सतरंगी सियासत
सर्वोच्च न्यायाल ने भी ईडी की ताकत पर लगाई मोहर
ईडी मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी ऐसे दिन आया। जब सोनिया गांधी से नेशनल हेराल्ड मामले में पूछताछ हो रही थी।
ईडी, टीएन शेषन...
एक दौर में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त बने थे टीएन शेषन। उन्होंने संविधान के तहत चुनाव आयोग को मिले अधिकारों का ऐसा उपयोग किया कि तमाम नेता पानी भरते नजर आए। उस समय इतने चुनावी प्रतिबंध लगाए कि देश की आम जनता सकते में आ गई। कोई सोच भी नहीं सकता कि देश का चुनाव आयोग इतना ताकतवर होता होगा। ठीक इसी प्रकार अब ईडी के अधिकार लग रहे। ईडी तो पहले भी थी। कई बड़े लोग और नेता आईटी या सीबीआई से नहीं डर रहे। बल्कि ईडी ने ऐसी दहशत पैदा की हुई कि आम जनता में कौहतुल। आज महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल क्या। दिल्ली सरकार भी इसकी निगहबानी में। करेला नीम चढ़ा यह हुआ कि अब तो सर्वोच्च न्यायाल ने भी ईडी की ताकत पर मोहर लगा दी। ऐसे में अब आगे और बहुत कुछ होने वाला। ईडी मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी ऐसे दिन आया। जब सोनिया गांधी से नेशनल हेराल्ड मामले में पूछताछ हो रही थी।
ईडी ने दिया अवसर...
ईडी ने कई मामलों में कांग्रेस को लाभ ही दिलाया। ऐसा लग रहा। जहां पार्टी कार्यकर्ता और नेता सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की पूछताछ को लेकर आक्रोशित। वहीं, सोनिया गांधी से हुई पूछताछ के बाद तो असंतुष्ट खेमा यानी ह्यजी-23ह्ण भी सामने आ गया। यहां तक कि मनीष तिवारी समेत कई असंतुष्ट नेता सड़क पर उतरे। उनकी गिरफ्तारी भी हुई। तो गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा जैसे नेता ईडी की कार्रवाई का विरोध करते हुए मीडिया के सामने नमूदार हुए। आजाद ने तो युद्ध नीति का हवाला देते हुए महिलाओं को हाथ नहीं लगाने की बात कही। साथ ही सोनिया गांधी की आयु एवं सेहत का भी हवाला सरकार को दिया। याद रहे जी-23 के नेता राहुल गांधी से हुई पूछताछ के समय नदारद थे। लेकिन आज भी सोनिया गांधी के प्रति सम्मान, आस्था एवं, निष्ठा में कोई कमी नहीं। मतलब और कुछ हो न हो। कांग्रेस को जरूर एकजुट होने का अवसर।
मतभेद सतह पर
बिहार में भाजपा-जदयू के बीच सब कुछ ठीक नहीं। बयानबाजी ऐसी हो रही कि गठबंधन पर आ रही। भाजपा अपने सभी सात मोर्चों का दो दिनी जलसा कर रही। इन मोर्चों के पदाधिकारी राज्य की 200 विधानसभाओं की टोह ले आए। मतलब टागरेट- 200 सीट। वैसे लक्ष्य 243 का था। लेकिन इसमें बदलाव करते हुए 200 कर दिया गया। उन 43 सीटों को छोड़ दिया गया। जहां पिछले चुनाव में सहयोगी जदयू जीती थी। अब जवाब में जदयू अध्यक्ष लल्लन सिंह का बयान आ गया। कहा, पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही। चंूकि लल्लन सिंह सीएम नितिश कुमार के करीबी। इसलिए उनके बयान के मायने। जबकि बीते दो दिनों से भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पटना दौरे पर। सो, लग रहा। मतभेद अब सतह पर। लेकिन अभी विपक्षी राजद आश्वस्त नहीं। क्योंकि उसके भी प्रदेश अध्यक्ष कह चुके। नितिश का गठबंधन के लिए स्वागत। लेकिन सीएम बनने के लिए नहीं। बल्कि राजद का सीएम बनवाने के लिए।
नौक झौंक के मायने!
लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी की एक टीवी चैनल पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर की गई टिप्पणी पर भाजपा सांसद खासे आक्रामक हो गए। सदन में इसकी अगुवाई की स्मृति ईरानी ने। उन्होंने सोनिया गांधी से सदन में माफी की मांग की। लेकिन जिस रौद्र रुप में स्मृति ईरानी नजर आईं। वह कई को खल गया। हंगामे के बाद सदन स्थगित हो गया। सोनिया गांधी ने स्मृति ईरानी से बात करने से मना कर दिया। बल्कि वह भाजपा सांसद रेणु देवी से बात करने पहुंची गईं। अब जानकार कह रहे। मामला चाहे कुछ भी हो। लेकिन जहां स्मृति कांग्रेस नेताओं द्वारा उनकी बेटी का नाम लेकर लगाए गए आरोपों से असहज। तो सोनिया गांधी स्मृति ईरानी द्वारा राहुल गांधी को अमेठी से हरा देने का दर्द नहीं भुला पा रहीं। और बस इसी की झलक लोकसभा में बीते सप्ताह देखने को मिली। इसे स्मृति ईरानी ने भी स्वीकारा। उनका दोष यही कि उन्होंने राहुल गांधी को हराया।
गुल खिला रही बैठक!
दार्जिलिंग में असम के सीएम हेमंत बिस्व सरमा और ममता दीदी की बैठक की तस्वीर अब गुल खिला रही। जिसमें तत्कालीन गवर्नर जगदीप धनखड़ भी मौजूद रहे। तब जानकारों को समझ नहीं आया। लेकिन जब धनखड़ के नाम का ऐलान राजग की ओर से उपराष्ट्रपति पद के लिए हुआ। तो दीदी चुनाव से हट गई। लेकिन बंगाल में ईडी की कार्रवाई जारी। ममता के करीबी पार्थ चटर्जी को लेकर खुलासे हो रहे। लेकिन स्वभाव के विपरीत दीदी मौन ही नहीं। बल्कि पार्थ चटर्जी को टीएमसी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया। तो क्या दीदी को पहले से पता था कि अभी टीएमसी के कई और नेताओं के लपेटे में आने की आशंका। जिससे बचने के लिए पार्थ चटर्जी को बाहर करके ममता बनर्जी ने यही संकेत दिया हो कि अब बस! यहीं रूक जाओ। लेकिन डर तो ममता दीदी को अपने सगे संबंधियों के भी फंसने का लग रहा! कहीं ऐसा तो नहीं, बंगाल में कोई ‘शिंदे’ सामने आ जाए!
आगे क्या?
नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी राहुल गांधी से पहले पार्टी कोषाध्यक्ष पवन बंसल और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछताछ कर चुकी। सबसे आखिरी में सोनिया गांधी से पूछताछ की गई। ईडी ने संकेत दिया कि अभी फिलहाल जितना जरुरत थी। सवाल जवाब किए जा चुके। जब जरुरत होगी। तब सोनिया गांधी को बुला लिया जाएगा। सो, अब ईडी के आगे के कदम की प्रतिक्षा हो रही। केन्द्रीय जांच एजेंसी आगे क्या करने जा रही? जानकार अनुमान लगा रहे। ईडी कहीं नेशनल हेराल्ड की संपत्तियां जब्त न कर ले। वैसे भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ ने कांग्रेस कार्यकार्ताओ को चार्ज कर दिया। सड़कों पर खूब धरना प्रदर्शन और नारेबाजी हुई। संसद के दोनों सदनों में भी पार्टी सांसद पीछे नहीं रहे। बल्कि करीब एक दर्जन विपक्षी दलों ने सोनिया गांधी से पूछताछ पर ऐतराज भी जताया। हालांकि ईडी अपना काम करती रही। लेकिन जब सर्वाच्च न्यायालय ईडी के दायरे को लेकर स्थिति स्पष्ट कर चुका। तब आगे क्या होगा?
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