वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे आज: तीन गोली से बीपी कंट्रोल ना हो तो सामान्य फिजिशियन से नहीं, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से कराएं बीमारी का इलाज

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के रिसर्च में आया सामने

वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे आज: तीन गोली से बीपी कंट्रोल ना हो तो सामान्य फिजिशियन से नहीं, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से कराएं बीमारी का इलाज

एंडोक्राइन हाइपरटेंशन के मरीजों की संख्या में इजाफा, 35 साल तक के युवा हो रहे ग्रसित

जयपुर। हाइपरटेंशन यानि हाई बीपी की बीमारी को लेकर यह धारणा है कि मरीज जनरल फिजिशियन से ही इलाज लेता है, लेकिन एसएमएस मेडिकल कॉलेज के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के एक रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि एंडोक्राइन हाइपरटेंशन के केस भी अब तेजी से बढ़ने लगे है और यह बीमारी 35 साल से कम आयु वर्ग में देखने को मिली है।  एसएमएस मेडिकल कॉलेज के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप माथुर ने बताया कि एंडोक्राइन हाइपरटेंशन एक जेनेटिक डिसआॅर्डर से संबंधित बीमारी है। हमारे यहां जो लोग ओपीडी में इलाज के लिए आ रहे हैं या भर्ती हैं उनमें 35 साल तक की आयु के मरीज हैं। जिन परिवारों में माता-पिता को हाई बीपी की शिकायत रहती है, वहां बच्चों में यह बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसमें मरीज का ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा रहता है और 3 या 4 गोली से भी कंट्रोल में नहीं आता है। इनमें सामान्य बीपी के मरीजों की तुलना में अलग लक्षण होते हैं। इनमें तेज घबराहट, दिल की धड़कन बढ़ना, बैचेनी होने के अलावा तेज पसीना आना, रात में यूरिन अधिक और बार-बार आना, क्रैम्प्स आना आदि लक्षण होते हैं। मरीज इसे सामान्य ब्लड प्रेशर मानकर जनरल फिजिशियन से इलाज कराते हैं और महज दस फीसदी मरीज ही एसएमएस के आते हैं। इससे बीमारी पूरी तरह से पकड़ में नहीं आती और मरीज की मौत भी हो जाती है।

फियोक्रोमोसाइटोमा के कारण बन जाता है ट्यूमर
डॉ. माथुर ने बताया कि एंडोक्राइन हाइपरटेंशन में फियोक्रोमोसाइटोमा भी एक प्रकार का विकार है। इसमें मरीज के पेट में ट्यूमर बन जाता है, जिसके कारण ब्लड प्रेशर कंट्रोल में नहीं होता। आॅपरेशन कर ट्यूमर को निकालने पर ही ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। पिछले दो साल में यहां करीब 80 मरीज आ चुके हैं। ऐसे रिसर्च के लिए डिपार्टमेंट ने रेअर जीन प्रोजेक्ट भी शुरू किया है, जिसमें जेनेटिक टेस्टिंग से उन मरीजों का डेटा तैयार कर एनालिसिस किया जाएगा। इस बीमारी का पता लगाने के लिए रेनिन एल्डोस्टेरोन नामक जांच होती है। यह जांच अब एसएमएस मेडिकल कॉलेज में शुरू कर दी है और नि:शुल्क भी है।

    साइलेंट किलर है हाइपरटेंशन
आनुवंशिक कारण के अलावा खराब लाइफ -स्टाइल और गलत खान-पान तथा निर्धारित मात्रा से अधिक नमक का सेवन भी हाइपरटेंशन का कारण है। इससे हार्ट अटैक से लेकर लिवर डैमेज और आंखों की रोशनी जाने का खतरा होता है। हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर भी कहा जाता है, जो बिना लक्षण के ही प्राणघातक होता है, इसमें कुछ लोगों में सिर दर्द, धडकनों का तेज होना, चलते समय सांसों का फूलना, थकान और असहजता देखी जाती है, यह लकवा और हार्ट अटैक का प्रमुख कारण है।
    हाइपरटेंशन का पैमाना
एक सेहतमंद आदमी के लिए रक्तचाप 120-80 होता है, जब आपका सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर या ऊपर का रक्तचाप 140 और डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर यानी नीचे का रक्तचाप 90 या इससे ऊपर हो तो तब उसे उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन कहते हैं।

ंहाइपरटेंशन के कारण युवाओं में हार्ट अटैक के मामले देखे जा रहे हैं। उच्च रक्तचाप के बारे में कम जागरूकता, प्राथमिक देखभाल के माध्यम से उचित देखभाल की कमी आदि इसके प्रमुख कारण है।
-डॉ. संदीप मिश्रा, पूर्व डायरेक्टर,
कार्डियोलॉजी एम्स नई दिल्ली। ु

ं-हाइपरटेंशन का सही समय पर उपचार नहीं किया जाए तो यह जीवन के लिए खतरनाक होता है। समय पर निदान, नियमित जांच और रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित रखना चाहिए।
-डॉ. राशिद अहमद,
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट ु

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