JK Loan Hospital में प्लाज्मा चोरी मामला: ब्लड बैंक इंचार्ज को हटाया, एसीएस ने 4 सदस्यों की कमेटी बनाई

3 दिन में जांच पूरी करके देगी रिपोर्ट, एफआईआर भी हुई दर्ज 

JK Loan Hospital में प्लाज्मा चोरी मामला: ब्लड बैंक इंचार्ज को हटाया, एसीएस ने 4 सदस्यों की कमेटी बनाई

राजधानी जयपुर के जे.के. लोन हॉस्पिटल से प्लाज्मा चोरी के मामले में राज्य ने एक्शन लेते हुए इस मामले ब्लड बैंक इंचार्ज सतेन्द्र सिंह को जे.के. लोन से हटाकर सवाई मानसिंह हॉस्पिटल स्थित ब्लड बैंक लगा दिया।

जयपुर। राजधानी जयपुर के जे.के. लोन हॉस्पिटल से प्लाज्मा चोरी के मामले में राज्य ने एक्शन लेते हुए इस मामले ब्लड बैंक इंचार्ज सतेन्द्र सिंह को जे.के. लोन से हटाकर सवाई मानसिंह हॉस्पिटल स्थित ब्लड बैंक लगा दिया। जबकि इस पूरे मामले की जांच के लिए 4 सदस्यों की कमेटी का गठन किया है, जिसे तीन दिन में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए है। वहीं इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन की ओर से एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। वहीं अब एक प्राइवेट हॉस्पिटल की संदिग्ध भूमिका भी इस पूरे मामले में नजर आ रही है। सूत्रों का कहना है कि प्लाज्मा चोरी करने वाला स्टाफ इसी हॉस्पिटल के किसी व्यक्ति को ये बेचता था। इस प्लाज्मा का उपयोग फार्मा कंपनियां प्रोटीन समेत अन्य सप्लीमेंट्स बनाने में उपयोग लेती है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह के निर्देश पर अतिरिक्त निदेशक अस्पताल प्रशासन डॉ. सुशील परमार, उप वित्तीय सलाहाकार सुरेश चन्द जैन, एड्स कंट्रोल सोसायटी के अतिरिक्त निदेशक डॉ. केसरी सिंह और औषधि नियंत्रक प्रथम अजय फाटक को इस कमेटी में शामिल किया है। गौरतलब है कि जेके लोन हॉस्पिटल में ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने शनिवार को लैब टेक्नीशियन कृष्णकांत कटारिया को प्लाज्मा चोरी के मामले में पकड़ा था। इस प्रकरण का रविवार को जब खुलासा हुआ तो मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही इस मामले की जांच शुरू करवा दी। जांच प्रभावित न हो इसे देखते हुए डॉ. सत्येन्द्र सिंह को जे.के. लोन हॉस्पिटल से हटाकर एसएमएस हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में लगाया गया।

सीसीटीवी फुटेज लेगी कमेटी
ये कमेटी जांच इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए हॉस्पिटल के सीसीटीवी फुटेज देखेगी। इसके अलावा किस-किस स्टाफ की कब-कब ड्यूटी ब्लड बैंक में लगी है इसको लेकर भी पूरा रिकॉर्ड देखकर उसकी जांच करेगी और स्टाफ के बयान और पूछताछ के आधार पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। 

नहीं आता मरीजों के काम
ब्लड बैंक से जुड़े एक्सपर्ट्स ने बताया कि चोरी किया गया प्लाज्मा मरीजों के उपयोग का नहीं होता। इस प्लाज्मा को फार्मा कंपनियां  मेडिकल रिलिफ सोसायटी के जरिए खरीदती है। इस प्लाज्मा से दवाईयां, प्रोटीन समेत अन्य सप्लीमेंट्स बनाए जाते है। सूत्रों की माने तो लैब टेक्नीशियन कृष्णकांत कटारिया इस प्लाज्मा को चोरी करने के बाद एक निजी हॉस्पिटल को देता था। जेएलएन मार्ग स्थित इस निजी हॉस्पिटल के कुछ लोग इस भूमिका में शामिल है। हालांकि ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि हॉस्पिटल प्रशासन भी इसमें शामिल था या ये काम केवल कुछ लोगों तक ही सीमित था।

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