केन्द्र की तरह राजस्थान में भी बिखर गया जनता दल
राजेन्द्र राठौड़ ने 80 में राजनीति जनता पार्टी से शुरू की, 90 में जनता दल में और 93 में भाजपा में आए
भाजपा नेता एवं राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ भाजपा और जनता दल के बीच हुए गठबंधन में 1990 में चूरू से जनता दल के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
ब्यूरो/ नवज्योति, जयपुर। देश में कथित बोफोर्स घोटाले के विरोध में कुछ दलों के विलय से अस्तित्व में आए ‘जनता दल’ का आगाज भी राजस्थान में खुशनुमा हुआ था। राजीव गांधी की सरकार में रक्षा मंत्री के पद से त्यागपत्र देकर निकले वीपी सिंह का सुनहरा दौर था।
चुनावी सभाओं में ही नहीं बल्कि चौक-चौराहों पर ‘राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है’ के नारे गुंजायमान थे। वर्ष 1990 का विधानसभा चुनाव जनता दल ने भाजपा से गठबंधन कर जीता था। जनता दल ने 120 प्रत्याशियों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था, जिसमें से 55 विधायक चुनाव जीतकर आए थे। बाद में जनता दल का चन्द्रशेखर के नेतृत्व में केन्द्रीय स्तर पर विभाजन हुआ। बाद के वर्षों में जनता दल में विभाजन का अंतहीन सिलसिला शुरू हुआ, जो चलता ही रहा।
राजेन्द्र राठौड़ ने जनता दल से जीतकर पहुंचे विधानसभा
भाजपा नेता एवं राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ भाजपा और जनता दल के बीच हुए गठबंधन में 1990 में चूरू से जनता दल के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। बाद में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर भाजपा के टिकट पर छह चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसी तरह सांवरलाल जाट ने भी अपनी राजनीतिक पारी जनता दल के टिकट पर शुरू की थी, बाद में भाजपा से विधायक बनते रहे। वर्ष 2014 में वे अजमेर से सांसद चुने गए और केन्द्र में मंत्री रहे। वर्ष 2017 में निधन हो गया, अब उनके पुत्र भाजपा से विधायक हैं।
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