सात समंदर पार करके आए प्रवासी पक्षी

दुर्लभ प्रजाति के पक्षी जलाशयों में कर रहे अठखेलियां

सात समंदर पार करके आए प्रवासी पक्षी

झालावाड़ में आने वाले प्रवासी पक्षी कई हजार किलोमीटर का सफर तय करके यहां आते हैं तथा यहां वह तीन से चार महीना रुकते हैं और उसके बाद पुन: लौट जाते हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार कई पक्षी ऐसे हैं जो 5 से 10000 किलोमीटर की यात्रा करते हुए यहां पहुंचते हैं। हिमालय के अतिरिक्त यूरोप एवं पृथ्वी के अन्य भागों से भी यह प्रवासी पक्षी यहां पहुंचते हैं जो लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

झालावाड़। झालावाड़ जिले में कई जलाशयों पर लंबे समय से प्रवासी पक्षी आते रहे हैं, हालांकि कभी-कभी इनकी संख्या काफी कम भी हो जाती है, किंतु इस बार झालावाड़ के आसपास विभिन्न जलाशयों में प्रवासी पक्षियों ने अपना डेरा जमा रखा है तथा जलाशयों में इनकी अठखेलियां पक्षी प्रेमियों को काफी आकर्षित कर रही हैं।  विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी अनुसार शीत ऋतु के प्रारंभ से ही झालावाड़ में लगभग 150 तरह के विदेशी प्रवासी पक्षी आना शुरू हो जाते हैं, जिनकी कुल संख्या कई हजारों में होती है। जलाशयों के आसपास इन प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा इन दिनों को देखने को मिल रहा है, जिसमें झालावाड़ का खंड्या तालाब, नया झालरापाटन का गोमती सागर, मूंडलिया खेड़ी तथा बड़बेला का तालाब प्रमुख रूप से शामिल है। इन दिनों में सभी तालाबों पर पक्षी प्रेमी और फोटोग्राफर खूब पहुंच रहे हैं तथा पक्षियों की अठखेलियों को निहार कर आनंदित हो रहे हैं।

हजारों किलोमीटर का सफर तय करके आते हैं प्रवासी पक्षी
विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी अनुसार झालावाड़ में आने वाले प्रवासी पक्षी कई हजार किलोमीटर का सफर तय करके यहां आते हैं तथा यहां वह तीन से चार महीना रुकते हैं और उसके बाद पुन: लौट जाते हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार कई पक्षी ऐसे हैं जो 5 से 10000 किलोमीटर की यात्रा करते हुए यहां पहुंचते हैं। हिमालय के अतिरिक्त यूरोप एवं पृथ्वी के अन्य भागों से भी यह प्रवासी पक्षी यहां पहुंचते हैं जो लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि बर्ड डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हो चुके झालावाड़ में अब पक्षियों की तदात बढ़ती जा रही है, बताया जा रहा है कि झालावाड़ में अब पक्षी आवास संरक्षित होने लगे हैं। जिसके चलते यहां पक्षियों की संख्या में दिन-ब-दिन इजाफा हो रहा है।

इन पर जातियों के प्रवासी पक्षी आए
जानकारी अनुसार झालावाड़ और उसके आसपास के विभिन्न जलाशयों पर कॉमन कूट, नार्दन पिनटेल, नार्दन शॉवलर, कॉमन पॉचार्ड, टफ्टेड पॉचार्ड, रेड क्रेस्टेड पॉचार्ड, कॉमन टील, बार हेडेड गूज, रडी शेल डक, ग्रे लेग गूज, पालास गल, ग्रेटर फ्लेमिंगो, गे्रट व्हाइट पेलिकन, व्हाइट टेल लेपविंग, येल्लो वाटल्ड लेपविंग, लिटिल ग्रिब, कोटन पिगमि गूज व्हिलिंग टील, पेंटेड स्टॉर्क, ब्लैक स्टॉर्क, वूली नेक्ड स्टॉर्क, सेंडपाइपरस, स्टिंट, प्लोवरस, इग्रेट, शिकारी पक्षियों में मार्श हेरियर, ओस्प्रे सहित कई दुर्लभ प्रजातियों के प्रवासी पक्षी भी देखने को मिल रहे हैं।

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