राह आसान करने वाले साइन बोर्ड बने आमजन की मुसीबत
जहां साइन बोर्ड हैं, वे क्षतिग्र्रस्त हैं और उनकी नियमित मॉनिटरिंग के अभाव में मरम्मत भी नहीं हो पाती है
शहर में विश्व विरासत से जुड़े आमेर महल, जलमहल, हवामहल, जंतर मंतर, सरगासूली, अल्बर्ट हॉल सहित दर्जनों पर्यटन स्थलों के साथ ही प्रमुख कार्यालयों एवं मार्गों को लेकर साइन बोर्ड नहीं हैं।
जयपुर। पिंकसिटी के नाम से मशहूर जयपुर में प्रतिवर्ष देश-विदेश के लाखों पर्यटकों का आवागमन होता है और शहर में पर्यटकों के साथ ही आमजन की राह आसान करने के लिए नगर निगम एवं जयपुर विकास प्राधिकरण प्रमुख स्थानों पर साइन बोर्ड लगाता है। शहर में जगह-जगह लगे हुए साइन बोर्ड क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, जिससे लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं।
शहर में विश्व विरासत से जुड़े आमेर महल, जलमहल, हवामहल, जंतर मंतर, सरगासूली, अल्बर्ट हॉल सहित दर्जनों पर्यटन स्थलों के साथ ही प्रमुख कार्यालयों एवं मार्गों को लेकर साइन बोर्ड नहीं हैं। जहां साइन बोर्ड हैं, वे क्षतिग्र्रस्त हैं और उनकी नियमित मॉनिटरिंग के अभाव में मरम्मत भी नहीं हो पाती है। ऐसे में देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों को भी उन स्थानों की जानकारी नहीं मिलती है।
जयपुर विरासत के प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल के नाम पर बनी एमआई रोड के बारे में निगम और जेडीए ने साइन बोर्ड के साथ ही इसके इतिहास के बारे में जानकारी नहीं दर्शाई है। शहर के प्रमुख स्थानों के लिए लगे साइन बोर्डों की हालत यह है कि कोई साइन बोर्ड क्षतिग्रस्त हो जाता है तो महीनों तक इसकी मरम्मत नहीं हो पाती। ऐसा ही मामला जयपुर कलेक्ट्रेट, सीकर रोड, प्रताप नगर व सांगानेर में लगाए गए साइन बोर्डों की हालत यह है कि इनके भरोसे वाहन अपने गंतव्य तक नहीं जा सकता। सामान्य तौर पर ये साइन बोर्ड होली दिवाली, नववर्ष सहित अन्य प्रमुख तारीखों पर लोगों के बधाई संदेश देने का प्रमुख स्थान होता है और लोग इन बोर्डों के हवाले आगे का सफर पूरा नहीं कर सकता है। हालांकि अभी आचार संहिता के चलते जिला निर्वाचन कार्यालय के आदेशों के चलते अधिकांश साइन बोर्डों से पम्मलेट व बैनर हटा दिए हैं।
नहीं हैं लंबी दूरी के साइन बोर्ड
शहर का विस्तार चारों दिशों में हो रहा है और एक दिशा से दूसरी दिशा के प्रमुख स्थानों पर जाने के लिए छोटी-छोटी दूरी के स्थानों के लिए तो साइन बोर्ड लगाए गए हैं, लेकिन यदि सांगानेर एयरपोर्ट से आमेर जाना हो तो सीधे आमेर किले के साइन बोर्ड नहीं होने से कोई व्यक्ति एक बार में एक स्थान से बिना पूछताछ या फिर गूगल मैप के बिना नहीं जा सकता है।
पेड़ों में छुपे हुए हैं बोर्ड
शहर में क्षतिग्रस्त साइन बोर्डों के साथ ही फुटपाथों पर लगे पेड़ों एवं अतिक्रमणों के चलते भी साइन बोर्ड दिख भी नहीं पाते हैं और लोगों को जिस स्थान पर जाना होता है वे उस स्थान पर जाने के बजाय दूसरे स्थान पर पहुंच जाते हैं। जेएलएन मार्ग स्थित गणेशजी मंदिर चौराहे पर तख्तेशाही रोड के लिए लगाया साइन बोर्ड पेड़ों में छुपा हुआ है और उसके आगे हो रहे अतिक्रमण भी आग में घी का काम कर रहे हैं।
पोस्टर-बैनर लगाने पर एफआईआर कराने का भी प्रावधान
निगम की राजस्व उपायुक्त सरोज ढाकर ने बताया कि साइन बोर्डों के साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर, बैनर, पम्पलेट लगाने वालों के खिलाफ नगर निगम कार्रवाई करता है। इसके लिए समय-समय पर पोस्टर-बैनरों का अभियान चलाकर हटाया भी जाता है और लोगों को पोस्टर-बैनर नहीं लगाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन इसके बाद भी लोग नहीं मानते हैं तो संपत्ति विरूपण अधिनियम के तहत संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज करवाई जाती है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
साइन बोर्डों पर लोग पोस्टर-बैनरों पर नगर निगम कार्रवाई करता है और फरवरी माह में ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। अब आगे ऐसा नहीं हो इसके लिए जेडीए जल्द ही साइन बोर्डों पर जालियां लगाएगा।
-देवेन्द्र गुप्ता, डायरेक्टर इंजी., जेडीए
साइन बोर्डों के क्षतिग्रस्त होने की सूचना है। सर्वे करवाएंगे। आदर्श आचार संहिता के बाद नए टेंडर कर इनकी मरम्मत कराने का काम किया जाएगा।
-सुबोध कुमार, एक्सईएन मुख्यालय,
नगर निगम जयपुर हेरिटेज
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