियों का अनुमान नहीं रहा, तो शहर के अन्य क्षेत्रों में यदि ऐसे मंसूबे मजबूत हो रहे होंगे तो उनका क्या होगा?

 

फोटो...खांजीपीर (लाल गोले में सीआईडी सीबी कार्यालय एवं करीब खांजीपीर कॉलोनी)

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