गर्मी बढ़ने के साथ ही शहर में बढ़ी पानी की मांग सप्लाई नाकाफी, नतीजा: पेयजल किल्लत शुरू
शहर में वर्तमान में सभी स्रोतों से कुल 670 एमएलडी पानी की हो रही है सप्लाई
बीसलपुर बांध से 510 एमएलडी और नलकूपों से 160 एमएलडी पानी हो रहा सप्लाई। ज्यादा दिक्कत कॉलोनी के अंतिम छोर पर रहने वाले लोगों को हो रही है क्योंकि उन्हें जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिलने से मजबूरन कई बार टैंकरों से पानी खरीदना पड़ा रहा है।
जयपुर। शहर में तेज गर्मी का दौर शुरू हो गया है। तापमान बढ़ने के साथ ही घरों में कूलर चलने लगे हैं, पानी की जरूरत भी बढ़ गई है और इसके साथ ही पेयजल किल्लत की समस्याएं भी अब शुरू हो गई हैं। कम दबाव और कम समय के लिए पानी आने की शिकायतें बढ़ गई हैं। ज्यादा दिक्कत कॉलोनी के अंतिम छोर पर रहने वाले लोगों को हो रही है क्योंकि उन्हें जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिलने से मजबूरन कई बार टैंकरों से पानी खरीदना पड़ा रहा है। ऐसे में निजी टैंकर संचालक इन दिनों चांदी कूटने में लगे हैं। वहीं दूसरी ओर जलदाय विभाग शहर में मांग के अनुपात में पानी सप्लाई पर्याप्त होने का दावा कर रहा है।
28 मार्च को जलदाय विभाग ने बीसलपुर से 10 एमएलडी पानी की सप्लाई बढ़ाई थी
शहर में गर्मियों को देखते हुए पानी की मांग में बढ़ोतरी के मद्देनजर जलदाय विभाग 28 मार्च को बीसलपुर से 10 एमएलडी यानी एक करोड़ लीटर पानी की सप्लाई बढ़ाई थी। इसके बावजूद शहर के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति मांग के अनुपात में कम पड़ रही है। लोगों की पानी की जरूरत गर्मियों में बढ़ जाती है और ऐसे में फिलहाल जो सप्लाई हो रही है वह पर्याप्त नहीं है। ऐसे में जलदाय विभाग आने वाले दिनों में फिर से बीसलपुर से पानी की सप्लाई बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
इन इलाकों से आ रही शिकायतें
झोटवाड़ा, मुरलीपुरा, विद्याधर नगर, प्रतापनगर, जगतपुरा, सांगानेर, मालवीय नगर, बापू नगर, जवाहर नगर सहित कई इलाकों से इन दिनों पानी की समस्याएं आ रही हैं। लोगों का कहना है कि पानी कम दबाव से आता है और ऐसे में पर्याप्त पानी स्टोर नहीं कर पाते हैं।
फिलहाल ये है शहर में सप्लाई का गणित
शहर में सभी स्रोतों से कुल 670 एमएलडी यानी 67 करोड़ लीटर पेयजल सप्लाई प्रतिदिन हो रही है।
बीसलपुर परियोजना से शहर को मिल रहा 510 एमएलडी यानी 51 करोड़ लीटर पानी
सरकारी ट्यूबवैलों से भी 160 एमएलडी यानी 16 करोड़ लीटर पानी की सप्लाई की जा रही है।
इसके अतिरिक्त सरकारी टैंकरों के भी फेरे लगाए जा रहे हैं।
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