भजनलाल सरकार ने मांगी टैक्स में 50% हिस्सेदारी, राजस्थान विशेष परिस्थितियों वाला प्रदेश : CM
उन्होंने वित्त आयोग से सड़क एवं पुल, सिंचाई परिसंपत्तियों और वनों के लिए रखरखाव अनुदानों को फिर से शुरू करने का अनुरोध भी किया।
जयपुर। केन्द्र सरकार की ओर से गठित 16वां वित्त आयोग राजस्थान के दो दिवसीय दौरे पर है। आयोग के सामने गुरुवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेश की हर विषम परिस्थितियों का विस्तार से विवरण करते हुए देश के सबसे बड़े प्रदेश का राजस्थान का पक्ष मजबूती से रखा। शर्मा ने आयोग से कहा है कि वह हर पहलु को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिशें करे। राज्य सरकार की ओर से वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा ने प्रजेंटशन दिया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने आयोग के सभी सदस्यों का स्वागत किया। उनके सम्मान में रात्रि भोज भी आयोजित किया। आयोग के समक्ष शुक्रवार को विभागवार प्रजेंटेशन दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक स्थिति, विशाल क्षेत्रफल, मरूस्थलीय भू-भाग, जल संसाधनों की अत्यधिक कमी, अनुसूचित जाति एवं जनजाति की बड़ी आबादी के परिप्रेक्ष्य में वित्त आयोग केन्द्र सरकार से राजस्थान को अतिरिक्त वित्तीय सहायता देने की सिफारिश करें। उन्होंने वित्त आयोग से प्रदेश में भीषण जल संकट को ध्यान रखते हुए विशेष वित्तीय सहायता देने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिश करने का भी पुरजोर आग्रह किया है। मुख्यमंत्री शर्मा गुरुवार को सचिवालय में 16वें वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान विशाल भूभाग और बिखरी हुई आबादी वाला राज्य है, इस कारण यहां शिक्षा, चिकित्सा व स्वास्थ्य, पेयजल, विद्युत, संचार सुविधा आदि बुनियादी सुविधाएं आमजन तक पहुंचाने के लिए दूसरे राज्यों की तुलना में अधिक लागत आती है। उन्होंने कहा कि इस अतिरिक्त लागत और प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रदेश को वित्तीय संसाधन मुहैया कराए जाएं। शर्मा ने कहा कि राज्य को तकरीबन हर वर्ष हीट वेव का सामना करना पड़ता है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों के निवासियों की आजीविका प्रभावित होती है। इसके साथ ही, रेगिस्तानी टिड के कारण फसलों को क्षति पहुंचती है।
इसको ध्यान में रखते हुए हीट वेव एवं रेगिस्तानी टिड्डियों के खतरे को प्राकृतिक आपदा माना जाए और इन्हें राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (एनडीआरएफ) में प्राकृतिक आपदा की परिभाषा में शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री ने वित्त आयोग से केन्द्रीय करों के वितरण के लिए ऐसा फार्मूला विकसित करने का अनुरोध किया, जो कि क्षेत्रीय विषमताओं को दूर करने का साधन बने और समाज के सभी क्षेत्रों और वर्गों के लिए महत्वपूर्ण न्यूनतम बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए अधिक संसाधन आवंटित करने में सहायक हो। उन्होंने केन्द्रीय कर आय में राज्यों की हिस्सेदारी को अंतिम रूप देते समय प्रदेश के क्षेत्रफल को विशेष महत्व दिए जाने का भी आग्रह किया। उन्होंने वित्त आयोग से सड़क एवं पुल, सिंचाई परिसंपत्तियों और वनों के लिए रखरखाव अनुदानों को फिर से शुरू करने का अनुरोध भी किया।
केश स्कीमों से बढ़ा राजकोषीय घाटा: पनगड़िया
राजस्थान के दौरे पर आए 16वें वित्त आयोग के सामने राजस्थान सरकार ने करों में 50 फीसदी हिस्सा मांगा है। आयोग के अध्यक्ष अरविन्द पनगड़िया ने गुरुवार को यहां पत्रकारों को बताया कि केश स्कीमों के वजह से राज्यों सरकारों का राजकोषीय घाटा बढ़ा है। उन्होंने बताया कि आयोग के समक्ष राज्य सरकार ने पांच प्रमुख आधारों को पेश करते हुए करों में 50 प्रतिशत हिस्सा देने की मांग की है। केन्द्र से अभी टैक्स में 41 प्रतिशत हिस्सेदारी ही मिलती हैं। इसके साथ ही राजस्थान की भौगोलिक, क्षेत्रफल, जनसंख्या और विशेष परिस्थितियों को देखते हुए राज्यों के बीच हिस्सेदारी के मानकों में भी बदलाव की मांग की है। आयोग इन दिनों राज्यों के दौरे पर है। अब तक उसने चार राज्यों का दौरा किया है। अभी 24 प्रदेशों में दौरा करना बाकी है। पनगड़िया के अनुसार अपने दौरे में आयोग राज्य सरकारों से वार्ता करने के बाद उनकी वित्तीय स्थिति का आंकलन कर रहा है। सभी राज्यों और केन्द्र सरकार से बातचीत के बाद आयोग अपनी सिफारिशें देगा। उसी आधार पर देश में आने वाले समय में केन्द्र और राज्यों के बीच करों का वितरण तय होगा। आयोग को यह भी देखना है कि देश में वित्तीय स्थिरता बनी रहे। इसलिए हम इस तरह की योजनाओं से होने वाले असर पर भी विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि हम इसे अपनी सिफारिशों में शामिल करेंगे या नहीं। इस बारे में अभी नहीं बताया जा सकता हैं। लेकिन यह जरूर है कि वित्त आयोग इस तरह की योजनाओं से पड़ने वाले असर का आंकलन जरूर करेगा।
यह दिया राज्य सरकार ने प्रजेंटेशन
पनगड़िया के अनुसार राजस्थान सरकार की ओर से बैठक में आयोग के सामने प्रजेंटेशन देते हुए कहा गया कि राजस्थान देश में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य हैं। लेकिन राज्य का दो तिहाई हिस्सा रेगिस्तान हैं। देश की वेस्ट लैंड का 21 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान में हैं। यहां करीब 1071 किलोमीटर अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर हैं। प्रदेश में जनसंख्या घनत्व कम होने से लोगों तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा खर्चा होता हैं। राजस्थान की 75 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती हैं। वहीं यहां एससी-एसटी की आबादी भी 21 प्रतिशत हैं। प्रदेश में पानी एक बड़ी समस्या हैं। ऐसे में राजस्थान की इन विशेष परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने वित्त आयोग से मांग की है कि राज्यों में करो की हिस्सेदारी में भी राजस्थान के मानकों में बदलाव किया जाए।
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