पश्चिम एशिया में युद्ध के विस्तार का खतरा

पश्चिम एशिया में युद्ध के विस्तार का खतरा

कोरोना महामारी के दंश से दुनिया पूरी तरह से अब तक उबर भी नहीं पाई है। उस पर पिछले ढाई साल की अवधि में ही एक के बाद एक छिड़े तीन-तीन युद्धों के दौर से उसे जूझने को मजबूर होना पड़ रहा है।

कोरोना महामारी के दंश से दुनिया पूरी तरह से अब तक उबर भी नहीं पाई है। उस पर पिछले ढाई साल की अवधि में ही एक के बाद एक छिड़े तीन-तीन युद्धों के दौर से उसे जूझने को मजबूर होना पड़ रहा है। दो साल से अधिक समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। पिछले छह माह से इजरायल-हमास के बीच जारी संघर्ष भी रूक नहीं पाया। अचानक पिछले पखवाड़े में ईरान-इजरायल के बीच लड़ाई से तीसरा मोर्चा और खुल गया। हालांकि इस मोर्चे के फिलहाल शांत होने के दावे तो किए जा रहे हैं, लेकिन ईरान समर्थित हिजबुल्लाह विद्रोही संगठन की ओर से इजरायल के उत्तरी क्षेत्र में पैंतीस रॉकेटों के जरिए बोले गए ताजा हमले के क्या मायने हैं? ऐसे में पश्चिमी एशिया में छिड़े छद्म युद्ध के फिर व्यापक रूप लेने की आशंकाएं ऐसे छिपी हुई हैं मानो राख के ढेर में छिपी आंच। युद्ध पीड़ित गाजा में भुखमरी बढ़ रही है। चिकित्सा सुविधाएं ना के बराबर। पर्याप्त मानवीय सहायता भी प्रभावितों तक नहीं पहुंच पा रही। ऐसे में पहले से ही जलवायु संकट से उपजे हालात और खाद्यान्न आपूर्ति से जूझते विश्व को भीषण ऊर्जा संकट और महंगाई के दौर से गुजरने के लिए विवश होना पड़ सकता है। इजरायल-ईरान के बीच आरंभिक जंगी पहल से ही तेल के दाम 90 अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचे। 

भविष्य में तेल के दामों की उछाल कहां तक पहुंच सकती है, अनुमान लगाया जा सकता है। युद्ध ने यदि अधिक विस्तार लिया तो ईरान होर्मुज जलडमरू मध्य मार्ग को रोक देगा। इस मार्ग के जरिए भारत सहित अन्य देशों को रोजाना सऊदी अरब से 63 लाख बैरल, यूएई, कुवैत, कतर और इराक से 33 लाख गैलन, ईरान से 13 लाख गैलन कच्चे तेल का निर्यात होता है। विश्व की बीस फीसदी एलएनजी का व्यापार होता है।  बता दें कि ईरान-इजरायल के बीच तनावपूर्ण स्थिति तब बनी जब एक अप्रैल को सीरिया के दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमला हुआ था, जिसमें उसके कई बड़े सैन्य अधिकारी मारे गए थे। ईरान ने इसका सीधा आरोप इजरायल पर लगा दिया था। वहीं इसके नेताओं ने इसके बदले इजरायल का धरती से वजूद मिटाने की कसमें तक खाईं। दो हफ्ते बीतने से पहले ही उसने इजरायल पर तीन सौ मिसाइलों के जरिए हमला बोल दिया। इस पर इजरायल ने दावा किया कि उसने ज्यादातर मिसाइलें अपने मजबूत एअर डिफेंस के जरिए नष्ट कर दीं। हालांकि मिसाइलों को नष्ट करने के बारे में अमेरिका का भी यह दावा है कि उसने इस बड़े हमले को ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर नाकाम कर दिया था।  लेकिन यह तो मानना पड़ेगा कि पिछले कुछ दशकों के बाद ईरान ने पहली बार इजरायल पर हमला बोलकर चुनौती दी है। 

इसके जवाब में इजरायल ने बमवर्षक ड्रोन और मिसाइलों के जरिए ईरान के बड़े सैन्य ठिकाने वाले शहर इशफाहान पर बम बरसाए। इशफाहान के बारे में यह माना जाता है कि ईरान यहीं अपने परमाणु बम बनाने का काम कर रहा है। हमला कितना बड़ा था, इसके बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। कुछ खबरों में तीन बड़े धमाकों की आवाजें सुनाई देने की बात कही गई है। हालाकि बहुत सालों पहले इजरायल इस शहर में अपने हमले बोल चुका है। ईरान ने अपना ताजा बयान जारी कर बताया है कि अब उसका इजरायल से बदला लेने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन इस बयान के बावजूद युद्ध के विस्तार की संभावनाएं तो अपने स्थान पर बनी हुई हैं। यह सर्वविदित है कि हमास और हिजबुल्लाह जैसे विद्रोही सैन्य बलों को ईरान से हर तरह की वित्तीय और सैन्य मदद मिलती आ रही है। इन्हीं के माध्यम से वह इजरायल के खिलाफ  छद्म युद्ध छेड़ता आ रहा है। लेकिन गत 7 अक्टूबर को हमास की ओर से हुए अप्रत्याशित हमले में करीब बारह सौ इजरायली मारे गए थे और सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया गया था। इसके बाद इजरायल ने गाजा को घेरकर हमास के खिलाफ  जोरदार हमला बोल दिया था। जो आज तक जारी है। ईरान के हमले के पीछे एक प्रमुख वजह भी मानी जा रही है कि इजरायली सुरक्षा बलों ने हमास के एक बड़े कमांडर इस्माइल के तीन बेटों को मार गिराया था। ईरान के हमले के तुरंत बाद इजरायल ने गाजा में हमले और बढ़ा दिए हैं। रविवार को उसने रफाह शहर में जोरदार हमला बोला। इजरायल-हमास संघर्ष में अब तक बत्तीस हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और करीब बहत्तर हजार घायल हुए। अस्सी फीसदी आबादी को विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा है। दोनों देशों के बीच नई जंग छिड़ने के बाद इजरायल की यह रणनीति सफल रही कि उसने 7 अक्टूबर को हमास के आतंकी हमले के पीछे ईरान को सामने पाया। तो दूसरी ओर इजरायल पर हुए हमले में ईरानी मिसाइल कार्यक्रम की कमजोरी भी उजागर हुई। 

-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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