रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध के कारण भारतीय कंपनी की बड़ी रकम फंसी, ऑयल इंडिया के रूसी बैंकों में फंसे 2.34 लाख करोड़

विदेशी कारोबार बेचेगी लुकोइल 

रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध के कारण भारतीय कंपनी की बड़ी रकम फंसी, ऑयल इंडिया के रूसी बैंकों में फंसे 2.34 लाख करोड़

अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ऑयल इंडिया का रूस से मिलने वाला 300 मिलियन डॉलर का डिविडेंड रूसी बैंकों में फंसा है। यह रकम JSC Vankkorneft और Tass Yuryukh Neftagazodobycha से आनी है। वहीं, लुकोइल ने विदेशी कारोबार बेचने की घोषणा की है। भारतीय तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन करते हुए अपने संचालन समायोजित कर रही हैं।

नई दिल्ली। भारत की सरकार कंपनी ऑयल इंडिया को रूस के तेल क्षेत्रों से मिलने वाला 300 मिलियन डॉलर (करीब 2.34 लाख करोड़ रुपये) का डिविडेंड रूसी बैंकों में फंसा हुआ है। ऑयल इंडिया के चेयरमैन रंजीत रथ ने मंगलवार को यह जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक यह पैसा उन दो रूसी तेल कंपनियों से आना है जिन पर हाल ही में अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं। ऑयल इंडिया, इंडियन ऑयल कॉर्प और भारत पेट्रोरिसोर्सेज इन कंपनियों में हिस्सेदार हैं। इन कंपनियों के नाम JSC Vankkorneft और Tass Yuryukh Neftagazodobycha हैं। इन दोनों में ऑयल इंडिया की हिस्सेदारी है। ये निवेश सिंगापुर की स्पेशल पर्पज व्हीकल्स के जरिए किए गए थे। अमेरिका के प्रतिबंधों की वजह से पैसों का ट्रांसफर मुश्किल हो गया है। चेयरमैन रंजीत रथ ने बताया कि ऑयल इंडिया इस मामले पर कानूनी सलाह ले रही है। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस के दो बड़े तेल उत्पादकों लुकोइल और रोसनेफ्ट बैन लगाया है।

विदेशी कारोबार बेचेगी लुकोइल :

रूस की तेल कंपनी लुकोइल ने कहा है कि वह अपने विदेशी कारोबार को बेच रही है। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण लिया गया है। इन प्रतिबंधों का मकसद रूस को यूक्रेन में युद्धविराम के लिए मनाना है। कंपनी ने एक बयान में बताया कि वह पहले से ही संभावित खरीदारों से बात कर रही है। यह बिक्री एक विशेष छूट अवधि के तहत होगी जो 21 नवंबर तक लुकोइल के साथ लेन-देन की अनुमति देती है। कंपनी ने यह भी कहा है कि अगर इस अवधि में सौदा पूरा नहीं हुआ तो वह इसे बढ़ाने की कोशिश करेगी। लुकोइल 11 देशों में तेल और गैस परियोजनाओं में हिस्सेदारी रखती है।

क्या है भारतीय कंपनियों की राय ?

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इंडियन ऑयल कॉर्प के चेयरमैन एएस सहनी का कहना है कि कंपनी सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन करेगी। इससे पहले भारत की सबसे बड़ी रूसी तेल आयातक रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा था कि वह प्रतिबंधों का पूरी तरह से पालन करेगी और उसी के अनुसार रिफाइनरी संचालन को अनुकूलित करेगी। रिलायंस के कच्चे तेल के आयात का लगभग आधा हिस्सा रूसी तेल से आता है, जबकि इंडियन ऑयल के लिए यह आंकड़ा लगभग पांचवां हिस्सा है। रिलायंस का रोसनेफ्ट के साथ 500,000 बैरल प्रतिदिन तेल खरीदने का एक लंबा समझौता है। वहीं, इंडियन ऑयल और अन्य सरकारी रिफाइनर मुख्य रूप से स्पॉट मार्केट (मौजूदा बाजार) में व्यापारियों से रूसी तेल खरीदते हैं।

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दोनों कंपनियों का कितना निर्यात ?

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रोसनेफ्ट और लुकोइल मिलकर प्रतिदिन लगभग 3.1 मिलियन बैरल तेल का निर्यात करते हैं। यह रूस के कुल 5 मिलियन बैरल प्रतिदिन के निर्यात का लगभग 60% है। भारत के लगभग 1.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन के रूसी तेल आयात का लगभग दो-तिहाई हिस्सा इन दोनों कंपनियों से आता है।

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