जानिए राजकाज में क्या है खास

अब पोस्टर वार

जानिए राजकाज में क्या है खास

हाथ वाले भाई लोगों के राजकुमार का सूबे में पगफेरा क्या हो रहा है,  कई भाईसाहबों की नींद हराम हो गई। राजकुमार को तो जोश दिखाना वाजिब था, पर सूबे के अति उत्साही नेताओं ने जो होश खोया, वह दो दिन से इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने पर चर्चा का विषय बना हुआ है।

खेल नहीं खेला
सूबे में इन दिनों हाथ वालों के साथ ही कमल वाले भाई लोगों में कुर्सी के लिए खेल नहीं, खेला चल रहा है। चले भी क्यों नहीं, कुछेक नेताओं ने तो कुर्सी को अपनी मूंछ का बाल बना रखा है, तो कइयों ने सात पीढ़ी के इंतजाम की सोच रखी है। राज का काज करने वाले में चर्चा है कि कुर्सी की तरफ टकटकी लगाए बैठे हाथ वाले भाई का खेला कुर्सी को बचाने और कुर्सी छीनने को लेकर है, तो भगवा वाले भाई लोगों में कुर्सी पाने को लेकर खेला चल रहा है। कुर्सी को लेकर खेला बने इस नासूर का इलाज करने दोनों दलों में दिल्ली से वैद्य भी आए, मगर सिर्फ फर्स्ट एड कर वाह वाही लूट ले गए।

अब पोस्टर वार
वार तो वार ही होता है, चाहे मैदान में अस्त्र-शस्त्रों से हो या लाठियां भांज कर। एक-दूसरे को मात देने में सेनापति के साथ सेना भी अपनी पूरी ताकत झौंकती है। अब देखो ना, हाथ वाले भाई लोगों के बीच चल रही जंग शब्द बाणों पर रोक लगी तो पोस्टर वार की राह पकड़ ली। हाथ वाले राजकुमार की भारत जोड़ो यात्रा की आड़ लेकर पोस्टर वार से ताकत दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। दो साल से खेमों में बंटे हाथ वाले भाई लोगों को कौन समझाए कि सियार के उतावलेपन से बेर नहीं पकते, जितना जोर खेमे के नेताओं के पक्ष में लगा रहे हैं, उससे आधा जोर भी पब्लिक ग्रिएवेंस निपटाने में लगाते तो अगली बार दावेदारी के लिए पसीना नहीं पड़ता। बाकी तो यह पब्लिक है, सब जानती है।

डांस इन पॉलिटिक्स
आजकल पॉलिटिक्स में डांस और योगा छाया हुआ है। चहूंओर दोनों की धूम मची है। गुजरे जमाने में बाबा के साथ नमो ने रामलीला मैदान में योगा क्या किया था, दिल्ली दरबार में गरमाहट पैदा हो गई थी। अब बेचारे भगवा वाले कई नेताओं को मजबूरी में योगा सीखना पड़ रहा है। वैसे तो गुजरे जमाने में सुषमाजी ने ऐसा डांस क्या किया था कि पूरी पॉलिटिक्स ही नाचने लगी थी। नेताओं का डांस करने का अपना अपना अंदाज होता है। कोई दण्डवत कर लेटे लेटे डांस करते हैं, तो कई चौबीस घण्टे हाथ जोड़ कर नाचने में माहिर है। हमारे सूबे में तो नेता अपने आकाओं की तस्वीर बनाकर उनका चालीसा पढ़ने तक की उपाधि लेने में पीछे नहीं रहे। अब देखो ना, हमारे सूबे के चार लीडर तो जो भी करते हैं, उससे पहले भाईसाहब के नाम का गुणगान कर नाचते हैं।

चर्चा में फोन की घंटी
इन दिनों भगवा वालों कई नेताओं के कान अपने घर लगे टेलीफोन की घंटी की तरफ है। जब भी उनके फोन की घंटी बजती है, तो उनके दिल की धड़कन अपने आप ही बढ़ जाती है। जब से नमोजी के साथ दाढ़ी वाले आलाकमान ने सीधे नेताओं से गुपचुप संवाद शुरू किया है, तब से भगवा के ठिकाने में भी कई कयास लगाए जाने लगे हैं। गुजरे जमाने में राज का काज कर चुके भाईसाहब को अमितजी के यहां से बुलावा आने के बाद, उन नेताओं की धड़कनें तेज हो गई, जिनके मोबाइल पर दिल्ली के नंबर से घंटी नहीं बजी। वे चारों तरफ हाथ पैर मार कर अपनी रिपोर्ट कार्ड के बारे में जानकारी जुटाने में लगे हैं कि कहीं शाह की नजर में उनकी निगेटिव मार्किंग तो नहीं हो रही। वैसे भी इस बार एमएलएज की एसीआर भरने का काम परिषद की सेवा करने वालों के जिम्मे है।

जोश में खोया होश
हाथ वाले भाई लोगों के राजकुमार का सूबे में पगफेरा क्या हो रहा है,  कई भाईसाहबों की नींद हराम हो गई। राजकुमार को तो जोश दिखाना वाजिब था, पर सूबे के अति उत्साही नेताओं ने जो होश खोया, वह दो दिन से इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने पर चर्चा का विषय बना हुआ है। वहां आने वाले लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि आखिर माजरा क्या है। हाथ वाले भाई लोगों में खुसरफुसर है कि छोटे पायलट ने राजकुमार की अगवानी में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि जो कुछ किया गया, वह प्री मैनेजमेंट का पार्ट था। कदम-कदम पर जोधपुर वाले भाईसाहब समेत कइयों की अनदेखी भी की गई। और तो और सवा दो साल पहले ही ताश के पत्ते भी खुलवाने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगाया गया। सीएम का चैप्टर क्लोज का मैसेज के लिए रात को भी पसीने बहाने पड़े, लेकिन उसका रिएक्शन उल्टा नजर आ रहा है।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

Tags: Politics

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