महिलाओं की राजनीति में सशक्त सहभागिता

महिला के प्रतिनिधि अधिक सशक्त व सक्रिय है

महिलाओं की राजनीति में सशक्त सहभागिता

राम विकास से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं के क्रियान्वयन में महिलाओं की सक्रिय सहभागिता होने के कारण गांवों में भी विकास की यात्रा प्रारंभ हुई है।

सत्ता संचालन में महिलाओं के पर्दापण की वजह से राजनीति व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन दृष्टिगोचर हो रहे हैं। ऐसा पाया गया कि निरक्षरता,गरीबी व भूखमरी जैसी ज्वलंत समस्याओं के समाधान में महिला के प्रतिनिधि अधिक सशक्त व सक्रिय है। इसके साथ ही ग्राम विकास से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं के क्रियान्वयन में महिलाओं की सक्रिय सहभागिता होने के कारण गांवों में भी विकास की यात्रा प्रारंभ हुई है। देश की महिलाओं के लिए गौरव का स्वर्णिम दिवस-निचले नंबर से सर्वोच्च पद पर आसीन हुई माननीया द्रोपद्री मुर्मु। निसंदेह रुप से, महिलाएं समाज की अभिन्न अंग है। महिलाओं की भागीदारी के बिना सामाजिक-आर्थिक विकास की अवधारणा अधूरी है। महिलाओं के विकास के लिए यह जरूरी है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र, विशेषकर राजनीति में उनकी प्रभावी व सशक्त सहभागिता सुनिश्चित की जाए। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी महिलाओं की राजनीतिक सत्ता के गलियारों में प्रभावी सहभागिता को महत्वपूर्ण श्रेणी देते हुए सदस्य राष्ट्रों को यह दिशा निर्देश दिया कि महिलाओं को राजनीतिक सत्ता में सहभागिता का अधिकार मिले ताकि वे राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक व सामाजिक विकासोन्मुखी नीति निर्धारण व क्रियान्वयन में अपनी प्रभावी, सकारात्मक व रचनात्मक भूमिका का निर्वहन कर सके।

स्वतंत्रता के बाद देश में महिलाओं की स्थिति सुधारने, सशक्त व सुदृढ़ करने के लिए अनेक नीतियों, कार्यक्रमों व योजनाओं को मूर्त रुप प्रदान किया गया, लेकिन इसके बावजूद राजनीति में महिलाओं की सहभागिता न्यून दर्ज की गई। केवल सदस्य स्तर पर ही नहीं अपितु अध्यक्ष सर्वोच्च पद के लिए भी सरकार ने आरक्षण व्यवस्था सुनिश्चित् करते हुए राजनीति में महिलाओं को समान वर्चस्व व भागीदारी स्थापित करने का संकल्प अभिव्यक्त किया है।पंचायती राज व्यवस्था में आरक्षण रुपी कवच की प्राप्ति होने के कारण ही महिलाओं में राजनीतिक चेतना, राजनीतिक जागृति एवं राजनीतिक सहभागिता का सूत्रपात हुआ है। इसके साथ ही महिलाओं की राजनीतिक क्षेत्र में भागीदारी के कारण उनके सामाजिक -आर्थिक स्तर, सम्मान व प्रतिष्ठा में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पुरुष वर्ग भी महिलाओं की योग्यता, क्षमता व अनुभव का लोहा मानने लगा है। यहीं नहीं, महिला शिक्षा, बालिका शिक्षा व लैंगिक समानता उदात्त विचारों के क्रियान्वयन को प्राथमिकता देते हुए राजनीति में सक्रिय महिलाएं महिला सशक्तिकरण की राह को आसान बना रही है। इन सब सकारात्मक परिवर्तनों के फलस्वरुप महिलाओं में नई चेतना ,नई सामर्थ्य व आत्मविश्वास की किरणों का संचार हो रहा है, जिससे महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया सशक्त व मजबूत होती जा रही है।
सत्ता संचालन में महिलाओं के पर्दापण की वजह से राजनीति व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन दृष्टिगोचर हो रहे हैं। ऐसा पाया गया कि निरक्षरता,गरीबी व भूखमरी जैसी ज्वलंत समस्याओं के समाधान में महिला के प्रतिनिधि अधिक सशक्त व सक्रिय हैं।

इसके साथ ही, ग्राम विकास से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं के क्रियान्वयन में महिलाओं की सक्रिय सहभागिता होने के कारण गांवों में भी विकास की यात्रा प्रारंभ हुई है। अनेक क्षेत्रीय अनुभवपरक अध्ययनों से यह तथ्य उजागर हुआ है कि कई महिला पंचों व सरपंचों, सांसदों ने प्रभावी ढंग से अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन किया है। राजनीति में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी  के कारण ही  राज्यों में सकारात्मक व आशाजनक परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए हैं। यही नहीं, समाज में प्रचलित धार्मिक अंधविश्वास, रुढ़ियों, पर्दा प्रथा,दहेज प्रथा,बाल विवाह जैसी कुरीतियों के निवारण में भी निर्वाचित महिलाएं अहम् भूमिका निभा रही है। खुशी का विषय है कि  महिलाओं की सहभागिता राजनीति में ‘प्रतीकात्मक’ रुप से धीरे-धीरे ‘वास्तविक’ भागीदारी के रुप में सुनिश्चित होने से इनमें अब अधिकार, चेतना व दायित्व बोध भावनाओं का विकास हो रहा है। इसी कारण से विकेन्द्रित लोकतांत्रिक व्यवस्था में उनकी भूमिका उत्तरोत्तर सशक्त व प्रभावी सिद्ध हो रही है। अब यह तथ्य स्वीकारा जाने लगा है कि महिलाओं में भी योग्यता, दक्षता, कौशल व क्षमता है तथा पर्याप्त व समान अवसर उपलब्ध होने पर वे अपनी क्षमताओं व योग्यताओं का पूर्ण व सार्थक उपयोग करके देश के विकास की गति को तीव्र कर सकती है। यही नहीं, खाद्य सुरक्षा,ऊर्जा सुरक्षा व पर्यावरण सुरक्षा जैसे ज्वलंत व सामयिक विषयों में भी महिला प्रतिनिधि सार्थक भूमिका निभा रही है। देश एवं राज्यों के बजट निर्माण प्रक्रिया में भी निर्वाचित महिलाएं अपने कौशल,अनुभव व सूझबूझ का परिचय दे रही है। इन सब सकारात्मक व सार्थक परिवर्तनों के कारण ही राजनीति के स्वरुप व महत्व में अप्रत्याशित परिवर्तन परिलक्षित हो रहे हैं। राजनीति में महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित करके महिलाओं से संबंधित  समस्याओं, महिला शिक्षा,स्वास्थ्य व पोषण संबंधी योजनाओं व कार्यक्रमों को अधिक प्रभावी व सार्थक बनाया जाना संभव हो पाया है क्योंकि महिलाएं इन सब समस्याओं के प्रति अधिक जागरुक,सतर्क व संवेदनशील होती है।

-डॉ. अनीता मोदी
(ये लेखक के अपने विचार है)

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