डेट म्यूचुअल फंड्स से निवेशकों ने निकाले 32,722 करोड़
ब्याज दरें बढ़ने का असर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिए प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट में बढ़ोतरी और उदार रुख को धीरे-धीरे वापस लेने की घोषणा के बाद निकासी बढ़ी है।
नई दिल्ली। फिक्स्ड इनकम वाले म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट्स से मई महीने में निवेशकों ने 32,722 करोड़ की निकासी की है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिए प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट में बढ़ोतरी और उदार रुख को धीरे-धीरे वापस लेने की घोषणा के बाद निकासी बढ़ी है। एसोसिएशन आॅफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले अप्रैल महीने में इसमें 54,656 करोड़ रु. का निवेश हुआ था। इसके अलावा इस साल अप्रैल और मई के बीच फोलियो की संख्या भी 73.43 लाख से घटकर 72.87 पर आ गई। बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान निवेश के लिहाज से बांड जैसे फिक्स्ड इनकम वाले प्रोडक्ट्स को सुरक्षित विकल्प माना जाता है। हालांकि, ब्याज दर में बढ़ोदरी, मैक्रो एनवायरनमेंट में उथल-पुथल और हायर यील्ड से निवेशकों पर बांड बाजार में निवेश को लेकर रुख प्रभावित हो सकता है।
विश्लेषकों की सलाह
मार्निंग स्टार इंडिया के सीनियर एनालिस्ट (रिसर्च मैनेजर) कविता कृष्णन ने कहा कि खाने-पीने की चीजों, कमोडिटी और फ्यूल की कीमतों में तेजी के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कारणों से नीतिगत दर में वृद्धि हुई है। रिजर्व बैंक का जोर अब मुद्रास्फीति को काबू में लाने पर है। इससे नीतिगत दर में आगे और वृद्धि की आशंका है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए ओवरनाइट और लिक्विड फंड (अल्पकालीन निवेश उत्पाद) जैसे कोष को छोड़कर बांड और इसी तरह के अन्य उत्पादों से पूंजी निकासी जारी है। सिंगल डिजिट में रिटर्न और इक्विटी जैसे अन्य क्षेत्रों में बढ़ती रुचि से भी बांड कोष में पूंजी प्रवाह प्रभावित हुआ है। बजाज कैपिटल के चीफ रिसर्च आॅफिसर आलोक अग्रवाल ने भी कहा कि पूंजी निकास का कारण आरबीआई का पिछले महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में अपने रुख में बदलाव है। बिना तय कार्यक्रम के हुई बैठक में आरबीआई ने न केवल रेपो रेट में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि की बल्कि कैश रिजर्व रेश्यो 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत कर दिया।
Comment List