15 साल से सरकारी मंडी खुलने का सपना संजोए हैं किसान
गुडली गांव की जलवायु अनुकूल होने से भरपूर उगती है सब्जियां, हर घर के लोग करते है खेती, देशभर में पहचान बना चुकी है गुडली की भिंडी
मंडी के अभाव में किसानों को अपनी सब्जी बेचने के लिए 15 से 20 किमी दूर कोटा एरोड्रक फल-सब्जी मंडी जाने को मजबूर है। जो किसानों के लिए समय और धन की बर्बादी होती है।
गुड़ली। केशवरायपाटन उपखंड के गुड़ली गांव में सरकारी मंडी स्थापित करने का सपना पंद्रह साल बाद भी अधूरा है। किसान पंद्रह सालों से मंडी स्थापना की आस लगाए हुए है। सरकारी मंडी खुलने पर यहां के किसानों की तकदीर बदल सकती है। खास बात यह है कि गुड़ली की भिण्ड़ी अच्छी क्वालिटी की देशभर के व्यापारी खरीदने गुड़ली आते है। भिण्डी ही नहीं अन्य सब्जियां भी यहां पर खूब उत्पादन किया जा रहा है। मंडी के अभाव में किसानों को अपनी सब्जी बेचने के लिए 15 से 20 किमी दूर कोटा एरोड्रक फल-सब्जी मंडी जाने को मजबूर है। जो किसानों के लिए समय और धन की बर्बादी होती है।
भिंडी की होती है बंपर पैदावार
गुड़ली गांव की 3 हजार की आबादी खेतीबाड़ी करते है। हर घर के लोग कृषि से जुड़े है। आसपास के गांवों में इन दिनों भिण्डी का बंपर उत्पादन हो रहा है। जिसके चलते भिंडी उत्पादक किसानों ने बताया कि सीजन के दिनों में भिंडी बेचने और खरीदने के लिए यहां मेला सा लग जाता है। व्यापारी नरेंद्र सुमन , हेमंत सुमन, रूप शंकर सुमन, त्रिलोक सुमन के मुताबिक भिंडी बेचने के लिए रोजाना 50 गांवों के किसान कस्बे की गुडली मंडी में पहुंच रहे हैं। दोपहर से ही मेन रोड पर व्यापारी और विक्रेताओं की भीड़ लग जाती है। यहां के किसानों ने भिंडी उत्पादन को अपना व्यवसाय ही बना लिया है। इस बार भी करीब 200 बीघा से अधिक में भिंडी उत्पादन किया गया है। किसान भी चाहते हैं कि सरकारी प्रयास हो जाएं तो उनकी तकदीर बदल सकती है।
इन गांवों में होता है उत्पादन
लाडपुर, गुड़ली, गुडला, पटोलिया, गिरधरपुरा, केशवरायपाटन, देहित, सुवांसा, कापरेन, लाखेरी, गामछ, कणा, भवानीपुरा, चितावा, तीरथ, मेहराना समेत करीब 50 गांवों में भिंडी का उत्पादन किया जा रहा है। किसान रोजाना गुडली में भिंडी बेचने पहुंच रहे हैं। प्रत्येक गांव का किसान गुडली भिंडी मंडी को पसंद करता है। यहां शुरूआती रेट 40 से 50 प्रति किलो है।
पूर्व मंत्री वर्मा ने मंडी बनाने की थी घोषणा
भिंडी मंडी के लिए भाजपा सरकार के पूर्व राज्यमंत्री बाबूलाल वर्मा ने उनके कार्यकाल में मंडी के लिए पैसा व जमीन स्वीकृत करने के लिए कहा था, लेकिन गुडली में जमीन का अभाव है। मेन रोड पर जहां पर भी पंचायत में अतिक्रमण की चपेट में है। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाकर मंडी बनाने का प्रयास सरकार के द्वारा किया जाना चाहिए सरकार द्वारा भिंडी मंडी लग जाए तो यहां के किसान मालामाल हो सकते हैं। यहां के किसान भिंडी के अलावा अन्य सब्जियां हर सीजन में करते आ रहे है। टमाटर, मिर्ची ,गोभी, बैंगन, मेथी पालक यह सभी सब्जियां मुख्य रूप से सीजन में की जाती है इनको बेचने के लिए कोटा और पाटन जाना पड़ता है।
गुडली भिंडी की क्वालिटी
यहां के किसान राजेंद्र मेरोठा ,तुलसीराम मेरोठा ने बताया कि अच्छी क्वालिटी का बीज प्रयोग में लिया जाता है जिसकी वजह से भिंडी की लंबाई मात्र 3 से 4 इंच होती है और हरा गहरा रंग होता है। भिंडी के लिए यहां का वातावरण अनुकूल है। देसी दवाइयों का भी प्रयोग किया जाता है। खाने में टेस्ट स्वादिष्ट इस की वजह से देश की बड़ी मंडियों में पहचान बना चुकी है।
यहां पर किसानों को सरकारी मंडी की बहुत बड़ी जरूरत है क्यों कि यहां पर भिंडी उगाने के लिए अनुकूल वातावरण हैं। चंबल नदी पास में होने से पानी की कमी भी नहीं रहती। जमीन में वाटर लेवल ऊपर है। इसके कारण यहां पर किसान टमाटर,प्याज, लहसुन, हरा धनियां, चना, मैथी, पालक, गोभी,मूली आदि रोजाना उपयोग में आने वाली सब्जियां की खेती करते है। इन सब्जियों को स्थानीय स्तर पर मंडी नहीं है। इसके चलते यहां से करीब 20 किमी दूर कोटा जाने को मजबूर है। इसके कारण रेगुलर खेती करना संभव नहीं है।
-नंदकिशोर सुमन, किसान
इनका कहना है
गुड़ली कस्बे में भिंडी की पैदावार के लिए यहां का वातावरण भिंडी के अनुकूल है। जिससे काफी अच्छी पैदावार होती है। यह खाने में भी स्वादिष्ट है। इसमें खाद, बीज, दवाइयों का उपयोग कम किया जाता है। किसानों को एक माह में निजी खेतों में एक बीघा में 30 से 40 हजार रुपए मिल जाता है। गुडली में सरकारी मंडी बनती है तो यहां के किसानों को सब्जियों की खेती करने में महारत हासिल है। यहां बड़ा कारोबार किया जा सकता है। ग्रामीणों को सालभर रोजगार मिल सकता है।
-तेजमल मेरोठा, कृषक मित्र,ग्राम पंचायत गुड़ली
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