महापौर लिख रहे यूओ नोट, 7 माह में भी तैयार नहीं बोर्ड बैठक की पालना रिपोर्ट
कोटा दक्षिण निगम का मामला
पार्षदों का कहना है कि महापौर को कई बार कह चुके हैं बोर्ड बैठक बुलाने के लिए लेकिन किसी का ध्यान ही नहीं है।
कोटा। नगर निगम कोटा उत्तर के बाद कोटा दक्षिण निगम में भी बोर्ड बैठक बुलाने की मांग तो उठने लगी है लेकिन हालत यह है कि पिछली बोर्ड बैठक की पालना रिपोर्ट तक तैयार नहीं हुई है। सात माह से पालना रिपोर्ट के इंतजार में बैठक तक नहीं हो पा रही है। जबकि पालना रिपोर्ट के लिए महापौर कई बार यू ओ नोट लिख चुके हैं। नगर पालिका अधिनियम 2009 के तहत हर 60 दिन में साधारण सभा(बोर्ड) की बैठक किया जाना आवश्यक है। लेकिन हालत यह है कि नगर निगम कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण दोनों ही निगमों में पिछले तीन साल से साल में एक बार ही बोर्ड बैठक हो रही है। नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में इस साल फरवरी के पहले सप्ताह में बजट की बोर्ड बैठक हुई थी। उसके बाद से अभी तक सात माह से अधिक का समय हो गया है। लेकिन अभी तक कोटा दक्षिण निगम में दोबारा से बोर्ड बैठक नहीं हुई है। जबकि सत्ता पक्ष के अलावा विपक्ष के पार्षद भी कई बार महापौर व आयुक्त से मिलकर बोर्ड बैठक बुलाने की माग कर चुके हैं।
कोटा उत्तर की हुई बैठक
नगर निगम कोटा उत्तर की गत बोर्ड बैठक 8 फरवरी को हुई थी। जिसमें वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पारित किया गया था। उसके 7 माह बाद 22 सितम्बर को बोर्ड बैठक हुई। कोटा उत्तर निगम के नेता प्रतिपक्ष लव शर्मा का कहना है कि यह बैठक भी मजबूरी में बुलाई गई है। यदि मेले का बजट नहीं बढ़ाना होता तो बैठक बुलाते ही नहीं। जबकि वे काफी समय से महापौर व आयुक्त से मिलकर बोर्ड बैठक बुलाने की मांग कर चुके थे।
विकास कार्य समेत कई मुद्दे हैं चर्चा के लिए
नगर निगम कोटा दक्षिण के भाजपा व कांग्रेस पाषदों का कहना है कि वार्डों में विकास कार्य से लेकर साफ सफाई, रोड लाइटों समेत कई ऐसे विषय हैं जिन पर अधिकारियों से चर्चा की जानी है। वैसे तो अधिकारी टालते रहते हैं। बोर्ड बैठक में सभी के सामने अधिकारियों को जवाब देना होता है। ऐसे में अधिकारी जान बूझकर बोर्ड बैठक नहीं बुलाते जिससे उन्हें जवाब नहीं देना पड़े। पार्षदों का कहना है कि महापौर को कई बार कह चुके हैं बोर्ड बैठक बुलाने के लिए लेकिन किसी का ध्यान ही नहीं है।
बिना पालना रिपोर्ट नहीं होगी बैठक
नगर निगम कोटा दक्षिण के नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि 7 माह से अधिक का समय हो गया है बोर्ड बैठक हुए। जबकि नियमानुसार हर दो माह में बोर्ड बैठक होनी चाहिए। जनता से जुड़े कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सदन में चर्चा होनी है। लेकिन अधिकारियों ने अभी तक पिछली बोर्ड बैठक की पालना रिपोर्ट ही नहीं भेजी है। बिना पालना रिपोर्ट के बोर्ड बैठक नहीं होगी। उन्होंने बताया कि पालना रिपोर्ट के बिना कैसे पता चलेगा कि पिछली बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णयों की पालना हुई या नहीं। यदि अधिकारियों ने बिना पालना रिपोर्ट के बैठक बुलाई तो विपक्ष उसका बहिष्कार करेगा। नियमानुसार पालना रिपोर्ट के बाद बैठक का ऐजेंडा जारी होगा। बैठक से 7 दिन पहले इसकी सूचना सभी पार्षदों को भेजी जाती है। विशेष परिस्थिति में 3 दिन में भी बैठक बुलाई जा सकती है। यदि अभी बैठक नहीं हुई तो विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने पर बैठक होना संभव नहीं है। फिर अगले साल पर जा पड़ेगी।
इनका कहना है
नियमानुसार तो बोर्ड बैठक हर 60 दिन में होनी चाहिए। जबकि पिछली बोर्ड बैठक को 7 माह से अधिक हो गया है। अभी तक तो पिछली बोर्ड बैठक की पालना रिपोर्ट ही नहीं मिली है। इस संबंध में आयुक्त को पूर्व में भी यू ओ नोट लिखा था। हाल ही में बैठक की पत्रावली आई थी। जिसमें नाोटिंग की है कि पहले पालना रिपोर्ट भिजवाओ। हालत यह है कि बोर्ड बैठक के तीन माह बाद तो प्रोसीडिंग तैयार हुई है। बिना पालना रिपोर्ट के बैठक करने का कोई मतलब ही नहीं है।
- राजीव अग्रवाल, महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण
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