सटीक उपचार के लिए मशीनों की मदद से हो रहा है नाड़ी परीक्षण

सटीक उपचार के लिए मशीनों की मदद से हो रहा है नाड़ी परीक्षण

कोविड माहामारी ने पूरी दुनिया को ये समझा दिया है कि एक औषधि सब उपचार में कारगर नहीं है। हर एक समूह के लिए अलग-अलग प्रकार की औषधि की आवश्यकता है।

जयपुर। कोविड माहामारी ने पूरी दुनिया को ये समझा दिया है कि एक औषधि सब उपचार में कारगर नहीं है। हर एक समूह के लिए अलग-अलग प्रकार की औषधि की आवश्यकता है। ऐसी औषधि के लिए डायग्नोसिस सिस्टम सहयोगी, प्रिडेक्टिव और पर्सनलाइज होना चाहिए। पूरी दुनिया में इसके बारे जब विचार किया गया तब नाडी परीक्षा सबके सामने उभर कर आया। यह बात नाडी गुरु वैद्य संजय छाजेड ने विशेष बातचीत में कहीं। वे आईआईटी मुंबई के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर में बतौर मेंटोर कार्यरत हैं।

छाजेड़ ने कहा कि नाडी परीक्षा में प्राचीन पद्धति के अनुसार नाडी हाथ से देखकर रोगों का पता लगाकर वैद्य उपचार करते थे। अब मेन्यू अलग तरीके से भी नाडी परीक्षण कर रोगों का पता लगाया जा रहा है। नाडी परीक्षण में हो रहे लगातार शोधों के बाद नई तकनीकों को इस्तेमाल किया जा रहा है। नाडी के माध्यम से वैयक्तिक एनालिसिस कर रोगों का पता लगाया जा रहा है और ये बहुत आसान है। मशीन पर अंगुली लगाकर या चेहरे की स्क्रीनिंग से नाडी परीक्षण कर निदान की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। नए नए यंत्रो के माध्यम से कम्यूनिटी स्क्रीनिंग की जा रही है। नाडी परीक्षण में कोई खर्चा नहीं आता है। सिम्यूलाइज सिस्टम में मशीन के जरिए नाडी परीक्षण शुरु हो चुका है। अभी तक तो एआई बेस्ड नाडी परीक्षण किया जा रहा है परन्तु आईआईटी की टीम ने हाल ही में नाडी परीक्षा में डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट डिजीज, पीसीओडी, थायरॉइड के अलग-अलग स्वरूप से उपचार की प्रक्रिया स्वतः चालू हो जाएगी। इसके मकसद सिर्फ इतना ही है कि भविष्य में होने वाली गंच गीर व्याधियों का पता नाडी परीक्षण से मिलता है तो हम बीमारियों को अच्छे तरीके से रोक पाएंगे। इसलिए आज नाडी परीक्षा बड़े व नए स्वरूप में उभरकर आ रही है।

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