टारगेट से ज्यादा किए शिकार फिर भी पिंजरे में कैद बाघिन, रिवाइल्डिंग के नाम पर एक साल से सॉफ्ट एनक्लोजर में टाइग्रेस एमटी-7

50 शिकार करने पर खुले जंगल में किया जाना था रिलीज

टारगेट से ज्यादा किए शिकार फिर भी पिंजरे में कैद बाघिन, रिवाइल्डिंग के नाम पर एक साल से सॉफ्ट एनक्लोजर में टाइग्रेस एमटी-7

अब तक बाघिन 60 से ज्यादा कर चुकी शिकार, फिर भी हार्ड रिलीज नहीं कर रहे अधिकारी।

कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से रिवाल्डिंग के लिए मुकुंदरा टाइगर रिजर्व की दरा रेंज में शिफ्ट की गई बाघिन एक साल बाद भी पिंजरे में कैद है। जबकि, वन अधिकारियों ने बाघिन द्वारा 50 शिकार सफलतापूर्वक कर लेने पर खुले जंगल में हार्ड रिलीज किया जाना निर्धारित किया था। लेकिन, टाइग्रेस एमटी-7 अब तक टारगेट से ज्यादा शिकार कर चुकी है। इसके बाद भी उसे 5 हैक्टेयर के सॉफ्ट  एनक्लोजर में ही रखा जा रहा है। वर्तमान में उसकी उम्र करीब 3 वर्ष हो चुकी है। इस उम्र के अन्य टाइगर अपनी टेरीटरी बनाने के लिए जंगल का चप्पा-चप्पा छान लेते हैं लेकिन एमटी-7 पांच हैक्टेयर के एनक्लोजर से ही आगे नहीं बढ़ पा रही। इधर, वन्यजीव प्रेमियों का तर्क है, हार्ड रिलीज में अनावश्यक देरी से बाघिन के विकास पर विपरीत असर पड़ सकता है। 

60 से ज्यादा शिकार, फिर भी आजादी नहीं
मुकुंदरा से मिली जानकारी के अनुसार, बाघिन एमटी-7 अब तक 66 से 70 के बीच सफलतापूर्वक शिकार कर चुकी है। जबकि, टारगेट 50 का ही था। इससे स्पष्ट होता है कि बाघिन शिकार करना सीख चुकी है। ऐसे में उसे खुले जंगल में छोड़ दिया जाना चाहिए। ताकि, वह जंगल की विपरीत परिस्थितियों में खुद को ढाल सके। 

चीतल से नीलगाय तक का किया शिकार
टाइग्रेस एमटी-7 अब तक चीतल ही नहीं बल्कि बड़े एनिमल नील गाय का भी शिकार कर चुकी है। जबकि, नील गाय का शिकार आसान नहीं होता है। बाघिन के लगातार शिकार किए जाने से 5 हैक्टेयर के एनक्लोजर में प्रे-बेस की भी कमी होती जा रही है। ऐसे में रिवाइल्डिंग के उद्देश्यों की सफलता के लिए उसे शीघ्र ही खुले जंगल में छोड़ा जाना आवश्यक है। 

कैसे सीखेगी शिकार ढूंढना व टेरीटरी बनाना 
बायोलॉजिस्ट रवि कुमार बताते हैं, पिछले एक साल से बाघिन दरा में 5 हैक्टेयर के सॉफ्ट एनक्लोजर में रह रही है। जहां रिवाइल्डिंग के नाम पर सिर्फ शिकार करना ही सीखा है। लेकिन, शिकार ढूंढना नहीं सीख पा रही है। क्योंकि, सॉफ्ट एनक्लोजर में पहले से ही प्रे-बेस की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है। जबकि, खुले जंगल में ऐसा नहीं होता है। वहां हर दिन चूनौतियों के बीच उन्हें भोजन ढूंढना पड़ता है, जो पिंजरे में कैद होने के कारण इस गुण का विकास नहीं हो पा रहा। वहीं, अनावश्यक देरी से टेरीटरी बनाने में भी उसे परेशानी का सामना करना पड़ेगा।  

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तीन साल की उम्र में भी खुला जंगल नसीब नहीं
नेचर प्रमोटर एएच जैदी बताते हैं, बाघिन एमटी-7 को पिछले साल दिसम्बर माह में शिफ्ट किया गया था। वर्तमान में उसकी उम्र लगभग 3 साल हो चुकी है। इसके बावजूद वह सॉफ्ट एनक्लोजर से बाहर नहीं निकल सकी। जबकि, इस उम्र के अन्य बाघ-बाघिन खुद को एक्सपोलर करते हैं और मां से अलग होकर अपनी टेरीटरी बनाने के लिए जंगल को सर्च करते हैं। इस बीच कई परिस्थितियों से गुजरने के दौरान बहुत कुछ सीखते हैं, जो जंगल में उनके सरवाइवल रेट को बढ़ाने में मददगार होते हैं। बाघिन को जल्द से जल्द हार्ड रिलीज किया जाना चाहिए।

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डब्ल्यूआईआई की टीम पर अटकी शिफ्टिंग
बाघिन एमटी-7 की शिफ्टिंग पर फैसला डब्ल्यूआईआई  की टीम द्वारा किया जाना है। लेकिन, टीम का इंतजार 6 माह से हो रहा है, जो अब तक खत्म नहीं हुआ। वन अधिकारियों द्वारा  पूर्व में बारिश से पहले टीम का मुकुंदरा आना बताया जा रहा था, फिर बारिश में जंगल के रास्ते खराब होने का हवाला देते हुए विजिट टाल दी गई। अब अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में आने की बात कही जा रही है। एनटीसीए की टीम  कब आएगी, इसको लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही।

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इनका कहना है
अभेड़ा बायोलॉजिलक पार्क से गत वर्ष दिसम्बर माह में  रिवाइल्डिंग के लिए मुकुंदरा में शिफ्ट की गई बाघिन एमटी-7 को खुले जंगल में छोड़े जाने का फैसला इसी माह में होगा। क्योंकि, इसी अक्टूबर माह डब्ल्यूआईआई की टीम मुकुंदरा आने की संभावना है। टीम यहां बाघिन के व्यवहार, शिकार सहित फिजिकल वेरिफिकेशन कर हार्ड रिलीज को लेकर रिपोर्ट देगी। जिसके आधार पर खुले जंगल में छोड़े जाने को लेकर निर्णय होगा। 
- सुगनाराम जाट, सीसीएफ मुकुंदरा 

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