मिशन 26/11 : वर्ष 2010 से आतंकी रियाज ने पाल लिए थे मंसूबे
-पाकिस्तान से भी उदयपुर आता था ‘लिट्रेचर’, गौस पहुंचाता स्लीपर सेल को
ब्यूरो/नवज्योति, उदयपुर। उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड के आतंकी कनेक्शन की परतें खुलती जा रही है। बड़ा खुलासा है कि आतंकवादी मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद नियमित रूप से इस्लामिक धर्मोपदेशक जाकिर नाईक के लिट्रेचर पढ़ते थे। ये पाकिस्तान से भी आते थे। इनको गौस देश में पनप रहे स्लीपर सेल को भेजता था। इसमें सांप्रदायिकता भड़काने वाले भाषण हुआ करते थे। आतंकी गौस के कमरे से नाईक के ढेरों लिट्रेचर मिला।
उदयपुर। उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड के आतंकी कनेक्शन की परतें खुलती जा रही है। बड़ा खुलासा है कि आतंकवादी मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद नियमित रूप से इस्लामिक धर्मोपदेशक जाकिर नाईक के लिट्रेचर पढ़ते थे। ये पाकिस्तान से भी आते थे। इनको गौस देश में पनप रहे स्लीपर सेल को भेजता था। इसमें सांप्रदायिकता भड़काने वाले भाषण हुआ करते थे। आतंकी गौस के कमरे से नाईक के ढेरों लिट्रेचर मिला।
दूसरी तरफ आतंकवादी रियाज मुंबई हमला यानी 26/11 को लेकर वर्ष 2010 से ही मंसूबे पाले रखे थे। दरअसल, मिशन 26/11 को आगे बढ़ाने के लिए आतंकी रियाज ने उदयपुर आरटीओ में पांच हजार रुपए की प्रीमियम राशि देकर वर्ष 2010 में बाइक (पेशन-प्रो) खरीदी थी। रियाज के दिलोदिमाग में मुंबई हमले की आग ऐसी सुलग हुई थी कि उसने पांच हजार रुपए अतिरिक्त खर्च किया। उधर, उदयपुर के खांजीपीर का रहने वाले आतंकी गौस ने पाकिस्तान के आतंकी सलमान हैदर से ट्रेनिंग ली थी एवं आतंकी अबू इब्राहिम के संपर्क में था। कन्हैयालाल की हत्या की पूरी प्लानिंग भी गौस ने ही रची थी। हत्याकांड को अंजाम देने के पूर्व रियाज को सूचित किया था। एसआईटी सूत्रों के अनुसार दोनों आतंकी रियाज व गौस सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर जाकिर नाईक के भडकाऊ भाषणों को वायरल करते तथा इनको अधिक से अधिक युवाओं तक पहुंचाने का कार्य करते थे।
एपिसोड में आता थे लिट्रेचर
आतंकी गौस और रियाज इस्लामिक स्कॉलर जाकिर नाईक से मिलने वाले भडकाऊ लिट्रेचर को बतौर एपिसोड स्लीपर सेल को भेजते थे। यह कभी सॉफ्ट कॉपी तो कभी हार्ड कॉपी के रूप में मिलता था। इतना ही इन एपिसोड को देने से पहले आतंकी रियाज व गौस इन स्लीपर सेल की शॉर्ट क्लास भी लेते थे, जिसमें एपिसोड से संबंधित चर्चा भी की जाती तथा किसी तथ्य पर असमंजस होने पर उसे स्पष्ट करते थे।
शिक्षा के नाम पर जुटाते थे फंडिंग
एनआईए की अब तक की हुई जांच में प्रारंभिक सूचनाओं के अनुसार सामने आया है कि रियाज व गौस शिक्षा के नाम पर फंडिंग जुटाने का कार्य करते थे। इसके लिए दोनों आतंकियों ने समाजनों के प्रतिष्ठानों में दावत-ए-इस्लाम के नाम के बॉक्स लगाए थे, जहां से मिलने वाली फंडिंग का हर माह हिसाब किया जाता था। इसके अलावा समाज के धर्म स्थलों, सोशल मीडिया से भी फंडिंग जुटाते थे।
लगातार छिपाए हुए थे पहचान
रियाज पहचान को छिपाने के लिए कहीं भी स्थाई रूप से नहीं रहता था। यही कारण था कि वह बार-बार मकान बदलता रहा ताकि उसकी आतंकी गतिविधियों की किसी को भनक नहीं लगे। बताने को तो आतंकी रियाज वेल्डिंग का कारीगर था, लेकिन जिन मकानों में वह रहा, वहां देर रात तक आतंकी गतिविधियों का संचालन करता था।
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