वर्ल्ड डायबिटीज डे आज : दुनिया में 42.2 करोड़ लोग मधुमेह की गिरफ्त में
इस वर्ष की थीम है डायबिटीज शिक्षा
शरीर में इंसुलिन की कमी से डायबिटीज होता है। यह आनुवंशिक, उम्र बढ़ने और मोटापे के कारण होता है। परहेज न रखने के परिणाम बुरे होते हैं। डायबिटीज का समय से इलाज जरूरी है।
नवज्योति, जयपुर। भारत समेत दुनियाभर में हाल के वर्षों में तेजी से डायबिटीज के मामले बढ़े हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 42.2 करोड़ से अधिक लोग इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्ति हैं। भारत में भी डायबिटीज तेजी से फैल रही है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि साल 2045 तक यह आंकड़ा 134.2 मिलियन को छू सकता है। डायबिटीज के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। लोगों को डायबिटीज के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। आंखों में इसका प्रभाव पड़ने पर रेटिनोपैथी और किडनी में होने पर नेफ्रोपैथी कहते हैं। इसकी लगातार जांच कराते रहे। स्नेक्स, जंक फूड, शुगर से युक्त खाद्य पदार्थ आदि से परहेज करें। आधा घंटे रोजाना पैदल वॉक के साथ, योग, प्राणायाम आदि करने से शुगर कंट्रोल रहती है।
इस वर्ष की थीम है डायबिटीज शिक्षा
इस वर्ष के डायबिटीज डे की थीम ‘डायबिटीज शिक्षा’ रखी गई है। इस थीम का उद्देश्य है कि लोगों को सही समय पर सही इलाज और इसकी सही जानकारी देना है। आजकल के बिजी लाइफस्टाइल और बदलते खान-पान के कारण डायबिटीज की समस्या एक आम बीमारी हो गई है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होती है। इसलिए डब्ल्यूएचओ लोगों को हर साल जागरूक करने और इससे होने वाले नुकसान और सही इलाज और सावधानी को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाता है।
इनका कहना है
शरीर में इंसुलिन की कमी से डायबिटीज होता है। यह आनुवंशिक, उम्र बढ़ने और मोटापे के कारण होता है। परहेज न रखने के परिणाम बुरे होते हैं। डायबिटीज का समय से इलाज जरूरी है।
- डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी, कंसल्टेंट फिजिशियन व डायबिटीज विशेषज्ञ, महात्मा गांधी अस्पताल सिटी सेंटर
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