कॉलेजियम की सिफारिशों पर फैसला करे केंद्र सरकार : सुप्रीम कोर्ट
लगता है एनजेएसी को खारिज करने के फैसले से सरकार खुश नहीं
याचिका में कहा गया है कि देश के महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों को खाली नहीं रखा जा सकता है। सरकार जजों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप करना चाहती है।
ब्यूरो/नवज्योति/नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि आप लोग सरकार से बात कीजिए और कहिए कि कॉलेजियम की ओर से जिन नामों की सिफारिश की गई है सरकार उन पर फैसला करे। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि नेशनल जुडिशियल अकाउंटेबिलिटी कमीशन (एनजेएसी) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के फैसले से सरकार खुश नहीं है। इसलिए सरकार जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिशों पर निर्णय नहीं ले रही है। जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि समान्यतया मीडिया में दिए गए बयानों (कानून मंत्री के बयान के संदर्भ में) का हम संज्ञान नहीं लेते हैं। लेकिन सवाल कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार द्वारा फैसला नहीं लेने का है। सिस्टम कैसे काम करेगा। सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से जो अनुशंसाएं की जाती हैं उस पर केंद्र सरकार अनिश्चित काल तक बैठ जाती है। छह हफ्ते बीतने के बावजूद केंद्र सरकार उन अनुशंसाओं पर कोई जवाब भी नहीं देती है। याचिका में कहा गया है कि देश के महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों को खाली नहीं रखा जा सकता है। सरकार जजों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप करना चाहती है।
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