शेयर बाजार पर आरबीआई की मौद्रिक नीति का रहेगा असर
छोटी कंपनियों में भी लिवाली का बल रहा
रूस-यूक्रेन तनाव में नरमी, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लिवाली और औद्योगिक उत्पादन में तेजी की बदौलत पिछले सप्ताह तीन प्रतिशत से अधिक की तेजी में रहे शेयर बाजार पर अगले सप्ताह रिजर्व बैंक (आरबीआई) की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा का असर रहेगा।
मुंबई। रूस-यूक्रेन तनाव में नरमी, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लिवाली और औद्योगिक उत्पादन में तेजी की बदौलत पिछले सप्ताह तीन प्रतिशत से अधिक की तेजी में रहे शेयर बाजार पर अगले सप्ताह रिजर्व बैंक (आरबीआई) की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा का असर रहेगा। समीक्षाधीन अवधि में दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई की छोटी और मझौली कंपनियों में भी लिवाली का बल रहा। सप्ताहांत पर मिडकैप 653.68 अंक की तेजी के साथ 24443.59 अंक और स्मॉलकैप 898.81 अंक की मजबूती के साथ 28699.41 अंक पर पहुंच गया।
विश्लेषकों के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में नरमी, रूस-यूक्रेन के मोर्चे पर कुछ सकारात्मक खबरें, एफआईआई की लिवाली, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) का निरंतर समर्थन और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के कारण शेयर बाजार ने वित्त वर्ष में मजबूत शुरुआत की। वैश्विक बाजार स्थिर हैं लेकिन भू-राजनीतिक स्थिति के बारे में अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है। उच्च मुद्रास्फीति और मंदी दोनों की स्थिति चिंताजनक है।
अगले सप्ताह घरेलू शेयर बाजार की दिशा निर्धारित करने में आरबीआई मौद्रिक नीति की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। अधिकांश केंद्रीय बैंक पहले ही ब्याज दरों में वृद्धि कर चुके हैं जबकि आरबीआई यथास्थिति बनाए हुए है।
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