सातलखेड़ी में 30 हजार की आबादी बूंद-बूंद पानी को तरस रही, कभी 72 घंटे तक सप्लाई रहती है पूरी तरह ठप
अधिकारी सिर्फ दे रहे आश्वासन
पीएचईडी विभाग की लापरवाही से हाहाकार।
सातलखेड़ी। कोटा जिले का सातलखेड़ी कस्बा इन दिनों भीषण जल संकट से जूझ रहा है। करीब 30 हजार की आबादी वाला यह कस्बा पीएचईडी विभाग की लापरवाही के कारण बूंद-बूंद पानी को तरस रहा है। स्थिति यह है कि यहां कभी 72 घंटे तक सप्लाई पूरी तरह ठप रहती है और कभी नलों से सिर्फ बूंदें टपककर रह जाती हैं। कस्बे की बड़ी आबादी रोजमर्रा के कामकाज के लिए पानी पर निर्भर है। लेकिन सप्लाई बाधित होने से महिलाएं और बच्चे दूर-दूर तक पानी के लिए भटकते नजर आ रहे हैं। त्योहार और गर्मी के मौसम में हालात और गंभीर हो गए हैं।
जिम्मेदारों के सिर्फ आश्वासन
स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी हर बार सप्लाई दुरुस्त करने का आश्वासन देते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं होता। बैठकों में चर्चा होती है, लेकिन आमजन के घर तक पानी नहीं पहुंच पाता। पानी की किल्लत के चलते लोग गंदे स्रोतों से पानी भरने को मजबूर हैं, जिससे बीमारियों का खतरा मंडराने लगा है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उन्हें सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना पड़ेगा।
क्या बोले लोग
अजय वाडिया ने कहा कि हमारा देश विकसित भारत की ओर बढ़ रहा है, लेकिन गांव और कस्बे तो बुनियादी सुविधाओं से ही वंचित हैं। सातलखेड़ी खैराबाद पंचायत समिति का बड़ा कस्बा है और यहां मजदूर वर्ग की संख्या अधिक है। नल सप्लाई 3-4 दिन में सिर्फ 40 मिनट आती है, जिससे लोग परेशान हैं। कई बार ज्ञापन देने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है।
ललित सिसोदिया ने बताया कि कस्बे में नलों से कई दिनों तक पानी नहीं आता। लोग दूर-दूर से हेडपंप से पानी भरकर ला रहे हैं। अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं, समाधान कोई नहीं।
विभाग की सफाई
सातलखेड़ी में पानी की समस्या को दूर करने के प्रयास जारी हैं। कभी पंप खराब होने जैसी तकनीकी वजहों से सप्लाई बाधित होती है, लेकिन जल्द ही स्थिति सुधारी जाएगी।
- सोमेश मेहर, एक्शन, पीएचईडी विभाग।

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